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Thursday, 28 November, 2024
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समाज-संस्कृति

जब भगत सिंह को फांसी लगने का समय आया, तब वो लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे

भगत सिंह हरफनमौला और खुशमिजाज युवक थे. इनके साथी राजगुरु और सुखदेव भी फांसी के हुक्म से जरा विचलित नहीं हुए और किसी प्रलोभन में नहीं आए.

इतिहास और दंतकथाओं से मिल कर बनी ‘सम्राट पृथ्वीराज’ की लुभावनी कहानी

पृथ्वीराज चौहान के किरदार में अक्षय कुमार की जगह कोई और होता तो...? इस काल्पनिक सवाल को छोड़िए और देखिए कि अक्षय कुमार ने इतना भी बुरा काम नहीं किया है.

क्या कहती है भारत के जांबाज ‘मेजर’ संदीप उन्नीकृष्णन की यह कहानी

तेलुगू और हिन्दी में एक साथ बनी इस फिल्म में तेलुगू अभिनेता अडिवि शेष ने मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की भूमिका के साथ भरपूर न्याय किया है.

संगीत की चमकदार दुनिया के धुंधलके में भी कृष्णकुमार कुन्नथ (केके) ने अपनी चमक बरकरार रखी

केके भारतीय संगीत का एक ऐसा चेहरा हैं जो दूर होकर भी कहीं न कहीं हम सबमें मौजूद हैं. उनके गीतों ने एक पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया है.

धुनों पर गीत लिखने वाले गीतकार योगेश जिनके गाने जीवन के उतार-चढ़ाव से टकराते हैं

योगेश ने ज्यादातर अपने गीत संगीतकारों द्वारा दिए गए धुनों पर लिखे. आनंद से मिली सफलता के बाद उनके गीतों ने रजनीगंधा, छोटी सी बात, मंजिल, मिली, बातों बातों में जैसी फिल्मों में जान फूंक दी.

‘हिंदी की सुबह हुई’: गीतांजलि श्री के ‘रेत समाधि’ को बुकर प्राइज़ मिलना क्यों है बड़ी घटना

हिंदी जगत के लेखक, गीतांजलि श्री को बुकर पुरस्कार मिलने को भारतीय भाषाओं के लिए एक बड़ी परिघटना मान रहे हैं और कह रहे हैं कि आज हिंदी की असल सुबह हुई है वहीं स्त्री लेखन और अनुवाद के लिए भी ये सम्मान बड़ी उपलब्धि है.

वाराणसी के ज्ञानवापी से लेकर दिल्ली के कुतुब मीनार तक – ‘पूजा के अधिकार’ पर उर्दू प्रेस का फोकस

उर्दू मीडिया ने इस सप्ताह किन खबरों को प्रमुखता से छापा और अपने संपादकीय पेजों पर क्या कुछ लिखा, इस पर दिप्रिंट का राउंड-अप

खाकी कमीज और खाकी निकर से लेकर सफेद कमीज, गहरे भूरे रंग की पैंट तक RSS की वरदी का सफर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पर्व-त्योहार या सर संघचालक द्वारा सालाना भाषण के समय अथवा अनेक शाखाओं के किसी समारोह के अवसर पर उपस्थित होनेवाले सभी सदस्यों को पूरी वरदी पहननी होती है.

उत्तर-पूर्वी राज्यों की बात करती उलझी हुई फिल्म ‘अनेक’

उत्तर-पूर्व के सात राज्यों की बातें हिन्दी फिल्मों में कम हुई हैं. खासतौर से वहां की अशांति और हिंसा पर तो कायदे से कोई बात कभी हुई ही नहीं. बाकी भारत के लिए भी ये राज्य तस्वीरों में खूबसूरत और खबरों में डरावने मात्र ही रहे हैं.

कैसे भुला दी गई रेप की एक घटना- 50 साल पहले मथुरा को न्याय नहीं मिला, फिर समाज ने भी ठुकरा दिया

दिप्रिंट ने पचास साल पहले बलात्कार की शिकार और आज भी न्याय का इंतजार कर रही मथुरा के बारे में पता लगाया. हालांकि, उसके मामले ने कानूनी सुधार की राह जरूर खोली थी.

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सेना में कुकी और मेइती, एक ही इकाई में सद्भाव के साथ काम करते हैं : जनरल द्विवेदी

(फोटो के साथ) पुणे, 27 नवंबर (भाषा) सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुधवार को कहा कि सेना एक ऐसी इकाई है जो...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.