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Saturday, 4 May, 2024
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कांग्रेस, एनसीपी के करीब आती शिवसेना को होने लगा दक्षिणपंथ से परहेज़, जेएनयू के बहाने भाजपा निशाने पर

सामना में लिखा है, 'जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के मोर्चे पर दिल्ली में अमानवीय लाठीचार्ज हुआ. सैकड़ों विद्यार्थियों के सिर फूट गए, हड्डियां टूट गईं और खून बहा. हजारों गिरफ्तारियां हुईं.'

साये की तरह रहने वाली एसपीजी सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी क्यों कर रहा था गांधी परिवार

आखिर ऐसी क्या वजह थी कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी 2014 में केन्द्र में राजग के सत्तासीन होने के बाद से विदेश यात्राओं में अपने साथ एसपीजी कमांडो ले जाने से गुरेज़ करने लगे?

अनुच्छेद 370 के फैसले ने कश्मीर को भारत से दूर ही किया है

नरेंद्र मोदी नहीं, अमित शाह हैं भारतीय राज्य के नए चेहरे जो कश्मीरियों के दर्द और गुस्से का कारण हैं.

बीएचयू में फिरोज़ खान का उनके धर्म के नाम पर विरोध करने वाले संस्कृत के असली दुश्मन हैं

जेएनयू के छात्र जहां फीस वृद्धि के खिलाफ सड़कों पर उतरकर सरकार का दम फुला देते हैं, वहीं बीएचयू के ज्यादातर छात्र अपनी धार्मिक-साम्प्रदायिक ग्रंथियों तक से आजाद नहीं.

मोदी का नया नागरिकता कानून विभाजन के घावों को कुरेदेगा

मुहम्मद अली जिन्ना को नरेंद्र मोदी पर गर्व होगा.

आर्मी अधिकारियों को नहीं, टीवी चैनलों को कोड ऑफ कंडक्ट की ज़्यादा ज़रूरत है

हाल ही में एक टीवी चैनल पर कार्यक्रम में इंडियन आर्मी से रिटायर्ड मेजर जनरल एसपी सिन्हा ने भड़काऊ बातें बोलते हुए सारी हदें पार कर दीं.

गौतम गंभीर ही नहीं, आज तमाम सांसदों का राजनीतिक जीवन दुष्कर है

अपने क्रिकेट करियर के दौरान गौतम गंभीर को अपने विरोधियों के खिलाफ स्लेजिंग (छींटाकशी) करना पसंद था. अपने नए अवतार – पूर्वी दिल्ली से...

बिन ब्याहे माता-पिता का सुख पाने की चाहत पूरी करने के लिये किराये की कोख लेना होगा मुश्किल

संसद के शीतकालीन सत्र में किराये की कोख (विनियमन) विधेयक, 2019 राज्य सभा में पेश किया जायेगा. इस विधेयक को लोक सभा ने पारित कर दिया था.

पाकिस्तान की करतारपुर शांति पहल उसकी कमज़ोरी की निशानी नहीं है

क्या पाकिस्तान खालिस्तान के मुद्दे को फिर से सुलगाना चाहता है या वह एक भू-राजनीतिक औजार के रूप में करतारपुर गलियारे का उपयोग करना चाहता है? दोनों का ही उत्तर ‘हां’ है.

केजरीवाल और मोदी में कई समानताएं हैं फर्क सिर्फ सांप्रदायिकता का है

दोनों नेता बड़बोले दावे करने में माहिर हैं, दोनों जो पैकेज पेश कर रहे हैं उनमें कोई फर्क नहीं है, दोनों की कार्यशैली व्यक्तिपूजा को बढ़ावा देने वाली है. लेकिन दोनों में अहम एक अंतर है. ‘आप’ में वह तीखी सांप्रदायिकता नहीं है जो भाजपा में है.

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भाजपा को बंगाली बनने की ज़रूरत है, रोशोगुल्ला से आगे बढ़िए, पान्ताभात खाइए, होदोल कुटकुट को जानिए

पश्चिम बंगाल में ‘घुसपैठिये’ या ‘तुष्टीकरण’ जैसे शब्द बहुत कम सुनाई पड़ते हैं, न ही ‘मंगलसूत्र’ या अमित शाह द्वारा ममता बनर्जी के ‘मां, माटी, मानुष’ नारे को ‘मुल्ला, मदरसा, माफिया’ में बदलने जैसे वाक्या सुनाई देते हैं.

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अडाणी समूह की कंपनी एपीएसईजेड की फिलीपींस में बंदरगाह बनाने की योजना

नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) अडाणी समूह की फर्म एपीएसईजेड फिलीपींस के बाटान प्रांत में बंदरगाह विकसित करने की योजना बना रही है।...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.