छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में इन स्कूलों की कहानियां बताती हैं कि सरकारी शिक्षक यदि सही ढ़ंग से अपनी डयूटी निभाएं तो सरकारी स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है.
स्कूल में दाखिल होते ही हर कक्षा में बच्चों द्वारा हाथ से बनाई कई कलाकृतियां चारों तरफ नज़र आती हैं. खास तौर से बच्चों द्वारा बनाई गई सुंदर बांस की टोकरियों जैसी चीजें.
बड़ी बात ये है कि भाजपा और आरएसएस वाले भले ही स्वदेशी का राग अलापते हैं, बावजूद इसके देश में 90 प्रतिशत लोग होली मनाने के लिए चाइनीज़ रंगों पर आश्रित हैं.
शायद ही देश के किसी यूनिवर्सिटी कैंपस में जेएनयू की तरह प्रेम और सद्भाव के वातावरण में होली खेली जाती हो. सब धाराओं-विचारधाराओं के स्टूडेंट्स मिलकर होली के रंग बिखेरते हैं.
शिक्षण पद्धति और कई गतिविधियों से रायगढ़ जिला परिषद प्राथमिक मराठी स्कूल दिवील में लड़कों से ज्यादा लड़कियां अपनी जिम्मेदारी या नेतृव्य क्षमता सब में आगे.
आज जब भारत में कोरोनावायरस से दो मौतों हुईं हैं और दुनियाभर में यह वायरस फैल रहा है ऐसे में डॉक्टर कोटनिस ने आज से लगभग आठ दशक पहले चीन में पीड़ित सैनिकों की सेवा करते हुए जिस तरह अपनी जिंदगी समर्पित कर दी, उसके लिए चीन आज भी उनका एहसान मानता है.
समाज में बढ़ते विरोध के बाद आनंदी ने कहा मैं सिर्फ डॉक्टरी की शिक्षा के लिए अमेरिका जा रही हूं, मेरी इच्छा नौकरी करने की नहीं बल्कि लोगों की जान बचाने की है.
सफल आदमी को अपना संघर्ष खुद लिखने की आजादी होती है. असफल का संघर्ष कोई सुनना नहीं चाहता और सफल के असफल अनुभव भी रोचक लगते हैं. बारहवीं फेल होना आज मनोज शर्मा का यूएसपी बन गया है.
व्यवस्था पर सवाल उठाते ही व्यक्ति का गुम हो जाना और उसकी गुमशुदगी को सांप्रदायिक लिवास में उढाना और ये दिखाना कि सबकुछ सामान्य है....यही चंदन पाण्डेय की उपन्यास 'वैधानिक गल्प' के लिखने की बैचेनी को दर्शाता है.
एक समय था जब भारतीय लोग तकनीक के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी होने का सपना देखते थे. अब, चीनी इतने आगे हैं कि वे हमें प्रतिस्पर्धी भी नहीं मानते. यह उनके और अमेरिका के बीच की बात है.