मानकों के पालन को सरल बनाएं. नियमन संबंधी अड़चनों को दुरुस्त करें. उधार देने में समानता बरती जाए और उस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए. ऐसी संस्कृति बनाई जाए जो उद्यम का सम्मान करती हो.
स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार से अपील की है कि वह द्विपक्षीय संबंधों पर फिर से विचार करे, गैरज़रूरी आयातों पर रोक लगाए, उड़ानें निलंबित करे और देश में विदेशी पर्यटन का बहिष्कार किया जाए.
दुश्मन में खौफ पैदा करना और उसे सज़ा देना इस बात पर निर्भर करता है कि जिन पर हम प्रभाव डालने की कोशिश कर रहे हैं उन पर कितना प्रभाव पड़ा है. मुश्किल यह है कि हम यह निश्चित रूप से नहीं जान सकते कि वह मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालने के लिए कितना नुकसान पहुंचाना ज़रूरी है.
भारत को जो लक्ष्य हासिल करना चाहिए, वह है पाकिस्तान को एक नया रूप देना, न कि वह देश जैसा उसके जनरलों और मौलवियों ने कल्पना की है. गुस्से के शब्द और क्रोध की लहरें काफी नहीं होंगी.
कश्मीर में जो सामान्य स्थिति बहाल हुई है उसे, मुनीर के मुताबिक, उलटना जरूरी था. पहलगाम कांड की तैयारी उनके भाषण और इस हमले के बीच के एक सप्ताह में तो नहीं ही की गई, इसमें कई महीने नहीं तो कई सप्ताह जरूर लगे होंगे.
खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में वास्तविक राजनीतिक प्रतिरोध का सामना करते हुए, पाकिस्तानी सेना की रणनीति पूरी तरह ध्वस्त होने के कगार पर है. भारत को इस अवसर को पहचानना चाहिए.
यह समझ से परे है कि भाजपा जब भारत की सबसे मज़बूत पार्टी की स्थिति में है, तब वह जाति जनगणना जैसे विघटनकारी कदम को क्यों उठाए. अगर राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता ऐसी विघटनकारी राजनीति करते हैं, तो बात समझ में आती है. वे भाजपा के राजनीतिक प्रभुत्व को तोड़ने के लिए बेताब हैं, लेकिन भाजपा क्यों?
पहलगाम इस संघर्ष की सीढ़ी का पहला पायदान है. गतिशील कार्रवाई का मतलब है कि अपना संदेश देने के लिए सैन्य ताकत का इस्तेमाल किया जाएगा; भारत ने 6/7 मई की रात उस सीढ़ी पर कदम रख दिया था.
यह पहला मौका है जब बिना राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति के विधेयक कानून बन गए हैं. यह न्यायपालिका द्वारा अपनी संवैधानिक शक्तियों और मर्यादा का अतिक्रमण है.