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Tuesday, 30 September, 2025
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समाज-संस्कृति

भव्यता की हदें छूती देखने लायक फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र पार्ट वन-शिवा’

एक अच्छा टाइम पास मनोरंजन देने वाली इस फिल्म को इसकी भरपूर भव्यता के लिए देखा जाना चाहिए-परिवार के साथ, दोस्तों के साथ, बच्चों के साथ. लेकिन कहानी और पटकथा की बारीकियों पर गौर न करें, आपको निराशा ही हाथ लगेगी.

बॉलीवुड फिल्मों ने सहेजे शिक्षा के मूल्य, इन शिक्षकों ने बदल दी पढ़ने की परिभाषा

फिल्मों में अध्यापक का चेहरा बदला है और कई सारी फिल्में भी ‘गुरु’ की भूमिका में आती हैं व सिनेमाघर को ‘क्लास-रूम’ का दर्जा देकर बहुत कुछ सिखा-पढ़ा जाती हैं.

‘मोदी की तारीफ, उनके आंसू’: उर्दू प्रेस ने कहा समय बताएगा कि आज़ाद की नाटकीय विदाई में क्या BJP की कोई भूमिका थी

दिप्रिंट का जायज़ा कि हफ्ते भर की ख़बरों को उर्दू मीडिया ने कैसे कवर किया, और उनमें से कुछ ने क्या संपादकीय रुख़ इख़्तियार किया.

कला और भारतीय संस्कृति से गुथी है संस्कृत भाषा, इसी ने भारतीय सोच को बनाया बड़ा

संस्कृत से ही तो हमारी परंपराओं का पोषण हुआ है. उन परंपराओं का, जिनमें वैदिक, उपनिषद और तमाम पौराणिक, सामाजिक और आर्थिक साहित्य लिखा गया. कौटिल्य का अर्थशास्त्र, वेद, उपनिषद्, गीता, सभी संस्कृत में ही लिखे गए हैं.

पश्चिम से प्रभावित है नॉर्थईस्ट का म्यूजिक, पापोन बोले-कोरिया की तरह कल्चरल रेवोल्यूशन की जरूरत है

अंगराग 'पैपोन' महंत का कहना है कि यहां का संगीत अपनी पहचान की तलाश के लिए संघर्ष कर रहा है. नॉर्थईस्ट के अधिकांश गीतों में न तो वहां का कोई सार बचा है और न ही आत्मा.

क्या फूटने लगा है साउथ इंडियन फिल्मों का बुलबुला, हिंदी के दर्शकों ने ‘लाइगर’ को नकारा

साउथ से आने वाली हर फिल्म को अच्छी, उम्दा, शानदार बताने का रिवाज ‘लाइगर’ से हल्का पड़ा है. क्या हिन्दी वालों का साउथ इंडियन फिल्मों से मोहभंग हो रहा है?

‘क्या गुजरात सरकार ने बिलकीस की सुरक्षा का सोचा?’– उर्दू प्रेस की सुर्खियां अभी भी बलात्कारियों की रिहाई पर

दिप्रिंट का जायज़ा कि उर्दू मीडिया ने हफ्ते भर की ख़बरों को किस तरह कवर किया, और उनमें से कुछ ने क्या संपादकीय रुख़ इख़्तियार किया.

राज कपूर की रचनात्मकता के विस्तार का क्यों आधार था प्रसिद्ध आरके स्टूडियो

राज साहब ने समय के साथ-साथ आधुनिक तकनीक के आने के साथ, नई खोज करना और स्टूडियो में नए उपकरणों को शामिल करने का सिलसिला जारी रखा. इससे स्टूडियो न सिर्फ पीढ़ियों की गति की दर से आगे बढ़ा, बल्कि इससे स्टूडियो में काम करने वाले लोगों को भी संतुष्टि और खुशी मिली.

‘मैं संस्कृत बोलता हूं, क्या आप भी?’ गुजरात अब करेगा पहले संस्कृत साहित्य समारोह की मेजबानी

संस्कृत अब गुजरात में अपनी जगह को फिर से खोज रही है. भाषा को और अधिक सुगम बनाने के लिए अहमदाबाद में दो-दिवसीय साहित्य समारोह का आयोजन किया जाएगा.

फेवरे-ल्युबा: भारत के बाज़ार में आने वाली ‘पहली’ स्विस घड़ी जिसकी चमक स्मार्टफोन के दौर में फीकी पड़ी

स्विस विरासत घड़ी ब्रांड फेवरे-ल्युबा 70 और 80 के दशक के दौरान अच्छा कर रही थी, जिसके बाद वो बाज़ार से गायब हो गई. फिर 2011 में उसे टाइटन कंपनी ने खरीद लिया.

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तमिलनाडु विजय रैली भगदड़: टीवीके जिला सचिव मथियालगन गिरफ्तार

करूर, 29 सितंबर (भाषा) अभिनेता-राजनेता विजय के नेतृत्व वाली तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) के करूर पश्चिम जिला सचिव को 27 सितंबर को पार्टी अध्यक्ष...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.