फरवरी का महीना है. यानी कि बसंत है. फ़िज़ा में एक अलग महक, प्रकृति प्रेमियों का सबसे प्यारा महीना और प्रेमियों के इज़हार का असल वक़्त. काफी कुछ है इस महीने में करने को. प्रेम की मुकम्मल यात्रा का खूबसूरत पड़ाव है बसंत.
दलित पैंथर आंदोलन की गतिविधियों की दृष्टि से मई 1972 से लेकर जून 1975 तक की अवधि सबसे महत्वपूर्ण थी. इस काल में दलित पैंथर आंदोलन ने तूफान-सा बरपा दिया था.
हमारे देश में एक इलाका ऐसा भी है, जहां हिंदू होने के बाद भी आबादी के एक हिस्से को दाह संस्कार से वंचित होना पड़ रहा है और यह उस तबके की कहानी है जिसे श्मशान घाट का राजा माना जाता है.
कृष्ण बलदेव वैद की लेखनी में मनुष्य जीवन के नाटकीय सन्दर्भों की गहरी पहचान है. अपनी रचनाओं में उन्होंने सदा नए से नए और मौलिक-भाषाई प्रयोग किये हैं जो पाठक को 'चमत्कृत' करते हैं.
केंद्रीय मंत्री प्रह्ललाद पटेल ने कहा, 'रहीम आज भी सामयिक हैं. ऐसा बहुत कम जगह देखा जाता है कि जहां युद्ध लड़ा जाए वहां कला, संस्कृति हो. अगर ऐसा होता है तो यह बेहतर बात है.'
एक भ्रमित करती न्यूज़ रिपोर्ट ने महात्मा गांधी के पुरस्कार जीतने के मौके को क्षीण कर दिया. इसके बाद 1948 में उन्हें ओस्लो जरूर बुलाया जाता अगर नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या न की होती.