गंगा की सिमटती लहरों से आबाद हुआ संगम तट मकर संक्रांति तक एक अस्थायी शहर में तब्दील हो जाता है, यह आस्था के साथ लाखों लोगों की रोजी-रोटी का भी संगम है.
लगभग सवा दशक पहले दिवंगत हो चुके कांशीराम पर डॉक्यूमेंट्री अंदाज़ में बनी एक फिल्म को अगर दो दिन में दो लाख लोगों ने देख लिया, तो इसे एक असाधारण घटना माना जाएगा.
पेरुमाल मुरुगन का ’नर-नारीश्वर’ मानव मन की भीतरी परतों को पड़ताल करता है, साथ ही वह बच्चे की चाह में गारंटी के साथ बच्चा देने का वादा करने वाले फैलते बाज़ार में आज के युगलों पर भी तंज़ करता है.
डिजिटल संप्रभुता सिर्फ सरकारी क्लाउड सिस्टम तक सीमित नहीं रह सकती. इसे नेटवर्किंग, सीडीएन, एआई और सुरक्षा की उन परतों तक फैलना होगा, जो पूरी अर्थव्यवस्था में गहराई तक फैली हुई हैं.