2005 के इस विज्ञापन ने सौंदर्य उत्पादों के विज्ञापन के लिए महिलाओं के उपयोग वाले खेल को एकदम उलट कर रख दिया था, क्योंकि इसने दर्शकों की निगाहों को महिलाओं के प्रति यौनआकर्षण के बजाय एक पुरुष पर केंद्रित कर दिया था.
एक देश बारह दुनिया, दरअसल बारह दुनियाओं की बात कहती है. इसमें भुखमरी, कुपोषण से लेकर कोठे पर काम करने वाली महिलाओं और खेल तमाशा कर जावन यापन करने वालों तक के जीवन से जोड़कर पाठक को झकझोर कर रख दिया है.
1940 में जम्मू के पुरमंडल में जन्मी पद्मा एक संस्कृत विद्वान जय देव बडू की तीन संतानों में सबसे बड़ी थी. पिता की भारत के विभाजन के दौरान मृत्यु हो गयी थी.
मजरूह सुल्तानपुरी, कैफ़ी आज़मी, साहिर लुधियानवी उस समय राष्ट्रवाद और फासीवाद विरोधी गीत लिख रहे थे, वहीं इसी प्रगतिशील ब्रिगेड के बीच अपनी कलम से एक अलग पहचान बनाने में बदायुनी सफल रहे.
साहित्य और सिनेमा का जो रिश्ता जुड़ा, उस पर गहराई से नज़र डाली जाए तो ये चर्चा फिल्मकार सत्यजीत रे और साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के बिना अधूरी जान पड़ती है.
जॉनी वॉकर जिस अंदाज में अपने चेहरे को घुमाते, नज़रें तिरछी करते, भौंहे सिकुड़ाते, नाक से निकली आवाज के दम पर डॉयलग डिलीवरी करते- कॉमेडी की दुनिया में ये अनोखी बात थी.
बख्शी साहब के गानों में एक दर्शन भी है. जो 'पिया का घर' फिल्म के इस गाने में बखूबी झलकता है- ये जीवन है, इस जीवन का यही है, यही है, यही है रंग-रूप...थोड़े गम हैं, थोड़ी खुशियां, यही है, यही है छांव-धूप .
हिन्दी गीतों के क्रॉफ्ट में जो मधुरता, दर्द, चुलबुलेपन का पुट गीता दत्त लाईं, अगर वो न होतीं तो अच्छे गानों से हम महदूद हो जाते. लेकिन तकदीर ने गीता दत्त का साथ नहीं दिया और उनकी तदबीरें भी काम नहीं आईं.
डिजिटल संप्रभुता सिर्फ सरकारी क्लाउड सिस्टम तक सीमित नहीं रह सकती. इसे नेटवर्किंग, सीडीएन, एआई और सुरक्षा की उन परतों तक फैलना होगा, जो पूरी अर्थव्यवस्था में गहराई तक फैली हुई हैं.