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Saturday, 30 November, 2024
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महायुति गतिरोध पर बोले अठावले — ‘बिहार मॉडल’ लागू नहीं होता, फडणवीस के दावे को नज़रअंदाज नहीं कर सकते

अठावले ने शिंदे सेना द्वारा सीएम की कुर्सी पर दावा करने को बिहार में रियायत की तरह बताए जाने से असहमति जताई, उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में महायुति ने एनडीए सहयोगियों की उम्मीदों से भी बेहतर प्रदर्शन किया है.

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में एनडीए के सहयोगी रामदास अठावले ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर बने न रहने से एकनाथ शिंदे का दुखी होना जायज़ है, लेकिन महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शानदार जीत को देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के दावे को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता.

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री अठावले ने दिप्रिंट से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जल्द ही हस्तक्षेप कर ‘गतिरोध’ को सुलझाना चाहिए क्योंकि किसी भी तरह की देरी से महाराष्ट्र में महायुति को वोट देने वालों को गलत संदेश जाएगा.

उन्होंने कहा, “हमें इस पर ज्यादा समय नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि लोग सोच सकते हैं कि सीएम के मुद्दे पर विवाद है.”

बुधवार को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शिंदे ने कहा कि उन्होंने “हमेशा एक आम आदमी की तरह काम किया, जीवन जिया” और खुद को कभी सीएम के तौर पर नहीं देखा.”

उन्होंने कहा, “मैंने मोदी-शाह से भी कहा कि आप जो भी फैसला लेंगे, मैं बीच में नहीं आऊंगा. उन्हें मेरा समर्थन मिलेगा.”

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति ने 288 में से 230 सीटें जीतकर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है.

भाजपा 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी — 88.5 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट — उसके बाद शिंदे सेना और अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी क्रमशः 57 और 41 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही.

अठावले ने कहा, “महायुति की जीत बहुत बड़ी है, हमारी उम्मीदों से भी ज़्यादा…बात यह है कि शिंदे एक लोकप्रिय नेता हैं और उन्होंने पिछले ढाई साल में अच्छा काम किया है, लेकिन भाजपा को 132 सीटें मिलीं, इसलिए भाजपा नेता और समर्थक चाहते हैं कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनें.”

2019 के विधानसभा चुनावों के बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना ने भाजपा के साथ अपने गठबंधन से बाहर निकलकर आरोप लगाया था कि शिवसेना ने बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद की मांग को मानने से इनकार कर दिया.

उस चुनाव में भाजपा ने 105 और अविभाजित शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं.

इस बार, नतीजे आने के कुछ समय बाद ही शिंदे सेना ने अपने कार्यकर्ताओं के ज़रिए संकेत दिया कि वे शिंदे को मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए देखना चाहते हैं.

उन्होंने ‘बिहार मॉडल’ का हवाला दिया, जिसका संदर्भ इस बात से था कि कैसे भाजपा ने 2020 के विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद मुख्यमंत्री का पद सहयोगी नीतीश कुमार को दे दिया.

उन्होंने तर्क दिया कि महायुति शिंदे के नेतृत्व में चुनाव में उतरी थी.

लेकिन, अठावले इससे सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा, “शिंदे को लगता है कि उन्हें एक और मौका दिया जाना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे नीतीश कुमार को. उन्हें ऐसा लगता है. समस्या यह है कि भाजपा को इतनी बड़ी संख्या मिली है, आप 57 सीटों वाली पार्टी से सीएम बनाने को कैसे सही ठहरा सकते हैं; शिंदे को पहले भी सीएम बनाया गया था.”

केंद्रीय मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि एनडीए ने 2020 के बिहार चुनावों से पहले नीतीश को अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया था, लेकिन इस बार महाराष्ट्र में ऐसा नहीं हुआ. अठावले ने कहा, “चुनाव उनके नेतृत्व में हुए थे क्योंकि वे (शिंदे) सीएम थे, लेकिन इस बात की कोई घोषणा नहीं की गई कि महायुति के सत्ता में आने के बाद भी वे सीएम बने रहेंगे.”

महायुति इस मुद्दे को कैसे सुलझाएगी? अठावले का कहना है कि मोदी और शाह दोनों शिंदे से बात करेंगे और उन्हें ‘मनाएंगे’. उन्होंने कहा, “उन्हें जल्द ही इस गतिरोध को खत्म करना होगा. मेरा सुझाव है कि फडणवीस को सीएम बनाया जाए और शिंदे को केंद्र में लाया जाए. इससे गतिरोध समाप्त हो जाएगा. हम शिंदे या फडणवीस के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अंतिम फैसला मोदी और शाह को लेना है.”

अठावले ने कहा कि उन्होंने अपने प्रस्ताव पर चर्चा के लिए अमित शाह से समय मांगा है. उन्होंने कहा, “लेकिन मुझसे ज्यादा शिंदे को पीएम मोदी और शाह से बातचीत करने की ज़रूरत है. उदाहरण के लिए भाजपा शिंदे सेना को बेहतर विभाग देने का फैसला कर सकती है या कैबिनेट में उन्हें अधिक मंत्री पद दिए जा सकते हैं.”

मंगलवार को शिंदे ने राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे पिछली विधानसभा भंग हो गई. राज्यपाल ने उनसे कहा कि वे नए मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहें, जैसा कि नियम है.

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा गढ़े गए नारे ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के बारे में पूछे जाने पर अठावले ने कहा कि यह किसी एक समुदाय के खिलाफ नहीं है.

उन्होंने कहा, “नारा बस इतना था कि हम सभी को एकजुट रहना चाहिए. इसका मतलब यह नहीं था कि सभी हिंदू एकजुट रहें. यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि ‘एक हैं तो सेफ हैं’, जिसका मतलब है कि अगर भारतीय एकजुट हैं, तो पाकिस्तान और चीन जैसे देश हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. नारा था, भारत और मोदी में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को एक साथ आना चाहिए. इसलिए इससे हमें चुनावों में मदद मिली.”

(इस बातचीत को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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