बीआरएस जहां तीसरी बार सत्ता पाने के लिए मैदान में है तो वहीं बीजेपी पहली बार सरकार बनाना चाहती है, जबकि कांग्रेस हाल में मिले उसे जनसमर्थन को जीत में बदलना चाहती है.
सोमवार को लिखे अपने पत्र में चुनाव आयोग ने तेलंगाना के वित्त मंत्री हरीश राव की योजना के तहत वितरण की घोषणा के समय को इस महीने के विधानसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया.
राहुल गांधी ने तेलंगाना के संगारेड्डी में एक जनसभा में कहा, "मैं कल शाम बेरोजगार युवाओं से मिला. उन्होंने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में अपना पूरा प्रयास और पैसा लगाने के बाद भी पेपर लीक के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिली."
बीआरएस पार्टी केएलआईपी को 'बहुत बड़े इंजीनियरिंग चमत्कार' के तौर पर पेश करती है. नए अयाकट (बाधों, नहरों से सिंचाई वाले) खेतों में अभी तक पानी नहीं सोखने से किसान नाखुश हैं; नहर का काम लंबित है. मतदाताओं का ध्यान सरकारी नौकरियों की कमी जैसे मुद्दों पर है.
मौजूदा कांग्रेस और उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा दोनों ही कई तरह की मुफ्त सुविधाएं दे रहे हैं. कुछ मतदाताओं ने इस कदम का स्वागत किया है, तो कुछ का कहना है कि इसका उद्देश्य केवल चुनाव है.
राजस्थान में इक्का-दुक्का शायद ही कोई मिलेगा जो अशोक गहलोत की बुराई करता हो. बीजेपी के परंपरागत वोटर भी आपको पहले यही बतायेंगे कि `काम तो किया है` और इसके बाद उसी सुर में ये भी जोड़ते मिलेंगे कि `लेकिन राज्य में सरकार तो पलटेगी`.
एक राष्ट्र, एक चुनाव के आलोचक मतदाताओं की थकान के बारे में नहीं सोच रहे हैं. जब चुनाव कई बार और लगातार होते हैं, तो शिक्षित मतदाता भी उन्हें एक अतिरिक्त छुट्टी के रूप में देखता है.