निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले मुथालिक को 4,508 वोट मिले. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने दावा किया था कि बीजेपी ने हिंदुत्व के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है.
विहिप महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा, अगर वे (कर्नाटक की भावी कांग्रेस सरकार) केवल हिंदुओं के प्रति द्वेष के कारण बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाएंगे, तो हम भी तैयार बैठे हैं. धर्म, समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए जो भी आवश्यक होगा, हम करेंगे.
गुजरात, उत्तराखंड, और यूपी जैसे अन्य बीजेपी शासित राज्यों के विपरीत, कर्नाटक एक अपवाद था क्योंकि भ्रष्टाचार राज्य में एक प्रमुख मुद्दा बन गया था. चुनाव से पहले बोम्मई सरकार को मजबूत सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा था.
विशेषज्ञों का कहना है कि कर्नाटक में बीजेपी की हार मिशन तेलंगाना को कठिन बना सकती है, तमिलनाडु सहयोगी अन्नाद्रमुक के साथ उसकी सौदेबाजी की शक्ति को प्रभावित कर सकती है और क्षेत्रीय नेताओं को गति दे सकती है.
उन्होंने कहा कि कर्नाटक के चुनाव में एक तरफ क्रोनी कैपिटलिस्ट की ताकत थी, दूसरी तरफ गरीब जनता की शक्ति थी. और शक्ति ने ताकत को हरा दिया और यही हर राज्य में होगा.
शनिवार दोपहर 12:50 बजे, चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों से जानकारी मिली है कि कांग्रेस 224 में से 128 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि बीजेपी 66 सीटों पर और जेडी (एस) 22 सीटों पर आगे चल रही है. कांग्रेस पहले ही 2 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस 100 सीटों पर आगे चल रही है जबकि भाजपा 68 सीटों पर आगे है. जद (एस) 24, कल्याण राज्य प्रगति पक्ष और सर्वोदय कर्नाटक पक्ष में एक-एक सीट पर आगे चल रहा है.