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Saturday, 16 November, 2024
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नेशनल इंट्रेस्ट

जिस मणिपुर में ‘आज़ाद’ भारत का पहला झंडा फहराया गया था, वह आज BJP के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है

उत्तर-पूर्व के किसी छोटे राज्य में आप तीन काम करने से परहेज ही करेंगे— स्थानीय नेताओं को कमजोर बताने से, ‘बांटो और राज करो’ की नीति से, और जातीय पहचानों को होमोजिनाइजेशन (एक जैसा बनाने या एक-दूसरे में मिलाने) से.

अनुच्छेद 370 से लेकर G20 तक, भारत कश्मीर को लेकर सही पाले में है, अब बस अंतिम निशान लगाना बाकी

इस अनुकूल मुकाम तक पहुंचने के लिए भारत ने कड़ी मेहनत की है लेकिन अपने सरोकारों को मजबूती देने का सबसे बुद्धिमानी भरा उपाय जम्मू-कश्मीर को उसका राज्य का दर्जा लौटाना ही है.

आज टूटा हुआ मणिपुर हमारी नज़रों और दिमाग से ओझल है, हम इतने कठोर और अहंकारी नहीं हो सकते

हममें से अधिकतर लोगों के लिए मणिपुर का संकट नज़र से दूर, ख़यालों से बाहर वाला मामला है. इतने छोटे और इतनी दूर के इस राज्य की खबरों पर हम बड़ी जम्हाई लेने लगते हैं मगर मैं आपको जगाना चाहता हूं.

इमरान की वापसी लोकतंत्र की जीत और पाकिस्तान के लिए आपदा क्यों साबित हो सकती है

इमरान खान प्रकरण पाकिस्तान जैसे बड़े देश में लोकतंत्र से जुड़ी आशंकाओं के दुर्भाग्यपूर्ण विचारों को रेखांकित करता है.

मोदी के 10वें साल में भारत तेजी से ग्रोथ कर रहा पर चीन-पाकिस्तान मिलकर इसके गले की फांस बन गए हैं

पाकिस्तान ज़्यादातर पैमाने के लिहाज़ से सिफर पर है, चीन सुस्त नहीं पड़ रहा है और भारत की गाथा अमीर बनने से पहले ही काफी शक्तिशाली बनने में कामयाबी की उल्लेखनीय कहानी है.

नरोदा गाम से अतीक़ तक खिंचती रेखा ने ‘ठोक दो’ वाली संस्कृति तक पहुंचाया है

दो पड़ोसी राज्यों में जनसंहार के पुराने मामलों में जो दो अदालती फैसले आए हैं उनमें आरोपियों को बरी कर दिया गया है. पहला फैसला...

बिना एक नेता और साझी विचारधारा के विपक्षी एकता जादू की पुड़िया बेचने जैसी है   

सत्ताधारी पार्टी को हराने की विपक्षी महत्वाकांक्षा बिलकुल जायज है. लेकिन इसके लिए उन्हें चाहिए— एक नेता, एक विचारसूत्र, और एक विचारधारा. अगर वे ये तीन चीजें नहीं जुटा पाते तो एक यही रास्ता बचता है कि वे भाजपा की सीटें कम करने के लिए राज्य स्तरीय, झगड़ा मुक्त गठजोड़ बनाएं

कभी अछूत रही मगर आज जिसे छू पाना हुआ मुश्किल, 43 सालों में कहां से कहां पहुंची बीजेपी

BJP के संस्थापक कभी बहुमत नहीं हासिल कर पाए और उन्हें गठबंधन करते रहना पड़ा पर आज मोदी-शाह की बदौलत उसे किसी सहयोगी की बैसाखी की जरूरत नहीं रही.

जॉबलेस ग्रोथ आपने सुनी होगी, लेकिन टाटा-बिरला-अंबानी-अडाणी ने भारत को ब्रांडलेस ग्रोथ दिया है

‘क्रोनिज़्म’ निंदनीय है, और यह अच्छी बात है कि इस पर जोरदार बहस जारी है. लेकिन अविश्वसनीय रूप से ताकतवर, अमीर, सफल कंपनियों के साथ-साथ सरकारी नीति की सबसे बड़ी विफलता भारत की ब्रांडलेस ग्रोथ है.

भारत का दोस्त कौन, दुश्मन कौन? मोदी सरकार अपनी बनाई अमेरिका-चीन-रूस-पाकिस्तान की जलेबी में उलझी

मोदी सरकार एक ओर पश्चिम विरोधी और रूस समर्थक जनमत के निर्माण को प्रोत्साहित करती रही है, तो दूसरी ओर अपनी रणनीति इसके बिलकुल उलटी दिशा में निर्धारित करती रही है. ऐसे विरोधाभास चल नहीं सकते.

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जिरीबाम में तीन शव मिलने के बाद इंफाल घाटी में लोगों ने किया प्रदर्शन

इंफाल, 16 नवंबर (भाषा) मणिपुर के जिरीबाम जिले में तीन लोगों के शव बरामद होने के बाद इंफाल घाटी के विभिन्न हिस्सों में सैकड़ों...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.