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Saturday, 20 April, 2024
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Budget 2023: रक्षा क्षेत्र में अधिक मारक क्षमता, पनडुब्बियां और ड्रोन हासिल करने पर टिकी नजरें

निजी क्षेत्र भी डिफेंस पर पूंजीगत व्यय के लिए एक उच्च बजटीय आवंटन की उम्मीद कर रहा है क्योंकि इससे अधिक सैन्य उपकरणों की खरीद का रास्ता खुलेगा.

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नई दिल्ली: नए वित्तीय वर्ष में बड़े पैमाने पर पनडुब्बियों, हल्के टैंकों और लड़ाकू विमानों की खरीद संबंधी सौदे शुरू होने की संभावना के बीच रक्षा बल और रक्षा उद्योग दोनों ही आगामी आम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए बड़े आवंटन की उम्मीद कर रहे हैं.

रक्षा एवं सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने कहा कि तीनों सेवाओं ने रक्षा मंत्रालय के सामने अपनी प्रेजेंटेशन में और अधिक धन की मांग की है, और इसे वित्त मंत्रालय के समक्ष रखा गया है.

यही नहीं, रक्षा बलों के आधुनिकीकरण कार्यक्रम के लिए एक नॉन-लैप्सेबल फंड शुरू करने की भी उम्मीद की जा रही है.

इस बीच, निजी क्षेत्र भी डिफेंस पर पूंजीगत व्यय के लिए एक उच्च बजटीय आवंटन की उम्मीद कर रहा है क्योंकि इससे अधिक सैन्य उपकरणों की खरीद का रास्ता खुलेगा.

सूत्रों ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि वन रैंक वन पेंशन योजना में संशोधन को देखते हुए पेंशन आवंटन में भारी बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इस पर 8,450 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक व्यय होने की संभावना है. इसके अलावा तीन साल की अवधि के बकाया भुगतान के लिए भी 23,638 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.

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सरकार ने 2022-23 के बजट में नए रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए पूंजी परिव्यय को 1.38 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया था.


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बड़े रक्षा सौदों की है तैयारी

सूत्रों ने बताया कि प्रोजेक्ट 75आई—जिसमें रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत छह नई पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है—नौसेना के लिए रक्षा खरीद से जुड़ा एक बड़ा कार्यक्रम है. सूत्रों ने कहा कि योजना अगले वित्त वर्ष के भीतर कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया पूरी करने और 27 राफेल समुद्री लड़ाकू विमानों की खरीद पर जोर देने से जुड़ी है.

हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि पी-75आई अटकने की स्थिति में स्कॉर्पीन श्रेणी की अधिक पनडुब्बियों के ऑर्डर का एक बैक अप प्लान भी है जैसा कि दिप्रिंट ने पहले भी अपनी कई रिपोर्ट में बताया है.

सूत्रों ने बताया कि नौसेना इस साल विशेष नौसैनिक ड्रोन की खरीद के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करेगी, इसके अलावा नई पनडुब्बियों और युद्धपोतों की मौजूदा परियोजनाओं के लिए निर्धारित पिछले भुगतान पूरे करेगी.

सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायु सेना की बात करें तो एजेंडे में अतिरिक्त लड़ाकू विमानों की खरीद पर पूरा जोर है. सरकार को यह तय करना है कि वह एमआरएफए (मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) के लिए सौदे के पक्ष में है या अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन से सीधे बात करना चाहती है.

तत्काल बड़े खर्च के बारे में पूछे जाने पर, सूत्रों ने कहा कि एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों और अतिरिक्त ब्रह्मोस मिसाइल ले जाने में सक्षम कुछ सुखोई विमानों को अपग्रेड किए जाने के अलावा कुछ अन्य मिसाइलों और ड्रोन सिस्टम की खरीद का भुगतान बकाया है.

सूत्रों ने कहा कि सेना नए वित्तीय वर्ष के दौरान आर्टिलरी गन सिस्टम और ड्रोन सहित बड़ी संख्या में नए सैन्य उपकरण सेना में शामिल करने पर विचार कर रही है. उन्होंने बताया कि रक्षा बल इस वर्ष के लिए आवंटित लगभग पूरा पैसा खर्च कर चुका है.

रक्षा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न सूत्रों ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान यह उल्लेख किया कि आधुनिकीकरण की प्रक्रिया जारी रखने के लिए एक नॉन-लैप्सेबल फंड की आवश्यकता है.

रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘कई बार भुगतान बाकी होने और डिलीवरी में देरी होने के कारण पूरा आवंटित पैसा खर्च नहीं हो पाता. इसका मतलब यह नहीं है कि पैसे की जरूरत नहीं है. एक नॉन-लैप्सेबल फंड यह सुनिश्चित करेगा कि आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में कोई बाधा न आए.’

निजी क्षेत्र ने भी लगा रखी हैं उम्मीदें

जहां बड़ी कंपनियां अधिक अनुबंधों पर नजरें गड़ाए हैं, वहीं छोटी कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि सरकार अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) को आगे बढ़ाएगी.

ग्रेन रोबोटिक्स के सीईओ-डिफेंस विंग कमांडर साई मल्लेला (सेवानिवृत्त) ने कहा, ‘हमे खुशी है कि रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास एक फोकस एरिया होगा. रक्षा अनुसंधान में निजी उद्योग को आमंत्रित किए जाने का मतलब है भारत और रक्षा निर्यात करने वाले देशों के बीच प्रतिस्पर्द्धा का बराबर मौका देना.’

ऑप्टिमाइज्ड इलेक्ट्रोटेक के सह-संस्थापक और एमडी संदीप शाह ने कहा कि वैश्विक मंदी के डर के बीच भारत विकास की राह पर बढ़ने को तैयार है.

शाह ने कहा, ‘हमें इस अवसर का उपयोग अपने पूर्ण रक्षा खर्च के साथ-साथ अपने सकल घरेलू उत्पाद के खर्च को बढ़ाने के लिए करना चाहिए.’ साथ ही जोड़ा, ‘डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) और अन्य समान संस्थाओं को दिए गए आरएंडडी आवंटन में उन स्टार्टअप्स से खरीद का भी एक बजट तय होना चाहिए जिनके पास नए उत्पाद हैं. यह उद्योग को रक्षा के लिए नवाचार में और निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा.’

क्राउन ग्रुप के मुख्य वित्तीय अधिकारी जितेंद्र मित्तल ने कहा कि रक्षा उद्योग को उम्मीद है कि बजट में रिसर्च एंड डेवलपमेंट, त्वरित सौदों, टेस्टिंग फैसिलिटी के निर्माण और डिफेंस और एयरो इंडस्ट्री में नवाचार को बढ़ावा देने के उपयुक्त माहौल तैयार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादनः आशा शाह )

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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