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Monday, 25 November, 2024
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समाज-संस्कृति

मजरूह सुल्तानपुरी, ज़ख्मी दिलों पर गीतों का मरहम लगाने वाला शायर

मजरूह साहब की लेखनी में इंसानी एहसासात, गांव का भरा पूरा परिवेश, लादरीयत (आलस) भरी शाम, बंसी की मधुर धुन है और साथ ही जीवन का राग.

सौ साल पहले महात्मा गांधी ने बिहार में खोला था स्कूल, आज तक नहीं मिली मान्यता

गांधी चंपारण पहुंचने के बाद सबसे पिछड़े गांव भितिहरवा गए थे और वहां उन्होंने सबसे अधिक जोर शिक्षा, स्वच्छता व स्वास्थ्य पर दिया था.

शोले में ‘कितने आदमी थे’ का जवाब देने वाले ‘कालिया’ वीजू खोटे नहीं रहे

विजू खोटे साल 1964 से फिल्मी दुनिया से जुड़े थे. 50 साल से अधिक के अपने करियर में उन्होंने कई मराठी, हिंदी फिल्मों के साथ साथ टेलीविजन धारावाहिकों में और थियेटर में भी काम किया.

श्रद्धाराम फिल्लौरी: जिन्होंने ‘ऊं जय जगदीश हरे’ ही नहीं और भी बहुत कुछ रचा

श्रद्धाराम फिल्लौरी ने कवि कर्म से इतर भी हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है और कई विद्वान उनके उपन्यास ‘भाग्यवती’ को हिंदी का पहला उपन्यास मानते हैं.

गांधी आज ‘महात्मा’ न होते अगर भीड़ द्वारा हमले में उन्हें कुछ हो जाता

जिसे आज 'मॉब लिंचिंग' कहा जाता है, उससे गांधी मुश्किल से बच पाए थे. वरना, गांधी के महात्मा बनने की कहानी वहीं ठहर जाती और उनकी पहचान मोहनदास करमचंद तक ही सीमित हो गई रहती.

देवानंद की ‘प्रेम पुजारी’ जैसी देशभक्ति बॉलीवुड की किसी अन्य फिल्म में देखने को नहीं मिली

प्रेम पुजारी में देवानंद ने रामदेव नामक एक अमन-पसंद सैनिक का किरदार निभाया है, जो कोर्ट मार्शल किए जाने के बाद पलायन करने को विवश हो जाता है.

देश के युवाओं को क्रांति के लिए नेहरू के रास्ते पर चलना चाहिए : भगत सिंह

भगत सिंह के अनुसार सुभाषचंद्र बोस और नेहरू दोनों ही भारत की आजादी के लिए प्रतिबद्ध थे लेकिन दोनों अपने विचारों के स्तर पर काफी अलग हैं. एक भारतीय संस्कृति का वाहक और भावनात्मकता से जुड़ा है तो दूसरा एक क्रांतिकारी है.

कनॉट प्लेस में टिकटोक का हॉट अड्डा जिसमें है लंदन की फील और स्वैग

टिकटोक 12 से 22 साल के युवाओं में काफी पॉपुलर है. 100 स्कूली युवाओं की भीड़ में लड़कियां भी हैं जो टिकटोक सेलिब बनने की लालसा में कनॉट प्लेस की इस गली में आईं हैं.

गांधी मानते थे कि बात अपनी ही भाषा में अच्छे से कही जा सकती है

महात्मा गांधी अपनी भाषा और अपनी जुबान के समर्थक थे. उनका मानना था कि जो बात जिस भाषा में मूल रूप में कही गई है और जिसमें वह रची-बसी है, उसी में उसका सही अर्थ समझा जा सकता है.

देवानंद पर फिल्माए गए राग गारा पर आधारित कई गीत और सभी के सभी हुए बहुत हिट

राग गारा भारतीय संगीतकारों के पसंदीदा रागों में रहा है. इस राग को आधार बनाकर कई और शानदार फिल्मी गाने कंपोज किए गए हैं.

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