महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के नाम पर हमारे हाथ में आया है बेतरतीबी का नमूना बना एक ऐसा नक्शा जो इस बुनियादी सवाल का कोई जवाब ही नहीं देता कि आखिर हमारा हासिल क्या रहा.
राजनीतिक रूप से कमजोर जस्टिन ट्रूडो कनाडा के आर्थिक लाभों का त्याग करने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने जल्दबाजी में गलती की है और जल्द ही संभावित राजनीतिक हार के बाद फुर्सत में पश्चाताप करेंगे.
उत्तर के ज्यादा आबादी वाले राज्यों को लोकसभा में ज्यादा प्रतिनिधित्व मिल जाएगा. उनकी जो सामाजिक-आर्थिक स्थितियां हैं उनके चलते एक नयी तरह की राजनीति शुरू हो सकती है, मसलन भाषा नीति के मामले में.
जब पंजाबी नाखुश होते हैं तो वे अपनी सरकार को वोट से हटा देते हैं. वे सत्ता परिवर्तन के लिए मदद मांगने किसी ट्रूडो या गुरपतवंत सिंह पन्नून के पास नहीं जाते.
भारत, एक ऐसा देश जिसके पारंपरिक रूप से कनाडा के साथ अच्छे संबंध रहे हैं. लेकिन ट्रूडो के साथ यहां एक मौज-मस्ती करने वाले व्यक्ति और हमारे राष्ट्रीय हितों के दुश्मन की तरह क्यों व्यवहार किया जाता है?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि पाकिस्तान हजारों कटौती के माध्यम से जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने की अपनी रणनीति कभी नहीं छोड़ेगा. अब समय आ गया है कि सेना जंगली इलाकों पर हावी हो.
1984 में, परमार पंजाब में राजनीतिक गलत कदमों के कारण अपने निम्न-स्तरीय मार्केटिंग कैंपेन को एक आंदोलन में बदलने में सफल रहा, जिसने भिंडरावाले को सशक्त बनाया.
भारत और विदेशों में पायलट एसोसिएशनों ने यह सही तौर पर उठाया है कि रिपोर्ट को जिस तरह से तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, वह गलत है. लेकिन बहुत कम लोगों ने यह सवाल उठाया है: क्या रिपोर्ट लीक करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?