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Wednesday, 5 February, 2025
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मिडिल क्लास मोदी का आदी, धीमा विकास, रुके हुए सुधार और टैक्स का भार कोई मायने नहीं रखते

भारतीय मध्यम वर्ग इस बात से नाराज है कि राजनीतिक दल उनके टैक्स का पैसा लेकर उसे गरीब वर्गों में फैलाकर उनके वोट खरीद रहे हैं.

‘लिव-इन’ रिश्ते के मामले में उत्तराखंड के ‘UCC’ का रुख सकारात्मक लग रहा है

तलाक के संबंध में, यूसीसी ऐसे प्रावधान लाती है जो न्यायेतर तलाक के तरीकों को दंडित करते हैं - जिनमें तलाक-उस-सुन्नत, तलाक-ए-बिद्दत, खुला, मबारत और जिहार शामिल हैं.

उत्तराखंड में UCC पर्याप्त चर्चा के बिना पास, आखिर जल्दबाज़ी क्यों है

आम धारणा के विपरीत, उत्तराखंड देश में यूसीसी को लागू करने वाला पहला नहीं बल्कि दूसरा राज्य है. इस मामले में पहला राज्य बनने का गौरव गोवा ने हासिल किया है.

भारत को हफ्ते में 90 घंटे काम वाली नहीं बल्कि चार दिन काम की फ्रांस वाली व्यवस्था चाहिए

काम के घंटे बढ़ाने का समर्थन करने वाले कहते हैं कि भारत को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्द्धा में बने रहना है तो कामगारों का अटूट समर्पण निर्णायक साबित हो सकता है, लेकिन प्रोडक्टिविटी तो सीधे काम के घंटे के अनुपात से बढ़ती-घटती नहीं है.

भारत को रक्षा संबंधी खरीद की समयसीमा तय करना ज़रूरी — प्रक्रिया के बजाय प्रोडक्ट को मिले तरजीह

किसी सिस्टम को जब तक अपनाया जाता है तब तक उसकी टेक्नोलॉजी पुरानी पड़ चुकी होती है, भले ही वह सिस्टम बिलकुल नया क्यों न हो.

एक नया ‘इज़्म’ आ गया है, जो राइट, लेफ़्ट और सेंटर को मात दे रहा है

इस नई दुनिया में ‘पॉपुलिज़्म’ वाम, दक्षिण, मध्य, सभी मार्गों को ध्वस्त कर रहा है. बेशक हर एक देश, मतदाता समूह, और समाज के लिए यह अलग-अलग रूप में उभर रहा है, इसका आकर्षण और इसकी सफलता इसके प्रयोग में निहित है. यह आपके दिल या दिमाग पर ज्यादा बोझ नहीं डालता.

मिडिल क्लास के करदाताओं की अब कोई बात नहीं कर रहा है, रुपया गिर रहा है, बाज़ार डूब रहे हैं

कई लोग जो एक दशक पहले रुपये में गिरावट को लेकर इतने चिंतित थे, वे बोलने को तैयार नहीं हैं. जब मनमोहन सिंह पीएम थे तो वे शेर थे. अब वे चूहे हैं.

4 हफ्तों में 4 राजस्व सचिव: ‘समर्पित नौकरशाही’ की तलाश में क्यों है मोदी सरकार

प्रधानमंत्री मोदी जाहिर तौर पर राजनीतिज्ञों की तुलना में सेवारत और सेवानिवृत्त नौकरशाहों पर अधिक विश्वास जताते हैं. हालांकि, आईएएस अधिकारी इसे शायद संदेह की नजर से देख रहे होंगे.

भारत में पुलिस, अस्पताल और अदालतों से बचे रहना एक आशीर्वाद क्यों है?

भारत की तीन सबसे डरावनी संस्थाएं—पुलिस, अस्पताल और अदालतें—अपनी क्षमता के लिए पहचानी जाती हैं, जो रक्षकों को पीड़ित बना देती हैं.

करोड़पतियों को कड़ी मेहनत का संदेश देने की जरूरत नहीं. L&T के सुब्रह्मण्यन गलत सदी में जी रहे हैं

एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन इस विवाद से बच जाएंगे क्योंकि यह भारत है, जहां हमारा रवैया है 'चलता-है.' पश्चिम में, उन्हें माफी मांगने या इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जाता.

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मिडिल-क्लास को उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने वाला बजट मिला है, मोदी उनकी नब्ज़ जानते हैं

केंद्रीय बजट 2025-26 के स्पष्ट लक्ष्य हैं: विकास को गति देना, भारत के उभरते मिडिल-क्लास की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाना, प्राइवेट सेक्टर के निवेश को बढ़ावा देना और घरेलू भावनाओं को ऊपर उठाना.

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पारिवारिक कलह में व्यक्ति ने सास को आग के हवाले किया, दोनों की मौत

कोट्टायम (केरल), पांच फरवरी (भाषा) कोट्टायम जिले में पाला के निकट एक गांव में कथित पारिवारिक कलह के चलते एक व्यक्ति ने अपनी सास...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.