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Tuesday, 23 April, 2024
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DU में प्रवेश का नया नियम- 12वीं में 40% अंक, फिर 17 डोमेन विषयों के विकल्प के साथ कॉमन टेस्ट

अब तक, दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में प्रवेश आम तौर पर बोर्ड परीक्षा में हासिल अंकों के प्रतिशत के आधार पर होता था. नए पैरामीटर में छात्रों को स्ट्रीम स्विच करने की आजादी हासिल रहेगी.

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नई दिल्ली: 2022-23 के शैक्षणिक सत्र से दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के कॉलेजों में स्नातक प्रवेश केवल कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के अंकों के आधार पर होगा. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने घोषणा की है कि सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी यही प्रवेश प्रक्रिया अपनाएंगी.

नई व्यवस्था में भी छात्रों को स्ट्रीम बदलने की सुविधा बरकरार रहेगी, जिसका मतलब है कि विज्ञान के छात्र आर्ट्स या कॉमर्स स्ट्रीम में जाने का विकल्प चुन सकते हैं, कॉमर्स के छात्र आर्ट्स में जा सकते हैं और आर्ट्स के छात्र कॉमर्स में स्विच कर सकते हैं. हालांकि, कॉमर्स और आर्ट्स संकाय के छात्र साइंस में जाने का विकल्प नहीं चुन पाएंगे.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली यूनिवर्सिटी ने 17 मार्च को अकादमिक परिषद (एसी) की बैठक में निर्णय लिया था कि उम्मीदवारों को यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की योग्यता हासिल करने के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से न्यूनतम 40 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है. उस बैठक में लिए गए फैसलों के मसौदे पर अकादमिक काउंसिल की मौजूदा बैठकों में समीक्षा की जा रही है.

डीयू के सूत्रों ने बताया कि काउंसिल ने टेस्ट के लिए 17 डोमेन-विशिष्ट विषयों पर भी फैसला किया, जो कॉलेजों में पाठ्यक्रमों की उपलब्धता पर निर्भर करेगा.

अब तक, डीयू के कॉलेजों में प्रवेश आमतौर पर कट-ऑफ के आधार पर होता रहा है, जो पिछले साल शीर्ष कॉलेजों में कुछ विषयों के लिए 100 फीसदी तक पहुंच गया था.

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2020 में आई केंद्र की नई शिक्षा नीति में हायर एजुकेशन के लिए एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का प्रस्ताव रखा गया था. 2021 में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट संबंधी दिशानिर्देश तय करने के लिए यूजीसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाई थी लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे अमल में नहीं लाया जा सका. इस महीने, यूजीसी ने सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीयूईटी के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया.

सीयूईटी से हाई कट-ऑफ से होने वाली समस्या पर काबू पाया जा सकेगा और सभी छात्रों को प्रवेश का एक समान अवसर मिल सकेगा.

सीयूईटी के लिए दिशानिर्देश जहां यूजीसी की तरफ से बनाए गए हैं, वहीं उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए बनी एक स्वायत्त एजेंसी राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को प्रश्न पत्र तैयार करने और परीक्षा के आयोजन का प्रभार सौंपा गया है.

इस बीच, डीयू ने पिछले महीने सीयूईटी के लिए आठ सदस्यीय एनटीए समन्वय समिति गठित की है. समिति के अध्यक्ष रजिस्ट्रार विकास गुप्ता हैं और संयोजक डीन (परीक्षा) डी.एस. रावत को बनाया गया है.


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प्रश्न पत्र के तीन खंड होंगे

दिप्रिंट को प्राप्त सीयूईटी परीक्षा पैटर्न के ब्लूप्रिंट के मुताबिक, प्रश्न पत्रों को तीन खंडों में बांटा जाएगा.

पहला खंड एक लैंग्वेज टेस्ट होगा, जिसके लिए छात्रों के पास 13 भाषाओं में से एक को चुनने का विकल्प होगा, जिसमें असमिया, बंगाली, अंग्रेजी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू शामिल हैं. प्रश्न अन्य बातों के अलावा पढ़ने की समझ, बोलने की क्षमता और व्याकरण पर आधारित होंगे.

दूसरे खंड में छात्रों को एक से चार डोमेन-विशिष्ट विषयों, जैसे एकाउंटिंग, बुककीपिंग, इतिहास, अर्थशास्त्र या भूगोल पर प्रश्नों का उत्तर देना होगा.

पेपर के तीसरे खंड में दो उपखंड होंगे. पहला खंड वोकेशनल और ओपन एलिजिबिलिटी प्रोग्राम्स के लिए एक जनरल टेस्ट होगा, जहां छात्रों के सामान्य ज्ञान, करेंट अफेयर्स के बारे में जागरूकता, सामान्य मानसिक क्षमता और तार्किक और विश्लेषणात्मक तार्किकता आदि का टेस्ट होगा. वहीं, दूसरा उप-खंड एक अतिरिक्त भाषा परीक्षा से जुड़ा होगा. इसमें फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन, कोंकणी, बोडो, नेपाली, फारसी, इतालवी, तिब्बती, जापानी जैसी 13 भाषाओं में से किसी एक में छात्रों के ज्ञान की परीक्षा ली जाएगी. हालांकि, यह उप-खंड वैकल्पिक है.


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स्विच करने की होगी अनुमति

दिप्रिंट को मिले डीयू एकेडमिक काउंसिल की 17 मार्च की बैठक के एजेंडे और मिनट्स के मुताबिक, छात्रों को अपनी पढ़ाई की स्ट्रीम बदलने की सुविधा मिलती रहेगी.

डीयू की ड्राफ्ट सीयूईटी गाइडलाइन के मुताबिक, उम्मीदवारों को केवल उन विषयों के लिए ही सीयूईटी के लिए शामिल होना होगा, जिनके साथ उन्होंने 12वीं कक्षा की परीक्षा पास की है.

उदाहरण के तौर पर जो छात्र बॉयोलॉजिकल साइंस ऑनर्स के साथ बीएससी में एडमिशन लेना चाहते हैं, उन्हें फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी या बायोटेक्नोलॉजी जैसे विषयों के साथ प्रवेश परीक्षा देनी होगी. इसी तरह, केमेस्ट्री ऑनर्स के लिए आवेदन करने वाले छात्रों को फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स का विकल्प चुनना होगा.

सीयूईटी के लिए यूजीसी की गाइडलाइन से डीयू ने पेपर के दूसरे खंड के लिए 17 डोमेन-विशिष्ट विषयों को चुना है. ‘बी-1’ नामक इस लिस्ट में अकाउंट्स, बायोलॉजी, बिजनेस स्टडीज, केमिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस, इकोनॉमिक्स, जियोग्राफी, हिस्ट्री, होम साइंस, लीगल स्टडीज, मैथ्स, फिजिक्स, पॉलिटिकल साइंस, साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी, एंथ्रोपोलॉजी और संस्कृत शामिल हैं.

डीयू अधिकारियों की तरफ से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, एनटीए इस सूची में दस अतिरिक्त विषयों को शामिल कर सकता है, जिसमें फिजिकल एजुकेशन, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, फाइन आर्ट्स, भारतीय ज्ञान पद्धति, कॉमर्शियल आर्ट्स, परफॉर्मिंग आर्ट्स, उद्यमिता, शिक्षण योग्यता, मास मीडिया और एग्रीकल्चर शामिल हैं. इन्हें ‘बी-2’ श्रेणी में रखा गया है.

विषयों की विस्तृत रेंज स्ट्रीम बदलने को आसान बनाती है.

उदाहरण स्वरूप, सीयूईटी के लिए गाइडलाइन के मसौदे के मुताबिक, अंग्रेजी ऑनर्स में प्रवेश के इच्छुक छात्र को ‘सेक्शन-1 से अंग्रेजी और बी1+ से कोई भी दो विषय और बी-1 या बी-2 से कोई एक विषय’ चुनना होगा. इसका मतलब है कि 12वीं कक्षा में विज्ञान या कॉमर्स की पढ़ाने करने वाला कोई छात्र उन विषयों (अंग्रेजी के साथ) में सीयूईटी पास कर सकता है और फिर भी अंग्रेजी में प्रवेश ले सकता है, जो एक आर्ट्स सब्जेक्ट है.

इसे एक अन्य उदाहरण से भी समझ सकते हैं, विज्ञान का कोई भी छात्र अंग्रेजी (ऑनर्स) में प्रवेश के लिए सीयूईटी के तहत अंग्रेजी, बॉयोलॉजी, केमेस्ट्री और फिजिक्स की परीक्षा दे सकता है. इसी तरह एक कॉमर्स का कोई छात्र यदि अंग्रेजी ऑनर्स में स्विच करना चाहता है, वह अंग्रेजी, एकाउंट्स, इकोनॉमिक्स और बिजनेस स्टडीज में परीक्षा दे सकता है.

लैग्वेज डिग्री कोर्स के लिए छात्रों को प्रवेश परीक्षा में उस भाषा के लिए अनिवार्य रूप से शामिल होना होगा.


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सीयूईटी नियमों में मामूली बदलाव

कुलपति योगेश सिंह ने बताया, यद्यपि दिल्ली यूनिवर्सिटी ने यूजीसी की तरफ से जारी अधिकांश सीयूईटी दिशानिर्देशों को अपनाया है लेकिन यूनिवर्सिटी की जरूरतों और व्यवस्थाओं के अनुरूप कुछ बदलाव किए गए हैं.

उदाहरण के तौर पर, यूजीसी दिशानिर्देशों के मुताबिक आदर्श स्थिति में छात्रों को तीसरे सेमेस्टर के अंत में अपने मेजर और माइनर विषयों की घोषणा करनी होगी. हालांकि, डीयू में छात्रों को प्रवेश के समय ही अपने मेजर और माइनर विषयों की घोषणा करनी होगी. वीसी ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी के पास उपलब्ध सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है.

योगेश सिंह ने कहा, ‘छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया के दौरान ही अपने मेजर सब्जेक्ट के बारे में स्पष्ट तौर पर बताने की आवश्यकता होगी, ताकि उन्हें उस कॉलेज में प्रवेश दिया जा सके जो चयनित कोर्स के लिए सर्वोत्तम सुविधाएं प्रदान करता हो. हालांकि, हमने माइनर सब्जेक्ट के चयन के साथ कुछ फ्लेक्सबिलिटी रखी है. छात्र चाहें तो उन्हें अपनी शिक्षा अवधि के दौरान बदल सकते हैं.’

17 मार्च की अकादमिक काउंसिल की बैठक में एक और निर्णय लिया गया कि कुलपति के पास एनटीए द्वारा निर्धारित किसी भी अन्य बदलाव के मामले में प्रवेश प्रक्रिया में थोड़ा-बहुत बदलाव करने का अधिकार होगा.

सीबीएसई की 12वीं कक्षा के नतीजे जून 2022 में घोषित होने हैं. यद्यपि सीयूईटी की तारीखें घोषित किया जाना अभी बाकी है, यूजीसी की ओर से जारी एक पब्लिक नोटिस के मुताबिक, स्नातक परीक्षा के लिए आवेदन की प्रक्रिया अप्रैल 2022 के पहले सप्ताह से शुरू हो जाएगी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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