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Monday, 24 February, 2025
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एंकर्स की लिस्ट जारी करने से पहले विपक्ष को एक बार सोचना चाहिए था, क्या इससे उनका राजनीतिक मकसद पूरा होगा

विपक्षी गठबंधन को पूरा ‘अधिकार’ है कि वह किसका बायकॉट करे. वह अपने नेताओं, सदस्यों और प्रवक्ताओं को कुछ टीवी शो में जाने से मना कर सकता है लेकिन जब वे इन एंकरों के नाम और उनकी सूची जारी करते हैं तब यह मामला विवादास्पद हो जाता है

यूक्रेन मुद्दे पर मनमोहन-राहुल का समर्थन दिखाता है कि भारत की विरोध की राजनीति में अब भी कुछ बाकी है

1983 में NAM शिखर सम्मेलन से लेकर बाइडेन, मैक्रॉन और सुनक के साथ इस G20 द्विपक्षीय बैठक तक के 40 साल भारत के नकली गुटनिरपेक्षता से लेकर आपसी लेन-देन वाली स्वायत्त नीति तक के सफर को दिखाता है.

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ BJP का ‘ब्रह्मास्त्र’ है, यह राज्यों के चुनाव को ‘मोदी बनाम कौन’ में बदलना चाहती है

2024 के बाद अगर कम-से-कम 18 राज्य ऐसे हो जाते हैं जिनमें भाजपा सत्ता में नहीं हैं, तो उसके लिए उस तरह की सत्ता उपभोग करना एक बड़ी चुनौती हो जाएगी जिसकी मोदी सरकार आदी हो चुकी है

मोदी, नेहरू के ‘ग्लोबल साउथ’ को वापस लाए हैं, लेकिन यह भूगोल, भू-राजनीति, अर्थशास्त्र पर खरा नहीं उतरता

ग्लोबल साउथ का विचार, जिसके मुताबिक भारत या इसके नेता, बाकी देशों के अगुआ बन सकते हैं. नरेंद्र मोदी इसके सबसे प्रमुख और ताकतवर ग्लोबल एम्बेसडर बनकर उभरे हैं.

दो दशकों से ठहरा हुआ है पंजाब, उसका कोहरा हटाइए वरना लोग चले विदेश

पंजाबियों को संकट से जूझना आता है. देश के बंटवारे के बाद और फिर 1993 में समाप्त हुए आतंक और उग्रवाद के दौर में उन्होंने यह साबित किया है, लेकिन इसके बाद यह प्रदेश रास्ता भटक गया.

मोदी के भाषण ने भारत के सबसे खतरनाक, 1960 वाले दशक की चुनौतियों की याद दिला दी

सबसे बुरे या सबसे खतरनाक 10 वर्षों की प्रतिस्पर्धा हमेशा 1960 और 1980 के दशक के बीच रही है. मिजोरम हवाई हमले पहली और ऑपरेशन ब्लू स्टार दूसरी घटना थी.

लैपटॉप के आयात पर रोक के साथ ‘बड़ी सरकार’ ने आर्थिक सुधारों की दिशा उलट दी है

भारत में अब तक इसी उम्मीद से आयातों पर रोक या प्रतिबंध लगाए जाते रहे हैं कि घरेलू उत्पादक भरपाई करेंगे, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ है.

2024 की लड़ाई सेमीफाइनल छोड़, सीधे फाइनल में पहुंची और BJP के सामने 3 चुनौतियां

इस बार शासक दल सुपरिभाषित धुरी वाले विपक्षी गठबंधन, भाजपा विरोधी वोटों के ध्रुवीकरण, और बदली भू-राजनीतिक स्थिति के मेल से उभरी चुनौती से रू-ब-रू है.

सरकार नई, पर बांटने की वही पुरानी राजनीति; मणिपुर में BJP सरकार ने बदलाव की कभी कोशिश नहीं की

कांग्रेस ने अगर गलती की थी, तो भाजपा तो वहां असली बदलाव ला सकती थी लेकिन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने हिंसा से पहले और उस दौरान जो बयान दिए उनसे भाजपा की वही विभाजनकारी नीति उभरी.

बिना विचारधारा के भाजपा के युग में नहीं टिक सकती पार्टियां, कांग्रेस को भी नए ढंग से बदलने की ज़रूरत

क्या विचारधारा अब बेमानी हो गई? जी नहीं, पिछले दशकों में यह जितनी बड़ी ताकत थी, आज उससे कहीं ज्यादा मजबूत ताकत बन गई है. सिवाए इसके कि यह केवल बीजेपी के मामले में कारगर दिख रही है.

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मोटापे के खिलाफ अभियान में शामिल होकर खुश हूं: उमर अब्दुल्ला

(फाइल फोटो के साथ)श्रीनगर, 24 फरवरी (भाषा) जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.