बीजिंग और नई दिल्ली दोनों में आक्रामक विवाद में कमी से पता चलता है कि दोनों देशों के राजनेताओं को एहसास है कि गेट ऑफ हेल का संकट किसी भी रणनीतिक उद्देश्य को पूरा नहीं करता है.
हम सास-बहू, पुरुषों और आलीशान हवेलियों और डेली सोप ओपेरा के रोना-धोना से थक गए हैं, जो सच में तब से आगे नहीं बढ़े हैं जब स्मृति ईरानी ने तुलसी की भूमिका निभाई थी. डीडी नेशनल पर ‘छोटकी-छटंकी, जहां चांद है और जानकी’ को देखिए.
अपने पूरे इतिहास में, असम राइफल्स ने यूरोप, मध्य पूर्व और म्यांमार में प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध सहित कई भूमिकाओं, संघर्षों और थिएटर्स में काम किया है.
मोदी लाल बहादुर शास्त्री और नरसिम्हा राव को छोड़कर सभी कांग्रेस प्रधानमंत्रियों के आलोचक रहे हैं, उनकी आलोचना इंदिरा गांधी का जिक्र काफी हद तक आपातकाल के दौरान की गई ज्यादतियों और अनुच्छेद 356 के लगातार दुरुपयोग अब तक सीमित थी.
अशोका यूनिवर्सिटी से इस्तीफा देने को मजबूर हुए अर्थशास्त्री सब्यसाची दास का 2019 लोकसभा चुनाव पर लिखा अप्रकाशित लेख ‘डेमोक्रेटिक बैकस्लाइडिंग इन द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसी’ तकनीकी दृष्टि से भारतीय चुनावों पर लिखे सर्वश्रेष्ठ लेखों में गिना जाएगा.
राकेश कुमार सिंह भदौरिया (आईएएफ), करमबीर सिंह (नौसेना), और मनोज मुकुंद नरवणे (सेना) को ताइवान के विदेश मंत्रालय द्वारा केटागलन फोरम में आमंत्रित किया गया था.
‘एक देश, एक चुनाव’ से लेकर परिसीमन और केजरीवाल के राजनीतिक खात्मे की योजना तक, मोदी-शाह के पास 2029 के चुनाव के लिए कईं एजेंडा है, लेकिन बहुत कुछ 2024 के चुनावों में भाजपा की संख्या पर निर्भर करेगा.