टीएमसी में कई बार झड़पें हुई हैं, लेकिन वह एकजुट मोर्चा बनाने में कामयाब रही है. खास तौर पर इंडिया गुट में इसकी छवि को नुकसान पहुंचा है और भाजपा इसका पूरा फायदा उठा रही है.
भारत के सबसे कामयाब अलग सोच रखने वालों को जब वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल खड़े होकर ये कहें कि वो ज़रा लीक पर चलें, तो यह अपने आप में एक मज़ेदार विडंबना लगती है.
खुद को ही धोखे में रखने वाली बीजेपी यह मान बैठी है कि मुसलमानों को निशाना बनाना और उस समुदाय के कुछ तबकों को असुरक्षा और दहशत में डालना उसके अपने हित में ही है.
ट्रंप और ईरानी वार्ताकारों को ऐसी गारंटी ढूंढनी होगी जो न केवल ईरान की चिंताओं को दूर करे बल्कि इजरायल और सऊदी अरब जैसे उसके विरोधियों की भी चिंताओं को दूर करे.
पिछले कुछ वर्षों से हम भारतीय रेलवे की प्राथमिकताओं में चिंताजनक बदलाव होता देख रहे हैं, इन्फ्रास्ट्रक्चर में जरूरी बेहतरी करने की जगह तड़कभड़क वाली परियोजनाओं को तरजीह दी जा रही है.
क्या वामपंथियों ने पिछले कई लोकसभा चुनावों से कोई सबक सीखा है? तमिलनाडु के मदुरै में CPI(M) की 24वीं कांग्रेस में पेश किए गए राजनीतिक प्रस्ताव से साफ है—बिल्कुल नहीं.
इधर के कुछ हफ्तों से तनाव बढ़ रहा है क्योंकि जिहादी तत्व पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में एलओसी की ओर से घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले महीने अखनूर में जिहादियों द्वारा किए गए विस्फोट में दो भारतीय सैनिक मारे गए.
सैनिकों के साथ अक्खड़ पुलिसवालों की ज्यादतियों के बढ़ते मामलों से इसका मनोबल प्रभावित हो रहा है क्योंकि यह उनके सब्र के इम्तेहान जैसा है. संभलना होगा, स्थिति कभी भी बेकाबू हो सकती है.
दुलत जब आईबी में थे, तब उन्होंने कश्मीर में काम किया था और फारूक अब्दुल्ला के साथ उनके करीबी संबंध थे. तब से दिल्ली ने गुप्त वार्ता के लिए उनका इस्तेमाल किया है.