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शुक्रवार, 18 अप्रैल, 2025
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नेशनल इंट्रेस्ट

मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति वास्तविकता से कोसों दूर है, भारतीय वोटर अंग्रेजी मीडियम की शिक्षा चाहता है

अगर मोदी सरकार सैद्धांतिक पूर्वाग्रह के चलते देसी भाषा को बच्चों की पढ़ाई का मीडियम बनाने पर ज्यादा ज़ोर देने की कोशिश करेगी तो ‘एनईपी’ को इस दीवार से टकराना पड़ेगा.

ये एक डर्टी पिक्चर है- सुशांत सिंह राजपूत की मौत से बॉलीवुड की सच्चाई एक बार फिर सामने आयी

‘बाहर वालों’ के प्रति बॉलीवुड इतना बेरहम इसलिए है कि वहां जारी क्रूर प्रतियोगिता के खेल में न कोई अंपायर है, न कोई चेतावनी की सीटी बजाने वाला है, न कोई बीच-बचाव करके सुलह कराने वाला है.

विदेश नीति में पूर्वाग्रह और चुनावी सियासत–क्या मोदी सरकार को ‘स्ट्रैटिजिकली’ भारी पड़ रही है

रणनीति तय करने में मोदी सरकार ऐतिहासिक पूर्वाग्रहों और भाजपा की चुनावी राजनीति की गिरफ्त से मुक्त नहीं हो पाती, जबकि लद्दाख संकट साफ संकेत दे रहा है कि उसे आत्मविश्लेषण करने, जमीनी हकीकत को समझने और अपनी नीति में सुधार करने की जरूरत है.

उत्तर प्रदेश भारत की कमजोर कड़ी है, इसे चार या पांच राज्यों में बांट देना चाहिए

आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा और ताकतवर राज्य उत्तर प्रदेश प्रशासन के लिहाज सबसे बदतर राज्य रहा है, इसे दुरुस्त करने का एक ही उपाय है इसे चार-पांच राज्यों में बांट देना चाहिए.

अब चीन, पाकिस्तान और भारत का भी भला इसी में है कि वो उस फैंटसी को छोड़ दें जिसे मोदी विस्तारवाद कहते हैं

भारत हो या चीन या पाकिस्तान, सब एक-दूसरे की ज़मीन पर दावे करते रहे हैं लेकिन हकीकत यही है कि वे एक-दूसरे को तबाह किए बिना अपने दावे पूरे नहीं कर सकते.

फौजी जमावड़ा कर चीन युद्ध की धमकी दे रहा है, भारत को इसे सही मानकर तैयार रहना चाहिए

चीन की तमाम फौजी तैयारी और जमावड़ा बल प्रयोग की कूटनीति का हिस्सा हो तो भी भारत को यही मान कर चलना चलना चाहिए कि जंग का खतरा वास्तविक है और उसे इसके लिए तैयार रहना है.

शी ने मोदी के सामने चुनौती खड़ी कर दी है, नेहरू की तरह वो इसे स्वीकार ले या फिर नया विकल्प चुन सकते हैं

अपने पूर्ववर्तियों की तरह मोदी ने भी भारत-पाकिस्तान-चीन के त्रिशूल से मुक्त होने की कोशिश की मगर नाकाम रहे. अब आगे वे जो भी करना चाहेंगे उसका अर्थ होगा नए समझौते करना. 

एक वायरस ने सबको बांट दिया है- ऐसा क्यों लग रहा कि महामारी पर भारत में कोई कंट्रोल में नहीं

कोरोना महामारी पर सारी बहस वैचारिक खेमों के हिसाब से बंटी दिखाई देती है, भाजपा के बड़े नेता अपने संकीर्ण राजनीतिक हित साधने के लिए इस विभाजन का फायदा उठा रहे हैं, और कुल मिलाकर यही लग रहा है की हालात किसी के काबू में नहीं है.

मोदी भारत के सुधारवादी प्रधानमंत्रियों की लिस्ट में क्यों नहीं हैं

बड़े-बड़े इरादे रखने के बावजूद आर्थिक सुधारों के मोर्चे पर मोदी इसलिए पिछड़ते दिख रहे हैं क्योंकि उनके नौकरशाहों में सुधारों को आगे बढ़ाने का जज्बा नहीं है बल्कि वे तो इस लॉकडाउन के बहाने निरंकुश सत्ता का मज़ा लेने में मगन हैं.

मोदी-शाह को 5 अगस्त 2019 को ही अनुमान लगा लेना चाहिए था कि चीन लद्दाख में कुछ करेगा, इसमें कोई रहस्य नहीं था

चीन लद्दाख में जो कुछ कर रहा है उससे भारत को हैरान होने की जरूरत नहीं थी, बल्कि उससे इसी की उम्मीद करनी चाहिए थी, खासकर तब जबकि भारत ने जम्मू-कश्मीर का दर्जा बदल दिया है.

मत-विमत

50 साल से ठंडे बस्ते में पड़ा परिसीमन मसला भारतीय लोकतंत्र के लिए बना सियासी टाइम बम

1976 तक तो लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों की विधानसभाओं की सीटों की संख्या इस तरह तय की जाती रही ताकि आबादी के प्रतिनिधित्व का समान अनुपात बना रहे, लेकिन 42वें संविधान संशोधन ने सीटों की संख्या 2001 की जनगणना के आधार पर स्थिर कर दी.

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राजनीति

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डीयू के प्रोफेसर को अमेरिका यात्रा की अनुमति के लिए भाषण का पाठ प्रस्तुत करने की ‘सलाह’ दी गई

नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा ने दावा किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें सलाह दी है कि...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.