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Friday, 5 July, 2024
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बिहार में मछुआरों का दर्द समझे बिना नीली क्रांति सफल नहीं हो सकती, ये बस चुनावी वादा भर है

नीली क्रांति तभी सफल होगी जब राज्य और केंद्र सरकारें उन मछुआरों के बारे में सोचेंगी जो महानगरों में रिक्शा चला रहे हैं या सब्जी बेच रहे हैं. ये वे लोग है जिनके पास नदी के व्यवहार को समझने की समझ है. नदी का व्यवहार तेजी से बदल रहा है और उसे समझने वाले लोग खत्म होते जा रहे हैं.

बाबरी विध्वंस, 2जी स्पेक्ट्रम-संवेदनशील मामलों में सजा दिलाने में आज तक क्यों विफल रही है CBI

लालू हों या मुलायम या फिर बात करें बाबरी विध्वंस और 2 जी स्पैक्ट्रम की राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील मामलों में सीबीआई आरोपियों को सजा दिलाने में क्यों नहीं कामयाब होती है?

मेरे कैमरे में बाबरी मस्जिद विध्वंस का ‘सबूत’ था, लेकिन वो इतिहास की भेंट चढ़ गया

मैं जानता हूं कि 5 दिसंबर 1992 को मैंने अयोध्या में क्या देखा. मेरा कैमरा उस रिहर्सल का गवाह था, जिसे कार सेवकों ने अंजाम दिया था.

मोदी सरकार के श्रम सुधार का इंतजार लंबे समय से है, ये अपने दम पर उद्योग का कायाकल्प नहीं कर सकता है

प्रभावी श्रम कानूनों की संख्या घटाने से मामला कुछ सरल हुआ है मगर अपेक्षित परिणाम पाने के लिए वही काफी नहीं है, असली इम्तहान तो रोजगार में वृद्धि के मामले में होगा. 

UP की बिगड़ी कानून व्यवस्था के लिए योगी आदित्यनाथ की इजाद की हुई व्यवस्था जिम्मेदार है

उत्तर प्रदेश की बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था पर जब भी बात होती है, तो उसे जिलों में तैनात डीएम और एसपी की जाति को देखकर समझने की कोशिश की जाती है. 40 से ज़्यादा जिलों के डीएम/एसपी मुख्यमंत्री के सजातीय हैं.

अफगान-तालिबान के बीच चल रही शांति वार्ता से भारत के सामने कौन सी चुनौतियां हैं

तालिबान ने संकेत दिया है कि उनकी सत्ता में भागीदारी या वापसी के बाद काबुल की जमीन से भारत विरोधी आतंकी गतिविधि की इजाजत नहीं दी जाएगी. इस तथ्य को देखते हुए भारत को अपनी अफगान नीति को द्विपक्षीय बनाने की जरूरत है.

भारत में Inflation पर नियंत्रण की नीति कामयाब हुई है, ये मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है

2016 आरबीआई एक्ट के तहत, सरकार को अगले वर्ष इन्फ्लेशन टारगेट की समीक्षा करनी है, इसके फ्रेमवर्क की नहीं. फिर भी, इस सिस्टम को ख़त्म करने की मांग उठ रही है.

हम गांधी को बुत बना के मस्जिद में रख चुके, अब देश एक अनैतिक राजनीति के हवाले है

बहरहाल, समझने की नीयत हो तो यह समझना भी जरूरी है कि महात्मा गांधी व लालबहादुर शास्त्री में इतनी ही समानता नहीं है कि अलग-अलग शताब्दियों, जगहों व परिस्थितियों में दोनों एक ही तिथि 2 अक्टूबर को पैदा हुए. उनके नैतिक आग्रह भी लगभग एक जैसे थे.

LAC पर –35°C में भारतीय सैनिकों की दक्षता आधी रह सकती है लेकिन चीन को टक्कर देने के लिए वे 100% तैयार

ब्रिगेडियर रहते हुए मैंने अप्रैल 2001 के शुरू में चोर्बट ला सेक्टर में एलएसी के पार 17,000 फीट ऊंची पहाड़ी पर कब्जे के अभियान का संचालन किया था.

देश की खेती-किसानी के बारे में अशोक गुलाटी जैसे अर्थशास्त्रियों को बहुत कुछ जानना बाकी है

भारत के किसानों ने सच्चाई को भांप लिया है लेकिन अर्थशास्त्री उस सच्चाई को देखने समझने में चूक कर रहे हैं.

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‘जय भीम, जय संविधान’: वह नारे जो गैर-दलितों से दूर थे, अब संसद में गूंज रहे हैं

आंबेडकर के करीबी रहे दलित नेता बाबू हरदास लक्ष्मणराव नागरले द्वारा बनाए गए ‘जय भीम’ नारे ने कई दलित दलों का उत्कर्ष और पतन देखा और अब इसे गैर-दलित सांसद उस लोकसभा में उठा रहे हैं जिसमें बसपा का कोई सदस्य नहीं है.

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दिल्ली में टमाटर की खुदरा कीमतें 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंचीं

(तस्वीर के साथ) नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) हाल में भीषण गर्मी पड़ने से आपूर्ति कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी में टमाटर...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.