सोनिया ने उनकी पत्नी शायरा बानो को लिखे पत्र में कहा, ‘आपके पति श्री दिलीप कुमार के निधन से भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग का अंत हो गया. वह आजीवन किंवदंती रहे और भविष्य में भी रहेंगे. आने वाली पीढ़ियां भी उनकी फिल्में देखेंगी.’
मुंशी प्रेमचंद की जीवनी को उनके पुत्र और लेखक अमृत राय ने लिखा है. उन्होंने लिखा है कि अपने समय को खुली आंखों देखने और निर्भय होकर अपनी राय रखने वाले प्रेमचंद इस जीवनी में हर कोण से प्रकाशित हैं.
एक लंबा सिलसिला खत्म हो गया, एक ऐतिहासिक और सर्व-समावेशी परंपरा आकर थम गई, बहुआयामी व्यक्तित्व वाली शख्सियत की खूबियां हमारे सामने से गुजरने लगी और न जाने कितनी ही दिल और दिमाग में बिखरी यादों ने सिमटकर एक मूर्त रूप ले लिया- दिलीप कुमार साहब का.
भारतीय सिनेमा के गोल्डन एरा के शानदार अभिनेताओं में से एक दिलीप कुमार थे. उनका बहुआयामी व्यक्तित्व था. हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी भाषाओं पर उनकी जबरदस्त पकड़ थी.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर निवेदिता मेनन अपनी किताब 'नारीवादी निगाह से' में नारीवादी सिद्धांतों की बेहद जटिल अवधारणाओं को विस्तार से बताती हैं.
'हमारी दलित बस्ती के अनगिनत दलित हजारों दुख-दर्द अपने अंदर लिए मुर्दहिया में दफन हो गए थे. यदि उनमें से किसी की भी आत्मकथा लिखी जाती तो उसका शीर्षक मुर्दहिया ही होता.'
कबीर बेदी के संस्मरण 'स्टोरीज आई मस्ट टेल: द इमोशनल जर्नी ऑफ एन एक्टर’ के विमोचन के मौके पर खान ने कहा कि उनकी जिंदगी में ऐसे कई मौके आए जब उन्हें अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेने में मुश्किल हुई.
समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता ऐसे शब्द हैं जिन्हें भाजपा नेता न पूरी तरह अपनाना चाहते हैं और न ही खुले तौर पर नकार पा रहे हैं. इसी उलझन की वजह से पार्टी अब इन विचारों का अपना मतलब गढ़ने की कोशिश कर रही है और वह भी थोड़े अटपटे और बेतुके तरीके से.