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Thursday, 2 May, 2024
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समाज-संस्कृति

‘दलित पैंथर: एक आधिकारिक इतिहास’ पुस्तक जिसके पन्नों पर भयावह उत्पीड़न और तीखा प्रतिवाद मिलता है

दलित पैंथर आंदोलन की गतिविधियों की दृष्टि से मई 1972 से लेकर जून 1975 तक की अवधि सबसे महत्वपूर्ण थी. इस काल में दलित पैंथर आंदोलन ने तूफान-सा बरपा दिया था.

श्मशान घाट का राजा होने के बावजूद डोम समाज अपने मृतकों के दाह संस्कार से क्यों है वंचित

हमारे देश में एक इलाका ऐसा भी है, जहां हिंदू होने के बाद भी आबादी के एक हिस्से को दाह संस्कार से वंचित होना पड़ रहा है और यह उस तबके की कहानी है जिसे श्मशान घाट का राजा माना जाता है.

शिक्षक ने अंधविश्वास के खिलाफ विज्ञान को बनाया हथियार, बच्चों के साथ बदल रहा बड़ों का दृष्टिकोण

बच्चे यह समझ रहे हैं कि हर घटना के पीछे विज्ञान होता है तथा जादू-टोनों की आड़ में बाबा लोगों को मूर्ख बनाकर उन्हें ठगते हैं.

साहित्यकार कृष्ण बलदेव वैद नहीं रहे, हिंदी की दुनिया उनके प्रति हमेशा अनुदार ही रही

कृष्ण बलदेव वैद की लेखनी में मनुष्य जीवन के नाटकीय सन्दर्भों की गहरी पहचान है. अपनी रचनाओं में उन्होंने सदा नए से नए और मौलिक-भाषाई प्रयोग किये हैं जो पाठक को 'चमत्कृत' करते हैं.

52 स्वतंत्रता सेनानियों की फांसी का गवाह रहा ‘बावनी इमली’, कर रहा है राष्ट्रीय स्तर की पहचान का इंतजार

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में स्थित बावनी इमली घटना की तुलना स्थानीय लोग जालियांवाला बाग नरसंहार के साथ करते हैं.

सिपाही, संत, भाषाओं के विद्वान, कवि- कुछ ऐसे थे अकबर के नौरत्नों में शामिल अब्दुर्रहीम ख़ानेखाना

केंद्रीय मंत्री प्रह्ललाद पटेल ने कहा, 'रहीम आज भी सामयिक हैं. ऐसा बहुत कम जगह देखा जाता है कि जहां युद्ध लड़ा जाए वहां कला, संस्कृति हो. अगर ऐसा होता है तो यह बेहतर बात है.'

सैय्यद मदारी बस्ती में क्यों कोई सितारा नहीं चमकता, जीवन यापन करना भी दूभर

महाराष्ट्र में सात सौ से ज़्यादा सैय्यद मदारी परिवार हैं. घुमंतू समाज के ये लोग तमाशा दिखा कर अपना जीवन यापन करते हैं पर न पैसा मिलता है न शोहरत.

महात्मा गांधी का पाकिस्तान से ‘युद्ध करने का आह्वान’, नोबेल शांति पुरस्कार से उन्हें दूर ले गया

एक भ्रमित करती न्यूज़ रिपोर्ट ने महात्मा गांधी के पुरस्कार जीतने के मौके को क्षीण कर दिया. इसके बाद 1948 में उन्हें ओस्लो जरूर बुलाया जाता अगर नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या न की होती.

जनतंत्र को गढ़ती फर्ज़ी सूचनाएं, गोदी मीडिया की बढ़ती दुनिया और प्रेम के लिए कोना ढूंढते प्रेमी

रवीश कुमार कहते हैं, 'इश्क हमें इंसान बनाता है. जिम्मेदार बनाता है और पहले से थोड़ा-थोड़ा अच्छा बनाता है. जो प्रेम में होता है वह एक बेहतर दुनिया की कल्पना जरूर करता है. जो प्रेम में नहीं है वह अपने शहर में नहीं है.'

26 जनवरी 1950: पहले गणतंत्र दिवस का पहला यादगार फ़्लाई पास्ट

गणतंत्र दिवस परेड में घोड़े, हाथी, मोटरसाइकिल, सेना के ट्रक से लेकर भारी-भरकम टैंक तक निकलते हैं. पर मजाल है कि राजपथ को कोई नुकसान हो. ये सब बिटुमिनस तकनीक का कमाल है.

मत-विमत

मोदी का रिपोर्ट कार्ड कहां है? वह इसे मंगलसूत्र, मुसलमानों के पीछे ध्यान भटकाकर छिपाने की कोशिश में जुटे हैं

चुनाव मंत्री – माफ कीजिएगा, प्रधानमंत्री सच्चाई से वाबस्ता करना पसंद नहीं करते. उन्हें बॉलीवुड की कल्पनाएं, भ्रम के बुलबुले और साफ-सुथरे माहौल में सज धज कर फोटो खिंचवाना पसंद है.

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त्रिपुरा: 16 वर्षीय किशोरी के साथ दो लोगों ने कई बार किया दुष्कर्म

अगरतला, दो मई (भाषा) त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले में 16 वर्षीय किशोरी के साथ सोशल मीडिया पर दोस्त बने दो लोगों ने कथित तौर...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.