आर्थिक वृद्धि की गति अभी धीमी ही है इसलिए ज़्यादातर केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर ही नज़र रख रहे हैं इसलिए रिजर्व बैंक को भी कड़े नीतिगत कदम उठाने से बचना चाहिए.
जबकि महंगाई बढ़ रही है, ओमिक्रोन वाइरस आर्थिक वृद्धि के लिए खतरा है; आर्थिक वृद्धि की खातिर मुद्रास्फीति को बर्दाश्त करना सही था लेकिन भविष्य में दिशा बदलनी होगी
कोविड महामारी से मुकाबले के लिए मोदी सरकार ने प्रभावित लोगों को सीधे कर्ज उपलब्ध कराने की जो नीतिगत पहल की वह आलोकप्रिय भले रही हो लेकिन व्यावहारिक है.
ज्यादा औपचारीकरण हुआ तो अनौपचारिक क्षेत्र में कम वेतन और ज्यादा श्रम वाले रोजगारों की जगह औपचारिक क्षेत्र के ज्यादा उत्पादक रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बेशक इससे कुछ समय के लिए उथलपुथल मचेगी.
सितंबर में 85 लाख रोजगार बढ़े, जो मार्च 2020 के कोविड कहर के बाद का अधिकतम आंकड़ा है. मुद्रास्फीति घटी है, निर्यात बढ़ा है और 100 करोड़ लोगों का टीकाकरण एक बड़ी उपलब्धि है.
मॉनसून खत्म होने के साथ कोयले की आपूर्ति में सुधार की उम्मीद है, लेकिन बेहतर नियोजन और आपूर्ति में सुधार से भविष्य में बेहतर इंतजाम करने में मदद मिलेगी.
रिजर्व बैंक ने श्री इन्फ्रा फाइनांस और श्री ईक्विपमेंट फाइनांस के बोर्ड को बरखास्त कर दिया है और उनके दिवालिया घोषित करने प्रक्रिया आइबीसी के जैसी हो सकती है.
एक राष्ट्र, एक चुनाव के आलोचक मतदाताओं की थकान के बारे में नहीं सोच रहे हैं. जब चुनाव कई बार और लगातार होते हैं, तो शिक्षित मतदाता भी उन्हें एक अतिरिक्त छुट्टी के रूप में देखता है.
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक समिति ने बुधवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अगले अध्यक्ष का...