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शनिवार, 10 मई, 2025
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कर्नाटक का झटका- चुनावों में कोई बड़ा आइडिया नहीं, BJP ने कांग्रेस के ‘रेवड़ी’, जाति के मुद्दे को अपनाया

यह पहला मौका है जब भाजपा ने विपक्ष के जवाब में अपना आजमाया हुआ और कामयाब चुनावी सुर बदल दिया है. यह जाति, और कभी निंदित की गई “रेवड़ी संस्कृति” के मुद्दों पर उसके रुख से स्पष्ट है.

तेज़ गेंदबाज़, फिटनेस और ‘सिस्टम’— क्रिकेट में भारत पहली बार ऐसी ‘नीली क्रांति’ देख रहा है

यह दो दशकों से शिखर की ओर बढ़ने की भारतीय कामयाबी की कहानी है, 1983 वाले गौरव की क्षणिक उपलब्धि नहीं! भारत में इस खेल में व्यवस्थागत बदलाव किए गए; फास्ट बॉलिंग, फिटनेस और फील्डिंग इसकी नींव के पत्थर हैं.

दो अरब के उम्मा से कहीं बड़ा है अपना मुल्क, यह नहीं समझते मुसलमान इसलिए कमजोर हैं  

जब ऐसा लग रहा था कि मध्य-पूर्व अमन की गहरी नींद में सोने लगा है, तभी वहां फिर से आग सुलगाकर हमास ने वहां के कई विरोधाभासों और इस्लामी दुनिया से जुड़े सवालों को उभार दिया है

क्रिकेट, क्लब और देश— खेल के मैदान पर राष्ट्रवाद की होड़ क्यों नरम पड़ रही है

पिछले कुछ दशकों से क्लब स्पोर्ट और पेशेवर नजरिए ने सख्त राष्ट्रवादी भावनाओं को नरम किया है, फुटबॉल से शुरू हुआ यह चलन क्रिकेट में भी आ पहुंचा है, जिसका सबूत इस वर्ल्ड कप में दिख रहा है.

इज़रायल गुस्से में है, नेतन्याहू गाज़ा को मिट्टी में मिलाने को तैयार हैं, पर फौजी ताकत की भी कुछ सीमाएं हैं

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद का इतिहास और इजरायल के अनुभव यही सिखाते हैं कि आपकी सेना चाहे कितनी भी ताकतवर हो, राजनीतिक और रणनीतिक मकसद हासिल करने में वह शायद ही मददगार होती है.

क्रिकेट के लिए हम जुनूनी या पक्षपाती सही, पर नाज़ी नहीं हैं; गुजरातियों की बदनामी नहीं करनी चाहिए

खेल के मैदान में धार्मिक नारों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, लेकिन सभी प्रतिस्पर्द्धी खेलों के साथ जुनून जुड़ा ही होता है इसलिए दर्शकों, खासकर भारत-पाकिस्तान अगर एक-दूसरे के यहां खेल रहे हों तब उनके दर्शकों से तटस्थ रहने की उम्मीद रखना तो सपने देखने जैसा ही है

जातीय जनगणना का बिहार वाला फॉर्मूला मोदी के खिलाफ चलेगा क्या?

कांशीराम में बेशक बुद्धि-कौशल और राजनीतिक दूरदर्शिता थी, और उसकी बदौलत आज हमें एक ओबीसी प्रधानमंत्री हासिल है लेकिन जातीय जनगणना का बिहार मॉडल बाकी देश के लिए निराशाजनक ही साबित हो सकता है.

मोदी सरकार को ट्रूडो और कनाडा को जवाब देना चाहिए, लेकिन पंजाब में लड़ने के लिए कोई दुश्मन नहीं

ट्रूडो ने अपने जोश में मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, सिर्फ इसलिए पंजाब में अपने ही लोगों के खिलाफ मुहिम छेड़ने की कोई वजह नहीं समझ में आती है.

पंजाबी सिख गुस्से में हैं पर खालिस्तान से उनका लेना-देना नहीं, भारतीय होने पर उन्हें गर्व है

जब पंजाबी नाखुश होते हैं तो वे अपनी सरकार को वोट से हटा देते हैं. वे सत्ता परिवर्तन के लिए मदद मांगने किसी ट्रूडो या गुरपतवंत सिंह पन्नून के पास नहीं जाते.

एंकर्स की लिस्ट जारी करने से पहले विपक्ष को एक बार सोचना चाहिए था, क्या इससे उनका राजनीतिक मकसद पूरा होगा

विपक्षी गठबंधन को पूरा ‘अधिकार’ है कि वह किसका बायकॉट करे. वह अपने नेताओं, सदस्यों और प्रवक्ताओं को कुछ टीवी शो में जाने से मना कर सकता है लेकिन जब वे इन एंकरों के नाम और उनकी सूची जारी करते हैं तब यह मामला विवादास्पद हो जाता है

मत-विमत

आसिम मुनीर के दिमाग में क्या चल रहा है?

कश्मीर में जो सामान्य स्थिति बहाल हुई है उसे, मुनीर के मुताबिक, उलटना जरूरी था. पहलगाम कांड की तैयारी उनके भाषण और इस हमले के बीच के एक सप्ताह में तो नहीं ही की गई, इसमें कई महीने नहीं तो कई सप्ताह जरूर लगे होंगे.

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राजनीति

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दिल्ली में दो भाइयों का अपहरण कर पैसे ऐंठने के आरोप में दो लोग गिरफ्तार

नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर में दो भाइयों का कथित तौर पर अपहरण कर पैसे ऐंठने और उनकी...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.