बजट दरअसल सरकार के एक साल का हिसाब- किताब है. बजट से पहले सरकार अपनी कमाई का पता लगाती है और फिर कहां कितना खर्च करना है इसके बारे में बजट में बताती है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यद्यपि मौजूदा समय में 14 सेक्टरों में लागू पीएलआई स्कीम लाभकारी रही हैं, प्रशासनिक अक्षमताओं, अनुपालन बोझ को घटाने से उद्योगों को और मदद मिलेगी.
कई प्रोजेक्ट में धीमी प्रगति के बावजूद विशेषज्ञ आशावादी हैं. उनका कहना है कि भारत ने बुनियादी ढांचे के मामले में महज न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने के बजाये भविष्य को ध्यान रखकर और नेक्स्ट लेवल के इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करना शुरू किया है, जिसमें समय लगता ही है.
इस बार यानी 2023-24 का बजट लोक सभा चुनाव के पहले का पूर्ण बजट होगा. ज़ाहिर है कि मोदी सरकार चाहेगी कि कई सारी ऐसी घोषणाएं इसमें हों जो लोक लुभावन ही नहीं, वोट खींचने वाली हों.
जल शक्ति मंत्रालय के तहत पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) 2022-23 के बजट में योजना के लिए आवंटित 60,000 करोड़ रुपये में से लगभग 60 प्रतिशत खर्च कर चुका है.
बजट 2022 में घोषित, नेशनल डिजिटल यूनिवर्सिटी को NEP 2020 के कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. हालांकि, यह शुरुआत में केवल डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स प्रदान करेगा.
दिप्रिंट ने 2019-20 में उनके कार्यकाल की शुरुआत से बजट भाषणों का विश्लेषण करने के बाद पाया कि निर्मला सीतारमण के शब्दों के चयन में वर्षों से महत्वपूर्ण बदलाव आया है.
लोकसभा की वेबसाइट के डिबेट्स सेक्शन के अनुसार, मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में कविता, दोहे, श्लोक और गजल कहने वाले सांसदों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
एक राष्ट्र, एक चुनाव के आलोचक मतदाताओं की थकान के बारे में नहीं सोच रहे हैं. जब चुनाव कई बार और लगातार होते हैं, तो शिक्षित मतदाता भी उन्हें एक अतिरिक्त छुट्टी के रूप में देखता है.