टीकाकरण की मौजूदा गति से तो भारत में पूरी आबादी को कवर करने में 2 साल का समय लगेगा. नए टीके यह प्रक्रिया तेज कर सकते हैं और साथ ही इनके अन्य फायदे भी हैं.
सरकार पर ब्याज के बोझ को कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने ‘जी-एसएपी’ नाम का नया उपाय किया है लेकिन मुद्रास्फीति में वृद्धि के खतरे के मद्देनज़र महंगाई पर लगाम लगाने के लिए उसे ब्याज दरें बढ़ानी भी होगी.
भारत और विदेशों में जिस तरह कोविड-19 की लहर के बाद लहर आ रही है, यह साल अच्छी और बुरी खबरों का गवाह बनता रहेगा, जिससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता की स्थिति बनी रह सकती है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर की परियोजनाओं के लिए पैसे देने की ताकत खो चुके हैं बैंक, इसलिए अब डीएफआई फिर से चलन में है. उसके अंतर्गत इन परियोजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य है.
आरबीआई के लिए बतौर सरकारी ऋण प्रबंधक अपनी सेवाएं देते हुए मुद्रास्फीति काबू रखने की जिम्मेदारी निभाने को लेकर चलने वाला अंतर्द्वंद अगले कुछ सालों में और बढ़ने वाला है.
भारतीय कॉरपोरेट जगत ने अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में तेज़ रिकवरी के रुझान दिखाए हैं. कोविड-19 मामलों में गिरावट और टीकाकरण अभियान में तेज़ी से आने वाले महीनों में आर्थिक रिकवरी की प्रक्रिया और रफ़्तार पकड़ सकेगी.
तेल पर टैक्स को सरकार कठिन वित्तीय परिस्थितियों से बाहर निकलने के उपाय के तौर पर इस्तेमाल करती है, लेकिन इससे मुद्रास्फीति और पेट्रोलियम उत्पादों पर अत्यधिक निर्भरता जैसी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.
दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना शुरू की गई है, लेकिन सरकार को स्थिर और निश्चित नीतिगत परिवेश भी तैयार करना चाहिए.
एक राष्ट्र, एक चुनाव के आलोचक मतदाताओं की थकान के बारे में नहीं सोच रहे हैं. जब चुनाव कई बार और लगातार होते हैं, तो शिक्षित मतदाता भी उन्हें एक अतिरिक्त छुट्टी के रूप में देखता है.