स्कूलों, माता-पिता और शिक्षाविदों का कहना है कि सोने और खाने का पैटर्न बदलने के साथ-साथ छात्रों का एक-दूसरे के साथ घुलना-मिलना भी कम हो गया है. कम आय वाले परिवारों के बच्चों की स्थिति और भी खराब है.
2018 की रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकारी स्कूलों में 38 प्रतिशत बच्चे, बिना नाश्ता किए कक्षाओं में आ जाते हैं, जिससे उनके फोकस पर असर पड़ता है. सरकार कहती है कि वो इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन उसके सामने वित्तीय संकट है.
ग्रामीण इलाकों में पांचवी से 12वीं तक और शहरी इलाकों में आठवीं से 12वीं कक्षाओं तक के स्कूल खुले हैं. ग्रामीण इलाकों में पहली से चौथी कक्षा और शहरी इलाकों में पहली से सातवीं तक के स्कूल नहीं खुले हैं.
पिछले साल के मुकाबले इस साल कटऑफ अधिक होने की संभावना है क्योंकि सीबीएसई की 12वीं बोर्ड परीक्षा में 70 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किया है.
दलित लेखकों की कहानियां हटाने को लेकर डीयू को अगस्त में कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. हालांकि, इसके अंग्रेजी विभाग का कहना है कि पिछले कुछ सालों में पाठ्यक्रम में बदलाव इसे अधिक समावेशी बनाने के लिए किया गया है.
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि पीएचडी की जरूरत को अस्थायी रूप से स्थगित किया जा रहा है, ताकि पद के लिए अधिक आवेदन आ सकें और रिक्तियां भरी जा सकें.
इस बार हमारे राजनीतिक भूगोल के बड़े हिस्से में चुनावी मुक़ाबले का नतीजा भले साफ नजर आ रहा हो, मगर कुछ हिस्से में यह मुक़ाबला 2019 के मुक़ाबले से भी ज्यादा तीखा है