भारत की विशाल और लगातार बढ़ती छात्र आबादी के अलावा विदेशी संस्थानों में अध्ययन की असीम अभिलाषा के कारण 2023-24 में करीब 15 लाख भारतीय छात्र विदेश गए. 2024-25 में यह संख्या 18 लाख तक पहुंच गई.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी ने फिर से अपनी ताकत दिखा दी है, लेकिन एक बात का अफसोस उन्हें जरूर होगा – उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं को हमारी सेना का अपमान करने दिया. क्या राजनीति इतनी ज़रूरी थी?
हालांकि भारतीय सेना ने कम से कम 1956 से ही पाकिस्तान द्वारा बार-बार युद्धाभ्यास किया था, लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंह ने कहा कि 1965 में पाकिस्तानी आक्रमण ने उन्हें पूरी तरह से अचंभित कर दिया था.
2010 में जब मैं सीआरपीएफ में तैनात था, तब मैंने ऑपरेशन ग्रीन हंट के दौरान नक्सलियों के खिलाफ भारत की लंबी लड़ाई को खुद देखी थी. अब हालात पूरी तरह बदल गए हैं.
कांग्रेस पार्टी ने एक समय शशि थरूर को वैश्विक कूटनीति में सर्वोच्च पद दिलाने की कोशिश की थी. अब वह केंद्र सरकार द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत दुनिया की राजधानियों का दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडल में उन्हें शामिल करने से निराश है.
मुनीर ने इमरान को जेल में बंद कर रखा है, अपने हाथों की कठपुतली संसद से उन्होंने अपना कार्यकाल भी बढ़वा लिया है लेकिन पांचवें स्टार तमगे की चमक जमीनी हकीकतों को फीकी नहीं कर सकती.
आखिर क्षेत्रीय या राज्य स्तर पर ऐसा क्या घटा था जिसके कारण चुनावी राजनीति का पूरा चरित्र ही बदल गया? जबकि राजनीतिक तौर पर उत्तर प्रदेश पिछड़ों और दलित राजनीतिक चेतना को अभिव्यक्त करने वाले राजनीतिक दलों का मज़बूत उदाहरण पेश करता रहा है.
ममदानी की मान्यताएं, गज़ा के लिए उनका समर्थन, मोदी या नेतन्याहू के प्रति उनकी नापसंद आदि की वजह से भारत में कई लोग उनके उत्कर्ष को एक और ‘भारतीय विजय’ के रूप में नहीं मना सकते हैं.