एआईसीटीई द्वारा नियुक्त की गई समिति, आईआईटी, आईआईआईटी और एनआईटी जैसे केंद्र द्वारा वित्त-पोषित संस्थानों को छोड़कर, सभी दूसरे कॉलेजों के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में बदलाव पर काम कर रही है.
चिराग बताते हैं कि फैक्ट्री एक छोटे से कमरे में 8 से 10 बच्चे रहा करते थे. उसी छोटे कमरे में हमारे लिए बाथरूम, किचन, काम करने और सोने की व्यवस्था की गई थी. वो हमसे 16-17 घंटे काम कराते थे.
भारत में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की स्थिति को मजबूत करने के लिए अभिभावकों और शिक्षकों को सामर्थ्य और सशक्त बनाना अनिवार्य है और ऑनलाइन शिक्षा को समावेशी और सुलभ बनाने की जरूरत है.
फिलहाल 70% से अधिक छात्र सरकारी स्कूलों में नामांकित हैं, और लगभग 40% छात्र प्राइवेट ट्यूशन (निजी शिक्षकों से पढ़ना) में भी भाग लेते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बात का अध्ययन किया जाना चाहिए की क्या ये रुझान महामारी से प्रेरित हैं या अधिक दीर्घकालिक रुख की और इशारा करते हैं.
अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा, ‘ओपन डोर्स रिपोर्ट 2021’ के अनुसार, 2020-2021 शैक्षणिक वर्ष में 1,67,582 छात्रों के साथ भारतीय छात्रों में इस संख्या का लगभग 20 प्रतिशत शामिल है.
शिक्षा के अधिकार वाले कानून के तहत सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) पृष्ठभूमि से आने वालों बच्चों के लिए अपनी 25% सीटें आरक्षित रखनी चाहिए और उनसे कोई शुल्क नहीं लेना चाहिए. लेकिन एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में पाया गया है कि केवल कुछ ही राज्यों ने इस नियम को लागू किया है.
75 प्रयोगों को सीखने वालों के लिए सुरक्षित माना गया है, जिन्हें घर पर पाई जाने वाली चीजों से किया जा सकता है. ये कदम महामारी के दौरान व्यावहारिक पढ़ाई के नुकसान की भरपाई के लिए उठाया गया है.
पश्चिम बंगाल में ‘घुसपैठिये’ या ‘तुष्टीकरण’ जैसे शब्द बहुत कम सुनाई पड़ते हैं, न ही ‘मंगलसूत्र’ या अमित शाह द्वारा ममता बनर्जी के ‘मां, माटी, मानुष’ नारे को ‘मुल्ला, मदरसा, माफिया’ में बदलने जैसे वाक्या सुनाई देते हैं.