कर्नाटक में कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में जाति और धर्म के आधार पर नफरत फैलाने के लिए बजरंग दल और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों पर बैन लगाने का वादा किया है.
प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस मुख्यालय के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किया और कांग्रेस के मैनिफेस्टो को जलाकर अपना विरोध जताया. हैदराबाद में पुलिस ने कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है.
कांग्रेस गारंटी की बात करती है लेकिन उसका मकसद कुछ और होता है... कांग्रेस की नजर योजनाओं के 85% पैसे पर होती है. हमें कर्नाटक को कांग्रेस की 85% कमीशन वाली आदत से बचाना है.
घोषणापत्र के मुताबिक, 'कांग्रेस पार्टी जाति और धर्म के आधार पर समुदायों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले शख्स और संगठनों के खिलाफ ठोस व निर्णायक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है.'
बीजेपी नेता शोभा करंदलाजे ने प्रियांक खड़गे के 'नालायक' वाले बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस को पता होना चाहिए कि पीएम मोदी भाजपा के नहीं बल्कि पूरे भारत के पीएम हैं.
बीजेपी के एमएलसी चालावडी नारायणस्वामी ने कहा कि बीजेपी की राज्य में लोकप्रियता से परेशान कांग्रेस ने मोदी के खिलाफ प्रचार के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है.
बेंगलुरु में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए नड्डा ने कहा कि घोषणापत्र किसी AC कमरे में बैठकर नहीं बनाया गया है, बल्कि इस पर मेहनत की गई है.
कांग्रेस की रणनीति शासन में कथित कमियों को उजागर करने की है. इस बीच, भाजपा वही कर रही है जो वह सबसे अच्छा करती है - पीएम की अपील पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीट-दर-सीट माइक्रो-मैनेजमेंट.
बीजेपी का कथित खुलासा- 'डीएमके फाइल्स'- दावा करता है कि डीएमके के 13 सदस्यों के पास कुल 1.34 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है. इनमें से पांच, यह कहते हैं, 'द्रमुक प्रथम परिवार' के सदस्य हैं.
यह समझ से परे है कि भाजपा जब भारत की सबसे मज़बूत पार्टी की स्थिति में है, तब वह जाति जनगणना जैसे विघटनकारी कदम को क्यों उठाए. अगर राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता ऐसी विघटनकारी राजनीति करते हैं, तो बात समझ में आती है. वे भाजपा के राजनीतिक प्रभुत्व को तोड़ने के लिए बेताब हैं, लेकिन भाजपा क्यों?