नीतियां ज़मीनी वास्तविकताओं की समझ वाले विशेषज्ञों द्वारा, पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद बनाई जानी चाहिए. नेताओं को चाहिए कि वे इनकी जिम्मेदारी लें और समय रहते बदलावों के बारे में कारोबारियों को सूचित करें.
पाकिस्तान में और भारत में भी सबको पता था कि सवाल यह नहीं था कि हमले किए जाएंगे या नहीं बल्कि यह था कि वह कब किए जाएंगे. मोदी सरकार ने इन 14 दिनों का इस्तेमाल यह जताने के लिए किया कि उसे कोई हड़बड़ी नहीं है.