इन 4 प्रेरक लड़कियों की कहानियों से प्रेरित होकर ग्रामीण पंजाब और हरियाणा की लड़कियां समाज में बदलाव लाने की आकांक्षा के साथ शिक्षित होने के लिए आगे आ रही हैं.
दिप्रिंट का इस बारे में राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ पर उनके संपादकीय में क्या रुख अख्तियार किए गए.
जी-5 पर रिलीज हुई इस फिल्म के गाने बहुत कमजोर लिखे गए और उनकी धुनें भी उतनी ही कमजोर बनाई गईं. सच तो यह है कि सुभाष घई ने यह फिल्म बना कर खुद अपने ही नाम पर बट्टा लगाया है.
कश्मीर पर असंख्य किताबें लिखी गईं लेकिन उनमें मौजूदा कश्मीर मौजूद नहीं था. वहां के लोगों की बात नहीं थी, आवाम की परेशानियों और मानवाधिकारों के हनन के इतने किस्से मौजूद नहीं थी. इस मायने में रोहिण कुमार की 'लाल चौक' काफी खास और अहमियत रखती है.
इन लड़कियों ने सामाजिक बंधनों को तो़कर उससे ऊपर उठकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई और अब अपने आस-पास के गांव की लड़कियों के लिए भी शिक्षा की राह आसान कर रही हैं.
बासु दा की फिल्में देश की बड़ी आबादी वाले मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती थी. उन्होंने साहित्य को अपने नज़रिए से देखा और सिनेमा के जरिए उसे और ऊंचा फलक देने का काम किया.
'द साइलेंट कू- हिस्ट्री ऑफ इंडियाज़ डीप स्टेट' में सुरक्षा और गैर-सुरक्षा प्रतिष्ठानों का बीते कुछ दशकों में कैसा काम रहा और उसका आम जिंदगियों, राजनीति, समाज पर किस तरह का असर पड़ा है, लेखक-पत्रकार जोसी जोसेफ ने उसे दर्ज किया है.
इस बजट की सुर्खी बनने लायक एकमात्र बात मिडिल-क्लास को इनकम टैक्स में दी गई राहत है और सबसे साहसिक और सकारात्मक पहलू है परमाणु ऊर्जा एक्ट और ‘सिविल लायबिलिटी ऑन न्यूक्लियर डैमेज एक्ट’ में संशोधन का इरादा.