ज़रूरी नहीं कि अतीत के नायकों की तमाम कांस्य प्रतिमाएं, अन्याय का ही प्रतीक हों. कभी-कभी गुलामों के भी स्मारक होते हैं. आंबेडकर मेमोरियल के मामले में, उन्हें और अधिक सराहना मिल सकती थी, अगर वो इतने ज़ाहिरी तौर पर जीवितों के साथ न जोड़े गए होते.
नस्ली और जातीय भेदभाव के बीच समानता को पहली बार उजागर करने का श्रेय ज्योतिराव फुले को जाता है. उन्होंने करीब 150 वर्ष पहले अमेरिका के कालों और भारत के दलितों की स्थिति की परस्पर तुलना की थी.
अमेरिका में पुलिस हिरासत में जार्ज फ्लॉयड की हत्या निश्चित ही निंदनीय है और इसकी दुनिया भर में भर्त्सना हो रही है लेकिन इस पर आक्रोश व्यक्त कर रही जनता द्वारा हिंसा, आगजनी और लूटपाट बेहद चिंताजनक है.
स्पष्ट कारणों से, अगर भारत को जानबूझकर पाकिस्तान में लाखों लोगों पर सूखा डालने वाला माना जाता है, तो अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करना ज़रा मुश्किल होगा.