जनरल मनोज पांडे ने खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) को सेना की प्राथमिकता वाले क्षेत्र करार दिया जिसमें अग्रिम क्षेत्रों में मोबिलिटी सुविधा बढ़ाना, एआई और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन शामिल है.
सैन्य इतिहासकार कर्नल एन. एन. भाटिया (सेवानिवृत) कहते हैं कि संरचनात्मक, कमान और साजो सामान से जुड़े समस्याओं ने चीनी हमले का प्रतिरोध करने में बाधा पहुंचाई, फिर भी हमारे सैनिकों ने पूरी वीरता के साथ पहले रक्षा और फिर जवाबी हमले को अंजाम दिया.
रक्षा मंत्रालय ने इसी साल कुछ समय पहले 'आत्मनिर्भरता' वाले रास्ते के जरिए 4 लाख से अधिक क्लोज-क्वार्टर बैटल कार्बाइन खरीदने के लिए भारतीय थल सेना की परियोजना को मंजूरी दी थी.
युद्ध से पहले हुई मुठभेड़ों की पूरी श्रृंखला के तहत अगस्त-सितंबर 1962 में थगला रिज पर हुआ चीनी कब्ज़ा भी शामिल था, जिसके बाद भारत ने उन्हें वहां से बलपूर्वक, यदि जरूरत पड़ी तो, हटाने के लिए ऑपरेशन लेगॉर्न शुरू किया.
1962 में गलवान की घटना को युद्ध छिड़ने की वजह माना जाता है, वहीं तमाम लोग इसे दलाई लामा के तिब्बत से पलायन के बाद 1959 से भारत-चीन के बीच जारी राजनयिक टकराव का अपरिहार्य नतीजा मानते हैं.
मिश्मी और मेयर आदिवासियों ने 1962 के युद्ध में एलएसी के पास वालोंग की लड़ाई में भारत का साथ दिया था. भारत-चीन संबंधों में दरार पड़ने के साथ-साथ युद्ध ने जनजातियों की सदियों पुरानी जीवन शैली को भी बदल दिया.
यूक्रेन में रूसी वायु सेना की हार भारतीय वायुसेना के लिए मुश्किल सवाल खड़े करती है. तीन भाग की सीरीज के पहले भाग में, दिप्रिंट भारतीय वायुसेना के उपकरणों और सिद्धांत के लिए यूक्रेन युद्ध से मिले सबक की पड़ताल कर रहा है.
आर्मी वाइव्स ग्रुप चीता और चेतक के बेड़े को ‘उड़ते ताबूत’ करार देते हुए इन्हें बदलने की मांग कर रहा है. रक्षा मंत्रालय ने नवंबर 2021 में एचएएल से 12 एलयूएच की खरीद को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अब ऑर्डर देने पर कदम पीछे खींचे जा रहे हैं.