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Friday, 19 April, 2024
होमदेश‘कश्मीर का खून बिकाऊ नहीं' : भारत-पाकिस्तान रोमांटिक वेब सीरीज के कारण पाकिस्तानी ट्विटर पर बरपा हंगामा

‘कश्मीर का खून बिकाऊ नहीं’ : भारत-पाकिस्तान रोमांटिक वेब सीरीज के कारण पाकिस्तानी ट्विटर पर बरपा हंगामा

'धूप की दीवार' एक भारतीय और एक पाकिस्तानी लड़के के बीच की प्रेम कहानी है, जो कश्मीर में मारे गए प्रतिद्वंद्वी देशों के सैनिकों के बच्चे हैं.

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नई दिल्ली: एक भारतीय लड़के और एक पाकिस्तानी लड़की के बीच सीमाओं के परे होने वाले रोमांस पर आधारित एक पाकिस्तानी वेब सीरीज एक नए विवाद का केंद्र बनती नजर आ रही क्योंकि पाकिस्तान में सोशल मीडिया के यूजर्स/उपयोगकर्ताओं ने इसे ‘देशद्रोही’ करार देते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

इस वेब सीरीज ‘धूप की दीवार’ का ट्रेलर बुधवार को जारी किया गया था और यह कश्मीर में मारे गए दोनों प्रतिद्वंद्वी देशो के सैनिकों के बच्चों की कहानी बयान करता है.

इस सीरीज में सजल एली और अहद रज़ा मीर हैं जैसे कलाकार हैं और यह भारतीय स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ज़ी-5 पर 25 जून को रिलीज़ होगी.

हालांकि, इस सीरीज का ट्रेलर रिलीज होने के तुरंत बाद पाकिस्तान में हैशटैग #Bandhoopkideewar ट्रेंड करने लगा. पाकिस्तानी ट्विटर उपयोगकर्ताओं के अनुसार, यह सीरीज ‘कश्मीरियों के खून’ का मौद्रिकीकरण कर रही है और ‘दो राष्ट्रों के सिद्धांत (टू नेशन थ्योरी)’ को कमजोर करती है.

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हम कश्मीरी शहीदों के खून को बर्बाद नहीं होने देंगे और न ही पाकिस्तानी शहीदों का खून बर्बाद होने देंगे
कश्मीर और पाकिस्तान में कुछ देशद्रोही तत्व हैं जिन्होंने कुछ पैसे के लिए अपने यकीं को बेच दिया है, यह उनके लिए शर्म की बात है.

इस बीच, इस वेब सीरीज के निर्माताओं ने कहा कि इस शो को इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस – पाकिस्तानी सेना के मीडिया और जनसंपर्क प्रभाग – के द्वारा स्वीकृत कर दिया गया था.

लेखक उमेरा अहमद ने फेसबुक पर पोस्ट किये गए एक बयान में कहा, ‘जब मैंने 2019 में धूप की दीवार पर काम करना शुरू किया, तो मैंने इसकी कहानी इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस को भेजी. मैंने इसकी टीम से इसके मूल्यांकन के लिए कहा ताकि मैं कहानी में आपत्तिजनक दिखने/लगने वाले अंशो को संपादित कर सकूं.’ ज्ञात हो कि उमेरा अहमद ने ही लोकप्रिय पाकिस्तानी सीरीज ‘जिंदगी गुलजार है’ भी लिखी है.

उन्होंने कहा कि यह कहानी उनकी अपनी थी, जिसे वह एक उपन्यास के रूप में लिख रही थी, लेकिन बाद में उन्हें एक पाकिस्तानी फर्म, ग्रुप एम, द्वारा उन्हें इसे एक नाटक के रूप में परिवर्तित करने के काम पर रखा गया था.
उमेरा अहमद की आने वाली धूप की दीवार पर उठी तमाम भ्रांतियों और सवालों के जवाब! एक थ्रेड

इस सीरीज की लेखिका ने यह भी कहा कि विवादास्पद मामलों पर बहस शुरू करना उनका जाती अधिकार है.
उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘मेरे इस सैद्धांतिक रुख का समर्थन करने के लिए मैं आप सभी की शुक्रगुजार हूं कि किसी भी महत्वपूर्ण मामले पर अपने काम के द्वारा बहस शुरू करना एक लेखक का मूल अधिकार है.’

‘पाकिस्तान विरोधी, टू नेशन थ्योरी को कमजोर करता है’

हालांकि, कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस सीरीज की कड़ी आलोचना करते हुए इसे ‘पाकिस्तान विरोधी’ कहा और इसके अभिनेताओं एवं निर्माताओं को देशद्रोही करार दिया.

ट्विटर यूजर्स ने यह भी कहा कि वेब सीरीज ‘टू नेशन थ्योरी’ – जिसके कारण पाकिस्तान का जन्म हुआ- को यह कहकर कमजोर करती है कि भारत और पाकिस्तान सिर्फ एक युद्ध से विभाजित हैं.

पाकिस्तान का निर्माण इस्लाम की विचारधारा पर आधारित था. धरती पर ऐसी कोई ताकत नहीं है जो पाकिस्तान को पहले जैसा कर सकती है और कश्मीर पाकिस्तान की जग्यलर वेन (गले की नस) है. पाकिस्तान हमेशा कश्मीरियों के साथ खड़ा है. इस तरह के नाटक टू नेशन थ्योरी को कमजोर कर रहे हैं.

भारत और पाकिस्तान दोनों इस ‘टू नेशन थ्योरी’ की विचारधारा के कारण ही अस्तित्व में आए. हिन्दू और मुसलमान बिना संघर्ष के एक ही स्थान पर नहीं रह सकते. हमें इस तथ्य को समझने की जरूरत है और इस सीरीज की निंदा करनी चाहिए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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