मौलाना ताहिर अशरफी और मौलाना फजलुर्रहमान विवादास्पद हैं और आतंकी संगठनों से जुड़े रहने के आरोप हैं पर दोनो की पाकिस्तान की राजनीति में भूमिका अहम हो गई है.इस राजनीतिक घटनाक्रम से साफ पता चल रहा है कि सरकार और विपक्ष दोनों ही ने धार्मिक नेताओं की आड़ लेकर अपने पासे फेंक दिए हैं.
आज जो लोग राहुल की सक्रियता पर उनके लिए तालियां बजा रहे हैं वे कल को उनके मनमौजीपन, उनकी अघोषित विदेश यात्राओं, और सबसे ऊपर नेतृत्व संकट से निबटने में उनकी विफलता के लिए उनके खून के प्यासे भी हो सकते हैं.
सोने की कीमतों का मुद्रास्फीति और बैंक ब्याज दरों से सीधा संबंध है. ऐसे समय में जब मुद्रास्फीति की दर ब्याज दरों से ऊपर चली जाती हैं तो निवेशकों का ध्यान सोने पर जाता है जो उस समय बेहतर रिटर्न देता है.
दो साल पहले 2018 में जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों में दलितों के साथ होने वाली हिंसा में 66 फीसदी का इजाफा हुआ है.
बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले पर न बोलें और हाथरस के मसले पर बोलें, ऐसा नहीं चल सकता क्योंकि एक का ताल्लुक महिलाओं और दलितों की आवाज़ उठाने से है तो दूसरे का मुसलमानों की आवाज़ उठाने से है और इसमें फर्क नहीं किया जा सकता.
तलाक-ए-हसन को अक्सर “बेहतर” तरीका कहा जाता है क्योंकि यह प्रक्रिया तीन महीने तक चलती है, लेकिन यह न्यायसंगत नहीं है. भारत में यह अभी भी एकतरफा और न्यायिक व्यवस्था से बाहर चलने वाली प्रक्रिया है.