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Friday, 19 April, 2024
होमBud Expectationअगर महिला सशक्तीकरण की दिशा में वाकई गंभीर हैं तो महिलाओं के लिए कुछ और भी सोचिये वित्त मंत्री जी

अगर महिला सशक्तीकरण की दिशा में वाकई गंभीर हैं तो महिलाओं के लिए कुछ और भी सोचिये वित्त मंत्री जी

ऐसा कहा जा सकता है कि यह सरकार का छोटा सा प्रयास है और अगर वह वाकई महिला सशक्तिकरण की दिशा में गंभीर है तो वह आने वाले समय में कुछ और भी कर सकती है. इस दिशा में काफी गुंजाइश है.

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देश की आधी आबादी को भी अलग से बजट का इंतज़ार रहता है लेकिन बहुत वर्षों के बाद इस बार बजट में उनके हिस्से में कुछ आया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उनकी सरकार नारी सशक्तीकरण की दिशा में कदम उठा रही है. इसके बाद बजट में उन्होंने एक प्रस्ताव रखा है जिसके तहत महिलाओं को दो वर्षों के लिए दो लाख रुपये जमा करने पर साढ़े सात फीसदी ब्याज मिलेगा. इसके अलावा उन्हें इस बात की छूट मिलेगी कि वे इसमें से जरूरत पड़ने पर धन की निकासी भी कर सकती हैं. इस महिला सम्मान पत्र का नाम दिया गया है और इसकी पात्र कोई भी बालिका या महिला हो सकती है. यह एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने की दिशा में यह अभिनव प्रयास है. या यूं कहें कि फिर से एक कोशिश है. 

फिर से कोशिश शब्दों का इस्तेमाल यहां इसलिए किया जा रहा है कि एक दशक से भी पहले महिलाओं को इनकम टैक्स में छूट देने की परंपरा शुरू की गई थी और उन्हें लगभग पांच फीसदी तक की छूट मिल जाती थी. लेकिन यूपीए सरकार ने 2012 में वह व्यवस्था समाप्त कर दी. यह महिलाओं के लिए एक झटका था क्योंकि वे कामकाजी महिलाएं थीं और अपने बजट खुद बनाती थीं. यह उन्हें एक अलग से खड़े होने का अहसास कराता था. डेलॉयट इंडिया के पार्टनर सुधाकर सेतुरमण का कहना है कि महिलाएं घर का बजट बनाने में माहिर होती हैं और ऐसे में इस तरह के कदम से वे मोटिवेट होंगी और उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा. उन्हें टैक्स छूट देने से न केवल उनका बल्कि पूरे देश का भी भला होगा.


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महिलाओं के लिए वित्तीय स्वतंत्रता जरूरी

इस बात में दम है क्योंकि खर्च के मामले में महिलाएं बचत करती हैं और यही सोचकर सरकार ने यह महिला सम्मान पत्र जारी किया है. पीडब्लूसी के पूर्व नेशनल लीडर कुलदीप कुमार मानते हैं कि महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता दिलाने के लिए जरूर है कि उन्हें टैक्स में अधिक छूट दी जाये. उन्होंने कहा कि बड़ी तादाद में महिलाएं विधवा हो गईं और उनके घर का बोझ उन पर आ पड़ा. इससे उनकी वित्तीय जिम्मेदारियां बढ़ गईं. उन्हें अपने बच्चे उसी आमदनी में पालने पड़े. ऐसी महिलाओं को टैक्सों में अलग से छूट मिलनी ही चाहिए थी. 

इस बात में दम है कि अकेली कामकाजी महिला को चाहे उसके पति हो न हों या फिर वो तलाकशुदा हों, टैक्सों में छूट मिलनी चाहिए या फिर उनके लिए कुछ और खास तरह की बचत योजानाएं बनानी चाहिए. इससे वे अपना घर बेहतर तरीके से चला सकेंगी. उन्हें वित्तीय सहारा मिलेगा और वे सही मायनों में सशक्त हो सकेंगी. यह बात उन लड़कियों पर भी लागू होती है जो नौकरी कर रही हैं और अकेले घर लेकर रहती हैं. उन्हें भी कुछ सहारा मिलना चाहिए. देश में ऐसी लड़कियों की तादाद में काफी बढ़ोतरी हुई है. उन्हें पैरों पर मजबूती से खड़ा करने के लिए यह जरूरी है कि कुछ आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जाये. 

यह सच है कि महिलाओं को अब चुनाव में आरक्षण मिला हुआ है और वे उसके आधार पर पार्षद वगैरह बनती हैं. लेकिन इसके अलावा कोई और वरीयता उन्हें किसी भी क्षेत्र में नहीं मिली है. देश में जेंडर इक्वैलिटी की बातें चलती रहती हैं लेकिन कार्यरूप में या यूं कहें कि सामने कुछ होता नहीं दिखता. उनके लिए कुछ खास होता नहीं है. सरकारें इस बात से खुश हैं कि लड़कियां बहुत अच्छा रिजल्ट कर रही हैं या फिर फौज में जा रही हैं. लेकिन यह सब उनके खुद के जतन से हो रहा है. छोटे-छोटे शहरों से निकल कर लड़कियां बड़े शहरों में काम करने जा रही हैं जहां उनके लिए महंगाई बहुत है. मकान महंगे हैं और रोजमर्रा का ट्रांसपोर्ट भी. ऐसे में सिर्फ केन्द्र सरकार ही नहीं राज्य सरकारों का दायित्व बनता है कि उन्हें किसी तरह की मदद दें. दिल्ली सरकार ने तो महिलाओं की बस यात्रा को निशुल्क कर दिया है. अन्य राज्य सरकारें बेशक ऐसा नहीं करें लेकिन कुछ भार तो दूर कर सकती हैं.

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महिला सम्मान पत्र महिलाओं के लिए सही

बहरहाल लौट कर महिला सम्मान पत्र पर आते हैं. वित्त मंत्री ने आज़ादी के अमृत काल का नाम लेकर इस योजना के श्रीगणेश की घोषणा की. लेकिन अगर बारीकी से देखें तो इस महिला सम्मान पत्र में दो लाख रुपये तक बचत करने की ही बात है और वह भी साढ़े सात फीसदी तक. यह भी कहा गया है कि इस पर अलग से कोई टैक्स छूट नहीं है. यानी टैक्स रिटर्न दाखिल करने में इस पर कोई अलग से छूट नहीं है. यह भी स्पष्ट नहीं है कि पीपीएफ की तरह ब्याज पर कोई इनकम टैक्स छूट मिलेगी या नहीं. जहां तक ब्याज दरों की बात है तो यह बहुत आकर्षक तो नहीं है लेकिन अन्य बचत योजनाओं से मुकाबला करती हुई प्रतीत होती है. इसमें आंशिक निकासी का प्रावधान करके सरकार ने एक अच्छी व्यवस्था की है क्योंकि जिस वर्ग के लिए यह बनाया गया है उसके ज्यादातर पात्र कमजोर वर्ग के होंगे और उन्हें कभी भी पैसे की जरूरत पड़ सकती है. फिर एक और बात है कि इस योजना की अवधि महज दो साल है जबकि अन्य बचत योजनाओं की पांच साल होती है. इससे फायदा यह होता है कि परिपक्वता पर आवेदक को एक अच्छी रकम मिल जाती है. लेकिन कम समय के लिए निवेश करने की इच्छा रखने वाली महिलाओं को एक अच्छी रकम मिल जायेगी. बैंक बाज़ार के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं कि सुकन्या समृद्धि योजना के बाद यह एक अच्छी योजना आई है. चक्रवृद्धि ब्याज के कारण परिपक्वता के समय आवेदक को 2,31,125 रुपये मिल जायेंगे जो बैंक एफडी से कहीं ज्यादा है.

ऐसा कहा जा सकता है कि यह सरकार का छोटा सा प्रयास है और अगर वह वाकई महिला सशक्तिकरण की दिशा में गंभीर है तो वह आने वाले समय में कुछ और भी कर सकती है. इस दिशा में काफी गुंजाइश है. लेकिन ऐसा नहीं कि राज्य सरकारें सिर्फ केन्द्र पर निर्भर रहें और अपनी ओर से कोई प्रयास नहीं करें. अधिकतर मामलों में ऐसा ही दिखता है. यह सरासर ज्यादती होगी. 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. विचार निजी हैं.)


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