रेणुका चौधरी की मानहानि के मुकदमे की धमकी तो बस शुरुआत है. आने वाले हफ्तों में, उम्मीद है कि गांधी परिवार को इंप्रेस करने के लिए कांग्रेस के कई नेता मोदी के खिलाफ टिप्पणी करेंगे.
राहुल गांधी की सदस्यता जाने के मामले में राजनीतिक आरोप और प्रत्यारोप का दौर लंबा चलेगा और इसका असर आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है.
राज्य सत्ता के लिए, वारली, लेपचा, ओरांव और सोलिगा जैसे आदिवासियों का वैश्विक नजरिया कोई महत्व नहीं रखता, बल्कि जल्द ही वे आधुनिक युक्तिसंगत विचार और जीवनशैली, बेहतर जीवन के नाम पर उन्हें विस्थापित करने मे लगी है.
दीर्घकालिक पूंजीगत लाभों पर टैक्स में छूट को अचानक खत्म करने से पहले सरकार को टैक्स व्यवस्था में एकरूपता लाने की कोशिश करनी चाहिए थी या संसद में इस मसले पर बहस तो करवानी ही चाहिए थी.
उनकी नाराजगी के ये कारण हैं— डेरों से सिख धर्म को खतरा, ‘बंदी सिंहों’ की कैद, धर्मस्थलों को अपवित्र करने वालों के खिलाफ कार्रवाई न होना और यह कि अगर भाजपा-संघ हिंदू राष्ट्र चाहता है तो सिख राष्ट्र में क्या बुराई है?
असम के मुख्यमंत्री, हिमंत बिस्वा सरमा मदरसों को 'रेग्युलर स्कूलों' में बदलना चाहते हैं. कई मायनों में, उनके कार्य बड़े मुस्लिम समुदाय के लिए फायदेमंद होंगे.
बदली हुई परिस्थितियों में उस दुश्मनी की बर्फ तो खैर काफी हद तक पिघल गई है, लेकिन उसे 1993 की ऐतिहासिक यारी और उसकी बिना पर अपने सुनहरे दौर तक ले जाने के लिए जिस राजनीतिक विवेक की जरूरत है, सपा व बसपा के दुर्दिन में भी वह उनके नेतृत्वों में दिखायी नहीं दे रहा.
मोदी की मौजूदगी बाकी तमाम मुद्दों को एक किनारे सरका कर लोगों के दिमाग पर छा जाने के मामले में अब नाकाफी है. साधारण राजनीति वापिस आ रही है और लंबे वक्त से दबे चले आ रहे मुद्दे अब सिर उठा रहे हैं.