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Saturday, 20 April, 2024
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राहुल गांधी के निष्कासन में, मोदी-शाह ने कांग्रेस के लिए चुनावी जाल बिछाया

रेणुका चौधरी की मानहानि के मुकदमे की धमकी तो बस शुरुआत है. आने वाले हफ्तों में, उम्मीद है कि गांधी परिवार को इंप्रेस करने के लिए कांग्रेस के कई नेता मोदी के खिलाफ टिप्पणी करेंगे.

राहुल गांधी की सदस्यता गई, अब बंगला भी जाएगा – आखिर कितना लंबा चलेगा ये विवाद

राहुल गांधी की सदस्यता जाने के मामले में राजनीतिक आरोप और प्रत्यारोप का दौर लंबा चलेगा और इसका असर आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है.

वैश्विक संकट के माहौल में आदिवासियों का नजरिया नई राह दिखा सकता है, उनकी आवाज सुनी जाए

राज्य सत्ता के लिए, वारली, लेपचा, ओरांव और सोलिगा जैसे आदिवासियों का वैश्विक नजरिया कोई महत्व नहीं रखता, बल्कि जल्द ही वे आधुनिक युक्तिसंगत विचार और जीवनशैली, बेहतर जीवन के नाम पर उन्हें विस्थापित करने मे लगी है.

लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ से होने वाले लाभ को खत्म किया तो निवेशक जोखिम की राह पकड़ लेंगे

दीर्घकालिक पूंजीगत लाभों पर टैक्स में छूट को अचानक खत्म करने से पहले सरकार को टैक्स व्यवस्था में एकरूपता लाने की कोशिश करनी चाहिए थी या संसद में इस मसले पर बहस तो करवानी ही चाहिए थी.

सिखों का खालिस्तान से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन ये चार कारण हैं जिससे वो नाराज हैं

उनकी नाराजगी के ये कारण हैं— डेरों से सिख धर्म को खतरा, ‘बंदी सिंहों’ की कैद, धर्मस्थलों को अपवित्र करने वालों के खिलाफ कार्रवाई न होना और यह कि अगर भाजपा-संघ हिंदू राष्ट्र चाहता है तो सिख राष्ट्र में क्या बुराई है?

मुस्लिम बुद्धिजीवी मदरसों का बचाव करते हैं, लेकिन गरीबों और पसमांदा के बच्चे ही वहां जाते हैं, उनके नहीं

असम के मुख्यमंत्री, हिमंत बिस्वा सरमा मदरसों को 'रेग्युलर स्कूलों' में बदलना चाहते हैं. कई मायनों में, उनके कार्य बड़े मुस्लिम समुदाय के लिए फायदेमंद होंगे.

सूफी कोई धर्म नहीं है, मुहब्बत की खुशबू है, सूफी संतों व दरवेशों ने कैसे प्रेम को पंथ बनाया

मानव सेवा, प्यार-मुहब्बत और भाईचारे की मिसाल कायम करने वाले सूफी संतों, कवियों और विचारकों की हमारे देश के इतिहास में एक लंबी श्रृंखला है.

प्रशांत किशोर बिल्कुल सही हैं, मोदी की अपराजेयता हिंदुत्व नहीं बल्कि राष्ट्रवाद के कारण है

बुद्धिजीवियों के लिए मोदी के राष्ट्रवादी दावों पर हंसना आसान है लेकिन उन्हें खारिज करना बेवकूफी है क्योंकि सच्चाई यह है कि यह रणनीति काम कर रही है.

SP-BSP की अनबन ने लोहिया की जन्मभूमि में उन्हें और बाबासाहब को दशकों तक कैसे ‘दुश्मन’ बनाए रखा?

बदली हुई परिस्थितियों में उस दुश्मनी की बर्फ तो खैर काफी हद तक पिघल गई है, लेकिन उसे 1993 की ऐतिहासिक यारी और उसकी बिना पर अपने सुनहरे दौर तक ले जाने के लिए जिस राजनीतिक विवेक की जरूरत है, सपा व बसपा के दुर्दिन में भी वह उनके नेतृत्वों में दिखायी नहीं दे रहा.

चोकसी की कहानी बताती है कि कानूनी तंत्र ने लुटेरों के पुराने गढ़ों को अमीर अपराधियों का अड्डा कैसे बना दिया है

कैरिबियाई लुटेरों की उस मदमस्त दोपहर को बीते 500 साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन कहानी खत्म नहीं हुई है. यह मेहुल चोकसी की कहानी को असाधारण बनाती है.

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‘मोदी के जादू की मियाद पूरी हो गई’ यह मानने वाले भी कहते हैं कि ‘आयेगा तो मोदी ही’

मोदी की मौजूदगी बाकी तमाम मुद्दों को एक किनारे सरका कर लोगों के दिमाग पर छा जाने के मामले में अब नाकाफी है. साधारण राजनीति वापिस आ रही है और लंबे वक्त से दबे चले आ रहे मुद्दे अब सिर उठा रहे हैं.

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अदालत ने यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर को जमानत दी, चार साल बाद जेल से बाहर आए

मुंबई, 19 अप्रैल (भाषा) यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर को कथित ऋण धोखाधड़ी मामले में स्थानीय अदालत से जमानत मिलने के कुछ घंटों...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.