मनोज सोनी ने पिछले महीने यूपीएससी चेयरमैन पद से इस्तीफा देकर खुद को स्वामीनारायण संप्रदाय की शाखा अनुपम मिशन को समर्पित कर दिया. साधु बनने से पहले मोदी के आशीर्वाद ने उनके करियर को परिभाषित किया था.
तनीषा ने राष्ट्रीय से लेकर राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में तीन गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज सहित पांच मेडल जीते हैं. हालांकि, उनकी झिझक अब दूर हो गई है और अब वह गर्व के साथ रहती हैं.
1970 के दशक तक नयाबास अपराधियों के गांव के नाम से कुख्यात था. अब, इस गांव के करीब 500 लोग सरकारी नौकरी करते हैं, जिनमें 10 यूपीएससी अधिकारी और दो दर्जन से अधिक स्टेट सर्विस में हैं.
सभरवाल डॉक्टर डायनेस्टी की शुरुआत 1900 के दशक में लाहौर के स्टेशन मास्टर लाला जीवनमल के सपनों पर हुई थी, जो चाहते थे कि उनके चार बेटे डॉक्टर बनें. आज, उनके पास दिल्ली में 5 अस्पताल हैं.
सुमन ने कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे जीतते हैं या हारते हैं या नहीं, या फिर वह विधानसभा या संसद में बैठते हैं या नहीं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके पास कोई आधिकारिक पद है या नहीं. वे हमारे साथ खड़े हैं, वे हमारी बात सुनते हैं.’
यूपीएससी एस्पिरेशन की कहानी सिर्फ 24×7 पढ़ाई के बारे में नहीं है. यह हर रोज़मर्रा के वित्तीय तनाव, पैसे की तंगी और माता-पिता के कर्ज के लिए भारी अपराधबोध के बारे में है. तीन एस्पिरेंट्स की मौत ने इस निराशा को और गहरा कर दिया है.
अभी एक हफ्ते पहले ही, मैन्स की परीक्षा देने जा रहे एक एस्पिरेंट की बिजली का झटका लगने से मौत हो गई थी और मुखर्जी नगर और ओल्ड राजिंदर नगर में पिछले साल से कम से कम तीन आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं.
आठ साल पुरानी कानूनी लड़ाई ने ऐसे उम्मीदवारों को थका दिया है. कई लोगों को इन सालों में रिश्तेदारों और समाज को अपने सिलेक्शन नहीं होने के बारे में समझाने में मुश्किल हुई है.
एक बिना सोचे-समझे लिए गए फैसले ने मज़दूर को इस खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल करने पर मज़बूर कर दिया, जिसके कारण पिछले 5 सालों में कम से कम 16 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से ज़्यादा लोग घायल हो चुके हैं.
उत्तर प्रदेश में 14 महिला जिला मजिस्ट्रेट हैं, जिनमें बहराइच सबसे ऊपर है, क्योंकि यहां पूरी तरह से महिला प्रशासन है. इनमें से कई महिलाएं पिंक ऑटो चलाने से लेकर फीडिंग रूम तक महिला केंद्रित उपाय कर रही हैं.
दिल्ली सरकार मानती है कि निर्माण कार्य रोकने और वाहनों की आवाजाही कम करने से प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है, लेकिन ये सब खून से लथपथ घावों पर जल्दबाजी में की गई मरहम पट्टी के सिवा कुछ नहीं है.