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Friday, 3 May, 2024
होमएजुकेशनAICTE ने कहा- भविष्य में आर्किटेक्चर में एडमिशन के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स की जरूरत नहीं

AICTE ने कहा- भविष्य में आर्किटेक्चर में एडमिशन के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स की जरूरत नहीं

AICTE ने कहा, आने वाले समय में आर्किटेक्ट में दाखिले के लिए, भौतिकी, रसायन शास्त्र, और गणित अनिवार्य नहीं फैशन टेक्नोलॉजी और पैकेजिंग टेक्नोलॉजी के पाठ्यक्रमों के लिए भी पीसीएम को अनिवार्य नहीं बनाया गया है. मंगलवार को जारी अप्रूवल प्रोसेस 2022-23 में AICTE ने यह बात कही है.

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नई दिल्ली: आर्किटेक्चर में दाखिले के लिए अब भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित विषय अनिवार्य नहीं होंगे. तकनीकी शिक्षा के लिए नियामक संस्था, ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) ने मंगलवार को जारी अप्रूवल प्रोसेस 2022-23 में यह नई जानकारी दी है.

पिछले साल काउंसिल ने घोषणा की थी कि जिन छात्र-छात्राओं ने 12वीं कक्षा में भौतिकी, रसायन शास्त्र या गणित विषय की पढ़ाई नहीं की है वह भी इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी प्रोग्राम में दाखिला ले पाएंगे. इस घोषणा के बाद काफी हंगामा हुआ था. काउंसिल की ओर से इस साल जारी अप्रूवल प्रोसेस में उन पाठ्यक्रमों की पहचान की गई है है जिनमें इस तरह की छूट दी जाएगी. इनमें आर्किटेक्ट, फैशन टेक्नोलॉजी, और पैकेजिंग टेक्नोलॉजी के पाठ्यक्रम शामिल हैं.
अप्रूवल बुक तकनीकी संस्थानों के लिए ज़रूरी मानकों का एक दस्तावेज होती है. संस्थान को काउंसिल से मंजूरी पाने और उसे बनाए रखने के लिए इन मानकों को पूरा करना ज़रूरी है.

AICTE के प्रमुख अनिल सहस्रबुद्धे ने दिप्रिंट को बताया, ‘एक कमिटी ने यह सुझाव दिया कि किन पाठ्यक्रमों में पीसीएम (भौतिकी, रसायन शास्त्र और गणित) छोड़े जा सकते हैं, और इसके आधार पर हमने इस साल की अप्रूवल बुक में उन पाठ्यक्रमों का जिक्र किया है.’ काउंसिल के सूत्रों के मुताबिक, अगले साल पाठ्यक्रमों की सूची जोड़ी जाएगी.
इन तीन चुने गए पाठ्यक्रमों में, अब पीसीएम की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. इनकी जगह पर स्कूल में पढ़ाए जाने वाले विषयों की सूची दी गई है. 12वीं की परीक्षा पास करने वाले ऐसे छात्र जो इन विषयों में से किन्ही तीन विषयों में पास हों वे इन प्रोग्राम में दाखिला लेने के योग्य होंगे.

भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित के अलावा, अन्य विषयों में शामिल हैं: कंप्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, जीव विज्ञान, इंफॉर्मेटिक्स प्रैक्टिसेस, जैव प्रौद्योगिकी (बायोटेक्नोलॉजी), तकनीकी व्यावसायिक विषय, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, बिजनेस स्टडीज और उद्यमिता.


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गिफ्टेड और टैलेंटेड

इसके अलावा, काउंसिल ने उसकी ओर से मंजूरी मिले संस्थानों में, इस साल ‘गिफ्टेड और टैलेंटेड’ छात्र-छात्राओं के लिए अतिरिक्त सीटें बढ़ाने का प्रावधान किया है.

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए इस दस्तावेज़ में कहा गया है, ‘AICTE की ओर से मंजूरी मिले संस्थानों में गिफ्टेड और टैलेंटेड छात्र-छात्राओं के दाखिले के लिए दो अतिरिक्त सीटें दी जाएंगी, ताकि उनका सशक्तिकरण हो पाए, इससे एनईपी की सिफारिशों के अनुरूप ऐसे छात्र-छात्राओं का मनोबल बढ़ेगा और उन्हें विशेष अवसर मिलेंगे.’

दस्तावेज में कहा गया है, ‘AICTE, बढ़ाई गई सीटों पर गिफ्टेड और टैलेंटेड छात्र-छात्राओं के दाखिले को लेकर नियम बनाएगी और दाखिले का अंतिम निर्णय AICTE की ओर से किया जाएगा.’

इस प्रावधान के बारे में सहस्रबुद्धे ने दिप्रिंट को बताया, ‘ऐसे छात्र-छात्राएं जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड हासिल किया हो या अपने राज्य या देश की ओर से विज्ञान से जुड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लिया हो, और कोई विशेष अवार्ड जीता हो, उन्हें गिफ्टेड और टैलेंटेड छात्र-छात्रा की श्रेणी में रखा जाएगा.’

उन्होंने कहा कि काउंसिल ने कॉलेजों से कहा है कि इन सीटों पर मुफ्त में ऐसे छात्रों का दाखिला लें, ताकि इन बढ़ाई गई दो अतिरिक्त सीटों को भरने के लिए कॉलेज की ओर से कोई ‘बैकडोर एंट्री’ न की जाए.

इस साल की अप्रूवल प्रोसेस में, अगले दो सालों तक नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर लगी रोक को बरकरार रखा गया है. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद में दिसंबर में जानकारी दी थी कि काउंसिल ने रोक जारी रखने का फैसला किया है.
काउंसिल ने कहा है कि अतिरिक्त सीटों और नए संस्थान की मंजूरी, विकसित हो रहे क्षेत्रों जैसे कि 3डी प्रिंटिंग, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग वगैरह के लिए ही दी जाएंगी.

काउंसिल ने उच्च नामांकन वाले संस्थाओं को क्षमता से 25 फीसदी ज्यादा छात्रों का दाखिला लेने की अनुमति दी है. जिन संस्थाओं में 95 से 100 फीसदी तक नामांकन है वहां पर क्षमता से 25 फीसदी ज्यादा, 80-95 फीसदी नामांकन वाले संस्थानों के लिए क्षमता से 15 फीसदी ज़्यादा छात्रों के दाखिले की अनुमति दी गई है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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