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Saturday, 16 November, 2024
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Covid के गहराते संकट के बीच ऊंची महंगाई दर क्यों भारत की अगली बड़ी चिंता हो सकती है

ऊंची वैश्विक मुद्रास्फीति, वस्तुओं के बढ़ते दाम, कमज़ोर रुपया और स्थानीय लॉकडाउन्स, क़ीमतों को बढ़ा सकते हैं.

मोदी सरकार का विदेशी टीकों को अनुमति देना अच्छा कदम, इसके कई आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी फायदे हैं

टीकाकरण की मौजूदा गति से तो भारत में पूरी आबादी को कवर करने में 2 साल का समय लगेगा. नए टीके यह प्रक्रिया तेज कर सकते हैं और साथ ही इनके अन्य फायदे भी हैं.

RBI के सामने दोहरी चुनौती, सरकार पर ब्याज के बोझ को कम करे या महंगाई पर लगाम लगाए

सरकार पर ब्याज के बोझ को कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने ‘जी-एसएपी’ नाम का नया उपाय किया है लेकिन मुद्रास्फीति में वृद्धि के खतरे के मद्देनज़र महंगाई पर लगाम लगाने के लिए उसे ब्याज दरें बढ़ानी भी होगी.

क्यों मुद्रास्फीति टार्गेटिंग फ्रेमवर्क को बनाए रखने का मोदी सरकार का फैसला ठीक है

मुद्रास्फीति को लेकर अपेक्षाओं को मजबूत आधार देने के लिए जरूरी है कि मुद्रास्फीति के लक्ष्य को 4 प्रतिशत पर बनाए रखा जाए.

तेज ग्रोथ, तीव्र अस्थिरता— भारतीय अर्थव्यवस्था नए वित्तीय वर्ष में क्या उम्मीद कर सकती है

भारत और विदेशों में जिस तरह कोविड-19 की लहर के बाद लहर आ रही है, यह साल अच्छी और बुरी खबरों का गवाह बनता रहेगा, जिससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता की स्थिति बनी रह सकती है.

विकास वित्त संस्थान जो फिर स्थापित हुआ है, मोदी सरकार इस बार कैसे उसे सफल बना सकती है

इन्फ्रास्ट्रक्चर की परियोजनाओं के लिए पैसे देने की ताकत खो चुके हैं बैंक, इसलिए अब डीएफआई फिर से चलन में है. उसके अंतर्गत इन परियोजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य है.

RBI को बॉन्ड मार्केट के मुद्दों से निपटने के लिए कर्ज प्रबंधन के कार्यों से मुक्त होने की जरूरत क्यों है

आरबीआई के लिए बतौर सरकारी ऋण प्रबंधक अपनी सेवाएं देते हुए मुद्रास्फीति काबू रखने की जिम्मेदारी निभाने को लेकर चलने वाला अंतर्द्वंद अगले कुछ सालों में और बढ़ने वाला है.

क्यों कॉरपोरेट इंडिया के प्रदर्शन में तेज़ रिकवरी के संकेत दिखने लगे हैं

भारतीय कॉरपोरेट जगत ने अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में तेज़ रिकवरी के रुझान दिखाए हैं. कोविड-19 मामलों में गिरावट और टीकाकरण अभियान में तेज़ी से आने वाले महीनों में आर्थिक रिकवरी की प्रक्रिया और रफ़्तार पकड़ सकेगी.

क्यों मोदी सरकार को मुश्किल वित्तीय हालात से उबरने के लिए तेल की आय पर निर्भरता खत्म करनी चाहिए

तेल पर टैक्स को सरकार कठिन वित्तीय परिस्थितियों से बाहर निकलने के उपाय के तौर पर इस्तेमाल करती है, लेकिन इससे मुद्रास्फीति और पेट्रोलियम उत्पादों पर अत्यधिक निर्भरता जैसी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.

निजी क्षेत्र के समर्थन के दावे को पूरा करने के लिए मोदी सरकार को इन 5 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा

दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना शुरू की गई है, लेकिन सरकार को स्थिर और निश्चित नीतिगत परिवेश भी तैयार करना चाहिए.

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