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Wednesday, 1 May, 2024
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‘मर्दों की कामुकता नहीं जाती, इसलिए औरतों में आते हैं भूत’- प्रेत बाधा दूर करने वाले बाबा

नजफगढ़ में एक किराए के प्लॉट में भूत-प्रेत दूर करने का धाम चला रहे शनि भक्त मनू भैया के यहां झाड़-फूक कराने हजारों लोग पहुंचते हैं.

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नजफगढ़: इंटरनेट के जमाने में कई लोगों को ये बात अचंभित कर सकती है कि 74 फीसदी साक्षरता वाले देश के गांवों और कस्बों में भूत भगाने वाले बाबा अभी भी मौजदू हैं. ये बाबा न सिर्फ अपने व्यवसाय से मोटी कमाई कर रहे हैं बल्कि डिजिटल माध्यम जैसे टिकटॉक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब इनके फलने-फूलने में सहायता कर रहे हैं. इनके धामों पर आने वाले ‘भूत’ भी सोशल मीडिया के लाइक्स, कमेंट और लव रिएक्शंस से प्रभावित या ईर्ष्या महसूस कर रहे हैं.

ऐसी ही कहानी है दिल्ली से सटे नजफगढ़ में एक किराए के प्लॉट में भूत-प्रेत दूर करने का धाम चला रहे शनि भक्त मनू भैया की. गुरुवार 20 फरवरी को इस धाम पर 300 से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए हैं. आंगन के बीचों-बीच कई औरतों के पेटिकोट और ब्लाउज सूख रहे हैं. चाय-बिस्किट की दुकान पर मनू भैया का इंतजार करते लोगों के चेहरों पर अजीब किस्म की बेचैनी है.

माथे पर राख की भभूती लगाए लोगों को पार करते हुए हम अंदर सभा में पहुंचते हैं. जैसे ही मनू पंडाल में दाखिल होते हैं, महिलाएं और आदमी उनकी ओर आशा से देखते हैं और हाथ जोड़कर कुछ भुनभनाने लगते हैं.

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मनू भैया का घर जहां लोग भूत-प्रेत बाधा दूर करने पहुंचते हैं | फोटो मनीषा मोंडल

मनू खुद को पारंपरिक झाड़ा करने वाले किसी बाबा की तरह नहीं देखते. वो कहते हैं, ‘मैं भूतों द्वारा प्रताड़ित महिलाओं का भाई हूं. इसलिए मेरा नाम मनू बाबा नहीं, मनू भैया है.’ मनू न ही लंबे दाढ़ी-बाल रखते हैं और न ही भगवा या सफेद पोशाक पहनते हैं. कुर्ता-पाजमा और सलीके से कटे हुए बाल, परफेक्ट इन्सटा लुक की तरह.

अपने इस भूत भगाने वाले व्यवसाय को वो प्रार्थना और सेवा का नाम देते हैं. महाराष्ट्र से आए 33 वर्षीय रवि 3 साल पहले यूट्यूब पर भूत-प्रेत के बारे में खोज रहे थे और तब उनकी नजर मनू भैया के चैनल पर पड़ी. उसके बाद से वो सैकड़ों लोगों को इस धाम पर ला चुके हैं. पहले कोई यूट्यूब वीडियो देखता है, फिर वो धाम पर आता है और उसके बाद अपने आस-पास के लोगों यहां लाने लगता है.

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ऐसा देखा गया है कि गांव-देहात में चलने वाले इस तरह के धाम पुलिस और प्रशासन की सांठ-गांठ से चलते हैं. इन डेरों में महिलाओं की भारी संख्या भी हैरान करने वाली है. गुरमीत राम रहीम हो या आसाराम, महिला अनुयायियों की संख्या अभूतपूर्व रही है. ये महिलाएं राजनीतिक सभाओं या पंचयातों का हिस्सा कम ही बन पाती हैं लेकिन धामों के सत्संगों में शामिल होने की अनुमति आसानी से मिल जाती है. मनू के धाम पर आए लोगों में 80 फीसदी महिलाएं हैं. वो भी तब जब पिछले कुछ सालों में संत रामपाल, राम रहीम और आसाराम जैसे बड़े धार्मिक बाबा हत्या, बलात्कार के केसों में जेल की सजा काट रहे हैं.

भूत-प्रेत का इलाज कराने आई इन औरतों की तरह ही देश की न जाने कितनी महिलाओं को अंधविश्वास के चलते अपनी जान खोनी पड़ी है. राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों बताते हैं कि साल 2001 से 2014 तक देश में 2290 महिलाओं को चुड़ैल बताकर मार दिया गया था.

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मनू भूत प्रेत बाधा करते हुए | मनीषा मोंडल

कैसे होती है एक छोटे बाबा के तौर पर शुरुआत?

42 वर्षीय मनू के बच्चे और पत्नी इस धाम से थोड़ी दूर बने घर में रहते हैं. मनू से ‘मनू भैया’ बनने के अपने सफर के बारे में वो बताते हैं, ‘मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी से आर्ट्स और कॉमर्स की पढ़ाई कर चुका हूं. मुझे 2004 के आसपास ज्ञान का अनुभव हुआ था और मेरे माथे में दो प्रकाश की लाइनें प्रवेश की थीं. मैंने कई बार 40 दिनों की तपस्या की थी. 4 साल पहले ही मैंने लोगों की सेवा करनी शुरू की.’

ज्ञान प्राप्त करने की ये कहानी अब उनके अनुयायी मुंह जुबानी रट चुके हैं. उनके यूट्यूब चैनल शनि धाम, मनू भैया की हिस्ट्री बताती है कि ये चैनल 2013 में ही शुरू हो गया था. इस पर अब तक 1400 से ज्यादा वीडियो अपलोड किए गए हैं. आश्चर्य की बात है ज्यादातर महिलाओं में भूत आते हुए ही वीडियो बनाए गए हैं.

इस पंडाल में दुर्गा मां के साथ-साथ यीशू, मस्जिद और सिक्खों के धार्मिक गुरुओं की तस्वीरें लगी हुई हैं. मनू कहते हैं, ‘भगवान सबका एक ही है और भूत भी सारे एक ही हैं.’

भूत, जो करते हैं इन्स्टाग्राम के लाइक्स, गाते हैं जस्टिन बीबर के गाने

टिकटॉक पर वायरल हुआ कथित भूत का वीडियो हमें यहां तक ले आया, जहां भूत यूट्यूब वीडियो के लाइक्स और कमेंट्स की बात कर रहा है. मनू और उनके अनुयायियों के लिए ये चौंकाने वाली बात नहीं है. मनू कहते हैं, ‘अगर कोई टिकटॉक चलाते हुए मर गया है तो उसका भूत टिकटॉक की ही तो बात करेगा. आप तो इस बात का भी यकीन नहीं करेंगे कि हरियाणा के किसी गांव से आई लड़की का भूत जस्टिन बीबर का फैन निकला.’ कई पीड़ित परिवारों ने बताया कि कैसे भूत जबर्दस्ती इन्स्टाग्राम की तस्वीरें लाइक करवा लेते हैं.

मनू की शरण में आए ज्यादातर लोग हाथ-पैरों के दर्द, जी मिचलाना, घबराहट, बेचैनी, शरीर का टूटना, बच्चे न होने की वजहों से परेशान थे. यहां आई ज्यादातर महिलाएं कई तरह की लैंगिंक बीमारियों से ग्रस्त थीं. लेकिन इन बीमारियों से बड़ी परेशानी इनके लिए भूत की बाधा बन गई है. जो इन्हें महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान, बिहार और हरियाणा से खींच कर नजफगढ़ की सूनसान सी जगह पर बने इस धाम पर ले आई है.

हिसार की 52 वर्षीय राजबाला अपने बेटे के साथ यहां तीसरी बार आई थीं. उनका बेटा आर्मी में है और उसी ने यूट्यूब के जरिए मनू भैया को खोजा था. राजबाला को हाथ दर्द की शिकायत थी. उनके मुताबिक दो बार यहां आने से उन्हें आराम हुआ है.

एक तरफ पड़ी सैकड़ों चप्पलें, रात को सोने के इंतजाम के लिए पड़े मैले कंबलों और तिरपाल बिछाकर बैठे लोगों के उदासीन और थकाऊ चेहरे बता रहे थे कि वो इन शारीरिक बीमारियों अर्थात भूत बाधा से तंग आ चुके हैं.

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मनू भूत प्रेत बाधा कराने पहुंची महिलाएं | मनीषा मोंडल

‘पुरुषों की कामुकता की वजह से ही औरतों पर भूत आते हैं’

महिलाओं की ज्यादा तादात के बारे में मनू भैया व्याख्या करते हैं, ‘सब लोग जानना चाहते हैं कि भूत औरतों के शरीर में ही क्यों वास करते हैं? क्योंकि पुरुष कामुक होते हैं. एक अस्सी साल का बूढ़ा भी अगर गुजर जाए तो भी औरतों को वासना की नजर से देख लेता है. इसलिए भूत औरतों के शरीर में आकर रहते हैं और उन्हें भोगते हैं.’

मनू भूतों की कामुकता के बारे में विस्तार से बताते हैं, ‘अगर किसी औरत की नाभि से नीचे दर्द रहता है या पेशाब करते वक्त दर्द महसूस होता है तो ये भूत का ही लक्षण है. रात को शरीर का टूटना, या फिर हाथ-पैर में दर्द रहना. मिर्गी के बाद शरीर पर काले निशान पड़ना, बेचैनी रहना. भूत स्त्री को भोग रहा होता है.’

उस दिन सभा में आई राजस्थान की एक शादीशुदा 25 वर्षीय सुनीता को यही शिकायत थी. वो कहती हैं, ‘करीब दो साल पहले मुझे ये परेशानी शुरू हुई. सारा दिन जी घबराता रहता है. दिन हो या रात, कभी भी ओपरे-पराये का साया आ जाता है.’ उनके पास बैठी दूसरी महिलाएं इस बात की तस्दीक करती हैं कि एक स्त्री के साथ ऐसा कोई पुरुष भूत ही कर सकता है.

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पुनीत बेदी कहते हैं, ‘इन बाबाओं के पास आने के कई कारण हैं. एक तो महिलाओं के खाने में न्यूट्रीशन की भारी कमी रहती है. दूसरा समाज उनकी यौनिक इच्छाओं को दबाकर चलता है. 30-35 और 50-55 उम्र की महिलाएं अवसाद और अकेलेपन का शिकार भी हो जाती हैं. इन सबका मिश्रण कई बार डिप्रेशन का कारण भी बन जाता है. ऐसे में ये बाबा इनकी बातें सुनते हैं. एक तरह से महिलाओं को लगता है कि उनके अस्तित्व के बारे में बात तो की जा रही है. क्योंकि चिकित्सा बिरादरी कभी महिलाओं से जुड़ी शारीरिक समस्याओं को सामना ही नहीं कर पाती.’

21वीं सदी की महिलाओं का हिस्टीरिया?

21वीं सदी की इन ग्रामीण महिलाओं से बात करते हुए सांड्रा गिल्बर्ट और सुसान गुबार की लिखी किताब ‘मैड वुमन इन द ऐटिक’ यानी ‘कोठरी में बंद पागल औरत’ का खयाल आया. ये किताब विक्टोरियन समाज के दोगले चरित्र पर एक टिप्पणी है. जो समाज की घबराने या बेहोश हो जाने को औरतों की एक बीमारी बताकर उन्हें पागलखानों या कमरों में बंद कर देता था. कई हजार सालों तक इसे यूट्रस से जुड़ी बीमारी के तौर जाना जाता रहा. उस वक्त का समाज महिलाओं के ऑर्गेज्म जैसे कॉन्सेप्ट से अनभिज्ञ था. बाद में जाकर पता चला कि ये कोई बीमारी नहीं थी. इसके पीछे वजह थी महिलाओं को होने वाली सेक्शुअल फ्रस्टेशन. डॉक्टरों ने इससे निटपने के लिए ‘क्लिटोरियल ऑर्गेज्म’ का सुझाव दिया था.

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पुनीत बेदी ने कहा, ‘यौन इच्छाओं की पूर्ति न हो पाना भी इसका एक कारण है. भारतीय समाज में इसके इर्द गिर्द भी चर्चा शुरू नहीं हुई है.’

मेडिसन की दुनिया में इसे हिस्टीरिया कहा गया और इसके लक्षण भी राजस्थान से आई सुनीता को होने वाली बीमारी की तरह ही थे- जी घबराना, सांसे फूलना, डिप्रेशन, बेचैनी, भूख न लगना, नींद न आना और मिर्गी के दौरे पड़ना. 20वीं सदी तक फीमेल हिस्टीरिया बीते हुए जमाने की बात हो चुकी थी और दुनिया के बाजारों में ‘वायब्रेटर्स’ आ चुके थे.

मनू भैया के यूट्यूब चैनल पर सैंकड़ों वीडियो उपलब्ध हैं जहां महिलाओं के भूतों की बातचीत सेक्सुअल नेचर की है. ऐसे ही एक वीडियो में एक नाबालिग लड़की से मनू भैया पूछते नजर आ रहे हैं कि भूत तू इसके शरीर में कैसे घुसा? जवाब में वो लड़की कह रही है, ‘मैं इसके शरीर में वास करता हूं लेकिन मैं शिव भक्त हूं तो कभी इसकी नाभि से नीचे नहीं गया. इस जवाब पर मनू भैया भूत को शाबाशी देते हुए कहते हैं कि अच्छा है ये लड़की के शरीर को नहीं भोग रहा.’

इस धाम की वेबसाइट पर भूत-प्रेत की बाधा के अलावा आंखों की प्रॉब्लम, त्वचा रोग, कफ, अस्थमा, शारीरिक दिक्कत, पैरों में दर्द, कमर दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द और कंधों में दिक्कत को भी नकारात्मक ऊर्जा का नाम दिया गया है जिसका इलाज भी झाड़-फूक से किया जाता है.

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मनू के घर में शनि महाराज जिनकी पूजा करते लोग | मनीषा मोंडल

हर रोज आते हैं हजारों लोग, फूंकते हैं हवन क्रिया में हजारों रुपए

धाम के अंदर तीन-चार जगह साफ लिखा है कि यहां कि तस्वीरें और वीडियो बनाना मना है. मगर उसके बावजूद मनू भैया धाम के वीडियो इंटरनेट की अंधेरी गलियों में विचरण कर रहे हैं. खासतौर पर रोती-चीखती-नीचे लोट रही महिलाओं के वीडियो.

अपने व्यवसाय को डिजिटल माध्यमों पर प्रोमोट करने के सवाल पर वो कहते हैं, ‘यहां कोई भी वीडियो बना लेता है. मैं टिकटॉक पर नहीं हूं.’ लेकिन नीचे बैठे उनके एक मातहत बताते हैं, ‘हर रोज की चार-पांच वही वीडियो यूट्यूब पर जाती हैं जो मनू भैया अप्रूव करते हैं.’

सुबह के साढ़े 8 बजे से शाम के साढ़े 7 बजे तक खुले रहने वाले इस धाम में हर रोज लगभग 80 से 100 लोग रात को ठहरते हैं. बसों और ट्रेनों से लंबी दूरी तय करके आए ये लोग तीन से चार दिन तक रुकते हैं. आस-पास के इलाकों के आने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं है. शनिवार जैसे दिन को यहां भीड़ सैकड़ों से हजारों में तब्दील हो जाती है.

मनू भैया प्रचार करते हैं कि उनके यहां सब फ्री है लेकिन लंगर और गंदी चादरों-कंबलों के अलावा बाकी चीजों के पैसे लगते हैं. निम्न मध्यम वर्गीय परिवार भूत-बाधा की कीमत यहां हो रही हवन क्रिया नाम की रस्म के जरिए अदा करते हैं.

एक हवन क्रिया में एक नारियल और उसके साथ थोड़ी मात्रा में पूजा सामग्री होती है. 500 रुपए में मिलने वाली ये एक सामग्री एक परिवार कई बार खरीदकर हवन कुंड के हवाले करता है.

ऐसा नहीं है कि यहां आए सभी लोग अंधविश्वासी हैं. कई लोगों के अपने शक हैं. पंजाब से अपनी मां को यहां दिखाने लाए एक नौजवान ने हमें बताया, ‘मेरी मां इंटरनेट पर इनके वीडियो देखे. उनका वहम दूर करने ही मैं यहां लाया हूं. मुझे ये पूरा फ्रॉड लग रहा है. हवन क्रिया को 10 से 20 बार करवाकर ये लोगों को अपने परमानेंट ग्राहक बना लेते हैं. राम रहीम जैसा साम्राज्य खड़ा करने की शुरुआत ऐसे ही होती है.’

वो आगे जोड़ते हैं, ‘यहां हवन कुंड के ठीक सामने एक पोस्टर टंगा हुआ है, जहां मनू भैया के बैंक अकाउंट नंबर का ब्यौरा लिखा है. इस अकाउंट में आ रहे चंदे से वह एक बड़ा धाम शुरू करेंगे जो इनका अपना होगा. जब उस धाम के लिए धनराशि पूरी हो जाएगी तो इस क्रिया में लगने वाले 500 रुपए घटाकर 10 कर दिए जाएंगे.’

देश में चल रही मंदी का इस कारोबार पर कम ही असर दिखता है. झारखंड के गिरडीह से आए एक शादीशुदा जोड़े ने यहां आने के लिए अपने महीने भर के राशन में कटौती करना पड़ता है. शादी के 15 साल बाद भी बच्चा न होने की वजह से वो आखिरी बार यहां के भभूत और आशीर्वाद आजमा कर देखना चाहते हैं.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ निम्न आय या फिर ग्रामीण लोग ही भूत-प्रेत के इस कुचक्र में फंसे हुए हैं बल्कि महंगी गाड़ियों में आए कई अलग से चमक रहे चेहरे भी भीड़ का हिस्सा थे.

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