हिंदीे के प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह की मृत्यु से साहित्य जगत में गहरा शोक व्याप्त है. पर नामवर सिंह ने कोई ख़ाली जगह नहीं छोड़ी, उन्होंने अपनी जगह बनायी और उसे बख़ूबी भर दिया. कोई और नामवर सिंह नहीं हो सकता.
ज़ोया अख्तर ने साबित कर दिया है कि वह बिलकुल आज के समय की, युवाओं की डायरेक्टर हैं. युवा नब्ज़ को पकड़ती हैं, घिसी-पिटी नहीं बिलकुल नई और मौलिक जवां कहानियों के साथ.
कांग्रेस कार्यालय के बाहर चिंकू जी चाय वाले के अच्छे दिन आ गए हैं. प्रियंका गांधी के लखनऊ आने के बाद से इस चाय वाले की बिक्री में लगभग 10 गुना इजाफा हुआ है.