scorecardresearch
Wednesday, 24 April, 2024
होमडिफेंसचीन से बढ़ता खतरा! सेना और ज्यादा एंटी टैंक मिसाइल वाले M-4 बख्तरबंद वाहन खरीदने की तैयारी में

चीन से बढ़ता खतरा! सेना और ज्यादा एंटी टैंक मिसाइल वाले M-4 बख्तरबंद वाहन खरीदने की तैयारी में

सेना गन का कैलिबर 7.62 मिलीमीटर से बढ़ाकर 20 मिलीमीटर तक करने और इसमें ऑटोमैटिक टर्ट की सुविधा होने की संभावनाओं का भी पता लगा रही है.

Text Size:

गांधीनगर: पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ चल रही तनातनी के मद्देनजर सेना ने कल्याणी समूह की पुणे स्थित डिफेंस कंपनी भारत फोर्ज को और अधिक एम-4 बख्तरबंद वाहनों का ऑर्डर दिया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इनमें से कुछ वाहनों को अब इजरायली स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) से लैस किया जा रहा है. इसकी जरूरत इसलिए भी महसूस की गई क्योंकि चीन ने पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बख्तरबंद तैनात कर रखे हैं.

सूत्रों ने बताया कि कल्याणी समूह पहले ही करीब 60 वाहन सेना को मुहैया करा चुका है. इसमें 30 वाहनों का एक बैच शामिल है जिसे संयुक्त राष्ट्र शांति सेना को उपलब्ध कराया गया है.

सूत्रों ने कहा कि पिछले साल फरवरी में ऐसे 30 से कम वाहनों के लिए ही शुरुआती ऑर्डर दिया गया था, लेकिन जल्द ही और वाहन उपलब्ध कराने का ऑर्डर दिया गया.

हालांकि, सूत्रों ने ऑर्डर दिए गए वाहनों की संख्या का खुलासा किया लेकिन साथ ही कहा कि ये ऑर्डर अलग-अलग बैच में संशोधनों के साथ पूरे किए जा रहे हैं, जो इस उत्तरी कमान के तहत उनके प्रदर्शन पर निर्भर करता है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

एटीजीएम के अलावा सेना गन का कैलिबर 7.62 मिलीमीटर से बढ़ाकर 20 मिलीमीटर तक करने और इसमें ऑटोमैटिक टर्ट की सुविधा होने की संभावनाओं का भी पता लगा रही है.

सेना को पहिए वाले बख्तरबंद वाहनों की जरूरत है जो सैनिकों को जल्द से जल्द एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने में सक्षम हों और साथ ही ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी कारगर साबित हों.

दक्षिण अफ्रीकी हथियार कंपनी पैरामाउंट ग्रुप का प्रोडक्ट एम-4 बख्तरबंद कई तरह की भूमिकाओं में सक्षम हैं. इसे आसानी से दुरूह इलाकों तक पहुंचने और बारूदी सुरंग और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के जोखिम वाले क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है.

फ्लैट-फ्लोर मोनोकॉक पेंदी वाले डिजाइन के कारण इस पर 50 किलोग्राम तक टीएनटी साइड ब्लास्ट, आईईडी और रोडसाइड बम धमाके बेअसर होते हैं. जैसा पहले बताया जा चुका है, 140 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ यह वाहन 2.3 टन का पेलोड ले जाने और करीब 800 किमी तक मार करने में सक्षम है.

ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन-इनेबल वाहन पर चालक सहित 10 सैनिक सवार हो सकते हैं और इसमें कूलिंग और हीटिंग सिस्टम है, जो इसे रेगिस्तानी और पहाड़ी दोनों ही तरह के इलाकों के लिए कारगर बनाता है.

कल्याणी समूह से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारत फोर्ज करीब 95 प्रतिशत वाहनों के स्वदेशीकरण में सक्षम है, केवल 5 प्रतिशत को ही बाहर से आयात किया जा रहा है.

सूत्रों ने बताया कि पुणे स्थित इसके संयंत्र में अभी हर साल करीब 40 वाहन बनाने की क्षमता है, और कंपनी की योजना इसे जल्द ही बढ़ाकर 100 तक करने की है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः सेना प्रमुख बोले- भारतीय रक्षा कंपनियों को अगले 7 सालों में 8 लाख करोड़ के ऑर्डर मिलेंगे


 

share & View comments