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Tuesday, 30 September, 2025
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समाज-संस्कृति

52 स्वतंत्रता सेनानियों की फांसी का गवाह रहा ‘बावनी इमली’, कर रहा है राष्ट्रीय स्तर की पहचान का इंतजार

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में स्थित बावनी इमली घटना की तुलना स्थानीय लोग जालियांवाला बाग नरसंहार के साथ करते हैं.

सिपाही, संत, भाषाओं के विद्वान, कवि- कुछ ऐसे थे अकबर के नौरत्नों में शामिल अब्दुर्रहीम ख़ानेखाना

केंद्रीय मंत्री प्रह्ललाद पटेल ने कहा, 'रहीम आज भी सामयिक हैं. ऐसा बहुत कम जगह देखा जाता है कि जहां युद्ध लड़ा जाए वहां कला, संस्कृति हो. अगर ऐसा होता है तो यह बेहतर बात है.'

सैय्यद मदारी बस्ती में क्यों कोई सितारा नहीं चमकता, जीवन यापन करना भी दूभर

महाराष्ट्र में सात सौ से ज़्यादा सैय्यद मदारी परिवार हैं. घुमंतू समाज के ये लोग तमाशा दिखा कर अपना जीवन यापन करते हैं पर न पैसा मिलता है न शोहरत.

महात्मा गांधी का पाकिस्तान से ‘युद्ध करने का आह्वान’, नोबेल शांति पुरस्कार से उन्हें दूर ले गया

एक भ्रमित करती न्यूज़ रिपोर्ट ने महात्मा गांधी के पुरस्कार जीतने के मौके को क्षीण कर दिया. इसके बाद 1948 में उन्हें ओस्लो जरूर बुलाया जाता अगर नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या न की होती.

जनतंत्र को गढ़ती फर्ज़ी सूचनाएं, गोदी मीडिया की बढ़ती दुनिया और प्रेम के लिए कोना ढूंढते प्रेमी

रवीश कुमार कहते हैं, 'इश्क हमें इंसान बनाता है. जिम्मेदार बनाता है और पहले से थोड़ा-थोड़ा अच्छा बनाता है. जो प्रेम में होता है वह एक बेहतर दुनिया की कल्पना जरूर करता है. जो प्रेम में नहीं है वह अपने शहर में नहीं है.'

26 जनवरी 1950: पहले गणतंत्र दिवस का पहला यादगार फ़्लाई पास्ट

गणतंत्र दिवस परेड में घोड़े, हाथी, मोटरसाइकिल, सेना के ट्रक से लेकर भारी-भरकम टैंक तक निकलते हैं. पर मजाल है कि राजपथ को कोई नुकसान हो. ये सब बिटुमिनस तकनीक का कमाल है.

रमाबाई रानाडे: वह ‘नर्स’, जिसने भारत को नर्सिंग को अच्छी निगाह से देखना सिखाया

आज की तारीख में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने संसद द्वारा पारित इंडियन काउंसिल ऐक्ट 1947 की धारा 3 (1)...

‘पंगा’ फिल्म समीक्षा: एक ऐसी फिल्म जो आपके दिल को छू लेगी और हंसाएगी भी

फिल्म शुरू से ही आपको बहुत प्यारी लगेगी. इसमें हास्य है, व्यंग्य है और दर्शक इससे भली भांति खुद को जोड़ पाएंगे. अश्विनी अय्यर तिवारी का लेखन और निर्देशन हर सीन में चमकता है.

हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए महात्मा गांधी का अंतिम उपवास कैसे हुआ खत्म

गांधी जी ने 13 जनवरी, 1948 को अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया. उनके साथ बिड़ला हाउस में ‘द स्टेट्समैन’ के पूर्व संपादक आर्थर मूर और हजारों अन्य लोग अनशन पर बैठ गए, जिसमें हिंदुओं और सिखों की एक बड़ी तदाद थी और उनमें से कई तो पाकिस्तान से आये शरणार्थी थे.

यातायात सुरक्षा के लिए शहर की सड़कों पर आए महाराष्ट्र के बुलढ़ाना जिले के गांव के बच्चे

बच्चों को यह भी बताया जाता है कि सड़क पर यदि दुर्घटना हो जाए तो एक नागरिक के तौर पर हमारा क्या कर्तव्य होना चाहिए और ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए.

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तमिलनाडु विजय रैली भगदड़: टीवीके जिला सचिव मथियालगन गिरफ्तार

करूर, 29 सितंबर (भाषा) अभिनेता-राजनेता विजय के नेतृत्व वाली तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) के करूर पश्चिम जिला सचिव को 27 सितंबर को पार्टी अध्यक्ष...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.