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Saturday, 15 November, 2025
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मत-विमत

मोदी जी , वाजपेयी सरकार की आर्थिक गलतियों को न दोहराएं

वाजपेयी सरकार ने खाद्य पदार्थों की कीमतों को दबाया और इसकी कीमत चुकाई. मनमोहन सिंह की सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस गलती को सुधारा और वे दोबारा सत्ता में आए.

प्रधानमंत्री ने जलमार्ग का उद्घाटन तो किया पर गाद में नहीं चल पा रहे जहाज़

गंगा में गाद की अनदेखी मंहगी पड़ रही है. 27 नवंबर को कोलकाता से मुंगेर जा रहा जहाज़ भागलपुर में फंस गया. उसे किसी तरह निकालकर वापस भेजा गया.

कैसे मैंने भारत पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग में पहले युद्धबंदी को पकड़ा!

बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान, यानी 1971 की जंग में भारत ने जिसे पहला युद्धबंदी बनाया था, आगे चलकर वह पाकिस्तानी वायुसेना का अध्यक्ष बना.

‘अफस्पा’ पर कार्रवाई और बहस अब सुप्रीम कोर्ट में नहीं, संसद में होनी चाहिए

'अफस्पा' को लेकर भारतीय सेना का डर वास्तविक है, लेकिन यह एक ऐसी लड़ाई है जो दीवानी अदालतों में नहीं जीती जा सकती है.

जो राम मंदिर बनाने की जल्दी में हैं वे इसकी क़ानूनी पे​ची​दगी नहीं समझते

सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में कहा था कि उसका कोई भी आदेश, जो पक्षकारों पर बाध्यकारी हो, कानून बनाकर निष्प्रभावी नहीं किया जा सकता.

वे कौन लोग हैं जो बाबरी मस्जिद ध्वंस को शर्म दिवस बता रहे हैं?

नब्बे के दशक में उभरा राजनीति का समाजवादी सेकुलरवाद आज लुप्तप्राय है. राष्ट्रवादी ताकतों का उभार सिर्फ सेकुलरवादी पाखंड की प्रतिक्रिया है.

एक अफसर की ज़ुबानी: कैसे उन्होंने अयोध्या को बाबरी विध्वंस के बाद उबारा

'बाबरी विध्वंस के बाद हमने वहां कानून का शासन बहाल किया, मस्जिदों की मरम्मत कराई और लोगों का ध्यान असली समस्या की ओर मोड़ने में सफलता मिली.'

बाबरी मस्जिद विध्वंस के दिन आरएसएस को क्यों याद आए आंबेडकर?

आश्चर्यजनक रूप से आरएसएस ने आज यानी छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस को याद नहीं किया. कहना मुश्किल है कि आरएसएस ने ऐसा क्यों किया?

भाजपा और आरएसएस के लिए हिंदू राष्ट्र की राह संविधान से नहीं निकलती

हिंदुत्व की मौजूदा राजनीति में राजनीतिक बहुमत की एक हिंदुत्व-अनुकूल अवधारणा विकसित किए जाने का सचेत प्रयास किया जा रहा है.

बाबरी ध्वंस ने भारत के सेक्युलर चरित्र पर ऐसी ठेस पहुंचाई कि ज़ख्म अब भी हरे हैं

आज की तारीख़ में संविधान व संवैधानिक संस्थाओं को बचाना और उसकी गरिमा को बहाल करना ही दरअसल जम्हूरियत को बचाना है.

मत-विमत

असम का एंटी-पॉलीगेमी बिल मुस्लिम महिलाओं के लिए एक बड़ा कदम है, यह समुदाय पर हमला नहीं है

अगर महिलाओं को समान इज़्ज़त देने की मांग को ‘किसी समुदाय को निशाना बनाना’ कहा जाए, तो शायद हर समुदाय को तब तक ‘निशाना’ बनाया जाना चाहिए जब तक बराबरी सबके लिए न हो जाए.

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एटा में ट्रक की चपेट में आने से बुजुर्ग मजदूर की मौत

एटा (उप्र), 15 नवंबर (भाषा) एटा जिले के राजा का रामपुर थाना क्षेत्र के तंबाकू गोदाम में चालक की लापरवाही से ट्रक की...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.