पार्टी ने 52 नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा है. उनके मुताबिक 189 उम्मीदवारों की सूची में 32 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं जबकि 30 अनुसूचित जाति और 16 अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं.
2018 में कांग्रेस ने पांच हज़ार मतों के अंतर से 30 में से 18 सीटें जीतीं. वहीं, बीजेपी ने 8 और जेडी (एस) ने 3 सीटें जीतीं थीं. छोटे दलों की एंट्री और लिंगायत फैक्टर भी यहां हार-जीत में भूमिका तय कर सकते हैं.
AIMIM फिलहाल SDPI, KRPP, AAP जैसे कई अन्य छोटे दलों के उस गुट में शामिल होती दिखाई दे रही है, जिन्होंने इस बार चुनाव लड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस विधायक ने माना कि छोटी पार्टियां तकरीबन 50 सीटों पर वोटों को बंटवा सकती हैं.
क्या मुफ्त रेवड़ियां विपक्ष को आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं? वे ऐसा जो भी वादा करेंगे, मोदी उससे बेहतर पेशकश कर देंगे. मोदी चूंकि सत्ता में हैं, उनके वादी को ज्यादा विश्वसनीय माना जाएगा.
कोलकाता, 19 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस)...