कादर खान बचपन में कब्रिस्तान जाते थे और वहां अकेले में लोगों की नकल करते. यह बात अशऱफ खान को पता चली तो उन्होंने कादर खान को अपने एक नाटक में काम दिया.
स्त्रियों की शिक्षा जिस दौर में निषिद्ध थी, तब एक महिला ने लड़कियों को पढ़ाने का जोखिम लिया. उन्होंने देश का पहला बालिका विद्यालय 1 जनवरी 1848 को खोला था.