मोदी की लोकप्रियता तो बरकारार है लेकिन 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस में नई जान आ जाती है तो ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ का लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं रह जाएगा.
चूंकि अधिकतर क्षेत्रीय दलों में पीढ़ीगत बदलाव आ रहा है, लालू इन दलों की एकता की चाबी हो सकते हैं. यदि वह कोर्टे के ही मामलों में उलझे रहे, तो यह भाजपा को दी जा रही विपक्षी चुनौती को प्रभावित करेगा.
हाल के वर्षों में बलूचिस्तान में कई नए लोकतांत्रिक आंदोलन हुए हैं. पाकिस्तानी सेना यह तो नहीं चाहेगी कि कोई नई बगावत फूटे. हालांकि, अपनी ताकत को चुनौती दिए जाने की जगह वह इसे ही पसंद करेगी.