डीयू की पहली कट-ऑफ सूची पिछले शनिवार को जारी की गई थी, और इसके बाद से कॉलेजों में आवेदनों का अंबार लग गया है जैसा केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक ट्रेंड रहा है.
केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से डीयू अधिनियम की धारा 5(2) में संशोधन करने का अनुरोध किया है, ताकि शहर में और कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित किए जा सकें.
इस योजना के लिए राज्यों के चयन के आधार के बारे में मंत्रालय की एडीजी मौशमी चक्रवर्ती ने दिप्रिंट को बताया कि स्कूलों को परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स के आधार पर चुना गया है. इनमें कुछ स्कूल टॉप, कुछ मिड लेवल और कुछ लोअर लेवल के हैं.
इस कोर्स का रजिस्ट्रेशन फ़ीस 500 और कोर्स फ़ीस 2000 रुपए है. इसकी रजिस्ट्रेशन की तारीख़ दो अक्टूबर तक की थी हालांकि इसे बढ़ाकर 9 अक्टूबर किया गया था और अभी इस एक बार और बढ़ाया जाना है.
आईआईटी दिल्ली के निदेशक ने कहा कि इस मुद्दे पर 13 अक्टूबर की बैठक में चर्चा होगी. लेकिन यह केवल एक बार उठाया जाने वाला कदम होगा और केवल उन छात्रों के लिए होगा जो इस साल अपने दोनों प्रयास को पूरा कर चुके हैं.
कॉलेजों के सामने एक दूसरी बड़ी चुनौती है, स्थाई फैकल्टी सदस्यों का अभाव. बहुत से कॉलेजों में अस्थाई फैकल्टी मेम्बर्स हैं जो चार महीने के कॉन्ट्रेक्ट्स पर काम करते हैं. डीयू में करीब 4,500 अस्थाई शिक्षक हैं.
शिक्षामंंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एक वीडियो ट्वीट करके कहा, 'मुझे उम्मीद है कि राज्य इस एसओपी का अच्छे से पालन करेंगे. किसी को भी जबर्दस्ती स्कूल नहीं बुलाया जाएगा.'