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Wednesday, 24 April, 2024
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अफ़ग़ानिस्तान फिर से तालिबान को सौंपने की अमेरिका की हड़बड़ी, भारत भी आगे बढ़ाए पीओके प्रोजेक्ट

भारत को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर नियंत्रण के लिए उचित समय पर कार्रवाई शुरू करने के वास्ते शीघ्र एक रणनीति तैयार करनी चाहिए.

औरत मार्च पाकिस्तानी मर्दों के लिए असल कोरोनावायरस है

पाकिस्तान में ‘मेरा जिस्म, मेरी मर्ज़ी’ जैसे नारों वाली तख्तियों के साथ मार्च करने वाली महिलाएं ‘अच्छी औरतें’ नहीं हैं. और उनकी ये मजाल कि वो नारीवादी चोले में घूम रहे मौलानाओं और स्त्री जाति से नफ़रत करने वालों का विरोध करें.

जब देश सांप्रदायिक हिंसा से जलता रहा, तब बिहार में अमन-चैन कैसे बना रहा

ऐसा भी नहीं है कि बिहार में पिछले 30 साल में सांप्रदायिक हिंसा की कोई वारदात नहीं हुई, लेकिन बाकी राज्यों में हुई घटनाओं की तुलना में और स्वयं बिहार में इससे पहले होने दंगों की तुलनाओं में ये घटनाएं बेहद मामूली और छोटी नजर आती हैं.

अमेरिका-अफ़ग़ान शांति समझौता पुराने ढर्रे पर है जबकि 2020 का तालिबान बदल चुका है

अफ़ग़ान समझौते का मेन्यू पाकिस्तान का है, इसे पकाया अमेरिका ने है, जबकि खर्च उठाया है दोहा ने. तालिबान को सिर्फ स्टार्टर और अफ़ग़ान सरकार को डेज़र्ट मिलेंगे, जबकि मुख्य व्यंजन पाकिस्तान और ट्रंप के चुनाव अभियान के बीच बंटेगा.

सांप्रदायिक हिंसा हमेशा स्थानीय नहीं होती, सोशल मीडिया अब उसे राष्ट्रीय बना रहा है

अफवाहों की भरमार और नफरत भरी बातें स्थानीय तौर पर सांप्रदायिक हिंसा को जन्म देती है जो सोशल मीडिया के जरिए तुरंत ही पूरे देश में फैल जाती है.

‘आप’ से अपेक्षा न रखें : ये मोदी को सत्ता से हटाने में मददगार हो सकती है, देश की आत्मा बचाने में नहीं 

‘आप’ गैर-बीजेपी खेमे की पहली ऐसी पार्टी है जिसने नरेन्द्र मोदी वाले न्यू इंडिया के हिसाब से अपना कायाकल्प करने का काम कामयाबी के साथ कर लिया है.

क्या सांप्रदायिक दंगे भारत के लिए नई बात हैं, दिल्ली की घटना ने नई बहस खड़ी कर दी है

हाल के दिल्ली दंगों ने 200 साल पुरानी इस बहस को फिर से खड़ा कर दिया है कि क्या ब्रितानी राज से पहले हिंदू और मुसलमान शांतिपूर्वक रहते थे या सांप्रदायिक हिंसा हमेशा से होती रही है?

क्या हिमंत बिस्वा सरमा भाजपा के अगले अमित शाह साबित हो पाएंगे लेकिन आरएसएस से न होना बड़ी चुनौती

हिमंत बिस्वा सरमा बिल्कुल अमित शाह की तरह ही हैं- राजनीति में जोड़-तोड़ करने वाले, कठोर, चतुर, मेहनती और सत्ता पाने के लिए ललक वाले. सरमा कुछ मोदी की तरह भी हैं- जो अपने क्षेत्र में लोकप्रियता को भी पसंद करते हैं.

क्या ‘हिन्दुत्व’ वास्तव में जीवन शैली है, शीर्ष अदालत को अपने निर्णय पर फिर से विचार करने की है जरूरत

अयोध्या मामले में भी इन न्यायाधीशों ने अपनी राय में कहा था कि समान्यतया, हिन्दुत्व को जीवन शैली या सोचने के तरीके के रूप में लिया जाता है और इसे धार्मिक हिन्दू कट्टरवाद के समकक्ष नहीं रखा जायेगा और न ही समझा जायेगा.

न्यूज़ीलैंड में दुनिया की नंबर-एक टेस्ट टीम की शर्मनाक हार का ‘विराट’ फ़ैक्टर

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में विराट कोहली ने जो कद हासिल किया था उसके बाद उनके बारे में कोई आलोचनात्मक नहीं होता था. लेकिन अब विराट कोहली की फॉर्म पर बात करनी होगी.

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राजीव चन्द्रशेखर आधुनिक हैं, उदारवादी हैं, लेकिन दुखद रूप से भाजपा के धर्मांध वफादार हैं

तिरुवनंतपुरम में राजीव चंद्रशेखर का मुकाबला शशि थरूर से है. वे खुद को एक ऐसे राज्य के लिए प्रचारित कर रहे हैं जिसने परंपरागत रूप से भाजपा के प्रति घृणा दिखाई है.

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हथिनी ‘मालती’ को आमेर से वंतारा हाथी अभयारण्य भेजा गया

जयपुर, 24 अप्रैल (भाषा) शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के चलते एक हथिनी को जयपुर के आमेर से जामनगर के वंतारा हाथी अभयारण्य में...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.