नरेन्द्र मोदी और उनके साथियों द्वारा नेहरू के भारत को कितना बर्बाद किया जाएगा और कितनी बर्बादियाँ अभी देखना बाकी है। एक अनुशासनहीन और बिखरे हुए विपक्ष का मतलब है कि यह सब अभी लंबे समय तक टिके रहेंगे।
ये बहुत ही अनुचित है। मीडिया यह भूलते हुए दिखाई देती है कि वो पिंक को नहीं 102 नॉट आउट को बढ़ावा दे रहे हैं। ये 2016 में था और क्या अमित जी ने इसके लिए अपनी मध्यम आवाज़ का सर्वोत्तम योगदान दिया था? कमजोर अमिताभ बच्चन।लोग उनसे बहुत ज्यादा अपेक्षा रखते हैं।
क्या महिला पत्रकार एक प्रभाशाली वृद्ध व्यक्ति के प्रभाव को तोड़ने में समर्थ हो सकती हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने एक पत्रकार के गाल खींचे या थपकी दी या यूं ही पूछ लिया कि क्या आप शादीशुदा हैं?
सरकार के लिए यह कोई असाधारण बात नहीं है कि वह अपने अंतिम या अंतिम के दो सालों में अलोकप्रिय हो। असाधारण क्या है? हमने कभी नहीं सोचा था कि यह सब,मास्टर कम्युनिकेटर नरेन्द्र मोदी के साथ होगा।
मसीहा के रूप में मोदी के मंसूबे कामयाब रहे तथा वाजपेई के अधिकतम वोट की तुलना में उन्होंने 5-7 प्रतिशत अधिक वोट जीते। लेकिन वर्तमान स्थिति के हिसाब से संतुलन बिगड़ सकता है।
कश्मीर में जो सामान्य स्थिति बहाल हुई है उसे, मुनीर के मुताबिक, उलटना जरूरी था. पहलगाम कांड की तैयारी उनके भाषण और इस हमले के बीच के एक सप्ताह में तो नहीं ही की गई, इसमें कई महीने नहीं तो कई सप्ताह जरूर लगे होंगे.