भारत के आर्थिक व रणनीतिक हितों में संतुलन बनाकर, रूस और अमेरिका के साथ रिश्ता निभाते हुए और चीन को अपने ऊपर हावी न होने देकर मोदी कुशलता से आगे बढ़ते रहे हैं. अब जी-20 की अध्यक्षता के एक साल का बेशक वे भारत के फायदे के लिए उपयोग करेंगे.
हममें से हर एक ने पाया है कि इमरान ख़ान एक अनूठी शख्सियत हैं, इस उपमहादेश के आम क्रिकेट सितारों से अलग. उनमें लापरवाही की हद तक जोखिम मोल लेने का जज्बा रहा है
कभी फौज के शब्द सरकार के लिए हुक्म के समान हुआ करते थे. वह प्रधानमंत्रियों को तख्तनशीन कर सकती थी, उनका तख्तापलट कर सकती थी, देश निकाला दे सकती थी या कत्ल तक करवा सकती थी लेकिन आज उसे नेताओं से मात खाने का डर सता रहा है.
गुजरात में मुस्लिम युवाओं की कोड़े से पिटाई जैसी घटनाओं पर ही भारत जैसे बहुलतावादी, लोकतांत्रिक गणतंत्र से राजनीतिक आवाज़ उठाने की अपेक्षा की जाती है लेकिन भाजपा के प्रतिद्वंद्वी मुसलमानों के साथ दिखने से भी डर रहे हैं.
मुलायम सिंह यादव की राजनीति में काफी कुछ गलत था, और काफी कुछ ऐसा था जिस पर हम असहमत होंगे या बहस करेंगे लेकिन इससे यह सच्चाई नहीं बदल जाएगी कि वह एक लाजवाब सियासी खिलाड़ी थे.
खुशहाल भारतीयों ने तमाम क्षेत्रों में विजय की घोषणा कर दी है— हवाईअड्डों की बेहतरी से लेकर वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या तक की मिसाल दी जाती है लेकिन बहुत कुछ ऐसा भी है जो गलत और खतरनाक है.
बेहद ध्रुवीकृत समय में, हाशिये पर धकेले गए अल्पसंख्यक पीछे मुड़कर अपनी उन जड़ों और बुनियादों को बचाने में जुट जाते जो उन्हें बहुत प्रिय होते हैं लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह एक खतरनाक जाल बुन सकता है.
कांग्रेस के वोटर करीब एक दशक से विकल्प की तलाश में हैं और आंध्र से लेकर तेलंगाना और महाराष्ट्र तक एक ही कहानी दोहराई गई है. इधर ‘आप’ इसी का फायदा उठाने में जुटी है.
किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि भाजपा सरकार चुनाव सुधार करने के अपने वादे पूरे करेगी लेकिन असली निराशा सुप्रीम कोर्ट से हुई है जिसने मामले को बहुत गरम मान कर इसे अगली-ज्यादा-बुद्धिमान-पीढ़ी के सुपुर्द करने जैसा फैसला किया