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Thursday, 25 April, 2024
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मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के पैकेज ने एमएसएमई क़र्ज में सुधारों का अवसर खो दिया है

बिना कोलेटरल के एमएसएमई लोन के लिए सरकार की 100 प्रतिशत सॉवरेन गारंटी, क़र्ज़दारों को ये रक़म कभी न लौटाने के लिए प्रोत्साहित करेगी, और बैंकों को भी भविष्य में उन्हें क़र्ज़ देने के लिए हतोत्साहित करेगी.

लॉकडाउन हटने के बाद क्या ग्रामीण अर्थव्यवस्था को हो सकता है फायदा

कोविड-19 वायरस का मुक़ाबले करते हुए सरकार और लोगों के व्यवहारों में तो बदलाव आया ही है, आर्थिक तौरतरीके भी बदलेंगे. अब कृषि और ग्रामोद्योग ही भारत को मजबूती दे सकते हैं.

कोविड-19 संकट के बीच अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए भारी-भरकम वित्तीय पैकेज की घोषणा ना करना मोदी सरकार की समझदारी है

सवाल यह है कि इस बड़े पैकेज के लिए पैसा कहां से आएगा? टैक्स से कमाई और घरेलू उधार में इस साल गिरावट ही आएगी इसलिए भारत को विदेश से उधार लेने के लिए तैयार होना पड़ेगा.

लॉकडाउन के खत्म होने की अनिश्चितता के बीच ‘मुद्रास्फीति टैक्स’ ही सरकार को उनकी मदद करने देगा जिनके पास कोई बचत नहीं

अगर कोरोनावायरस का वैक्सीन मिलने तक लॉकडाउन जारी रखने का फैसला किया जाता है तब अर्थव्यवस्था, बाज़ार, और मुद्रा नीति की हमारी समझ को बिलकुल अनजानी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

भारतीय युवा कोरोना से लड़ने वाले योद्धा बनकर अर्थव्यवस्था को ला सकते हैं पटरी पर

लॉकडाउन में छूट देने के बाद बुज़ुर्गों का खास ख्याल रखना होगा लेकिन देश की युवा श्रमिक आबादी, जो दुनिया में सबसे बड़ी है, बन सकती है बड़ी पूंजी. 

भारत कैसे कोरोनावायरस के कारण पैदा हुई वैश्विक मंदी की स्थिति से खुद को बचा सकता है

सामाजिक दूरी कोरोनावायरस के खिलाफ सबसे कारगर उपाय है लेकिन इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था की हालत और अधिक बिगड़ेगी. हालांकि भारत कई अन्य विकासशील देशों के मुक़ाबले बेहतर स्थिति में है.

कोरोना लॉकडाउन में लोगों और अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए मोदी सरकार को ये 3 कदम तो उठाने ही चाहिए

स्वास्थ्य सेवाओं को अपनी बेहतर तैयारी के लिए लॉकडाउन से मदद तो मिलेगी मगर करोड़ों लोग बेरोजगार और बदहाल हो जाएंगे. बहरहाल, सरकार ने 1.7 लाख करोड़ के पैकेज की जो घोषणा की है उसे राहत पहुंचाने का शुरुआती कदम माना जा सकता है

बजट में अर्थव्यवस्था के लिए कोई बड़ी राजकोषीय पहल नहीं की गई पर सरकार के पास आगे ऐसा करने का विकल्प

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास कर, राजस्व और सरकारी व्यय से असंबद्ध नीतिगत और विधायी बदलावों को लेकर बहुत कुछ करने का विकल्प है.

निर्मला सीतारमण को बजट में विश्वसनीय आंकड़ों के साथ राजकोषीय अनुशासन पर ज़ोर देना चाहिए

राजकोषीय विस्तार वैसे तो अर्थव्यवस्था में सुस्ती के दौरान ही किया जाना चाहिए, पर उन आंकड़ों के आधार पर चर्चा बेमतलब है जिन पर कि लोग यकीन नहीं करते हों.

‘एनआइपी’ की 102 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को पूरा करना है तो दीर्घकालिक घरेलू बचत को बढ़ावा देना होगा

पांच खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए ‘नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन’ नामक एक कार्यक्रम पेश किया गया है लेकिन इसके लिए आवश्यक पैसे को लंबे समय तक ताले में बंद रख पाना एक चुनौती होगी.

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