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Sunday, 9 November, 2025
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समाज-संस्कृति

‘जो मजलूमों और कमजोरों के हक में बोलने से डरते हैं, गुलाम वे हैं’- क्या कुछ कहती है भगत सिंह की ‘जेल डायरी’

‘जेल डायरी’ के पन्नों से हमें पता चलता है कि भगतसिंहजी गुरुनानक देव महाराजजी, गुरु गोविंदसिंहजी, समर्थ गुरु रामदासजी, रवींद्रनाथ टैगोरजी, विलियम वर्ड्सवर्थजी, मार्क्स, एंजेल्स, बुखारिन लेनिन, बर्टेड रसेल आदि के जीवन एवं विचारों से प्रभावित थे.

सत्यजित राय के लिए एक सपने को साकार करने की लड़ाई क्यों थी ‘पाथेर पांचाली’

सत्यजित राय ने अपने पूरे जीवन में कुछ दर्जन ही फिल्में बनाई लेकिन जो भी बनाई वो वैश्विक ऊंचाईयां छूती गई और सिनेमा जगत के लिए अनूठी साबित हुई.

उर्दू मीडिया की नजर में हिजाब पर फैसला मुस्लिमों की पहचान को दबाने वाला, SC में अपील का समर्थन

दिप्रिंट अपने राउंड-अप में बता रहा है कि इस सप्ताह उर्दू मीडिया ने विभिन्न घटनाएं कैसे कवर कीं और उनमें से कुछ पर उनका संपादकीय नजरिया क्या रहा.

क्यों कश्मीरी पंडितों पर बनी एक जरूरी फिल्म है ‘द कश्मीर फाइल्स’

कश्मीरी विस्थापित दादा और दिल्ली में पढ़ रहे पोते को रूपक की तरह इस्तेमाल करते हुए फिल्मकार असल में हमें पुरानी और नई पीढ़ी के सच से भी रूबरू कराते हैं.

धनबल, RSS की मदद और उसका समर्पित कैडर: UP में BJP की जीत पर उर्दू प्रेस ने क्या कहा

दिप्रिंट अपने राउंडअप में बता रहा है कि इस सप्ताह उर्दू मीडिया ने देश-दुनिया की विभिन्न घटनाओं को कैसे कवर किया और उनमें से कुछ पर उनका संपादकीय रुख क्या रहा.

उर्दू अखबारों में छाईं रूस-यूक्रेन जंग की खबरें और भारतीयों के निकासी अभियान में ‘देरी’ के लिए मोदी की आलोचना

दिप्रिंट अपने राउंडअप में बता रहा है कि इस सप्ताह उर्दू मीडिया ने देश-दुनिया की विभिन्न घटनाओं को कैसे कवर किया और उनमें से कुछ पर उनका संपादकीय रुख क्या रहा.

पुतिन ने दुनिया के खिलाफ छेड़ी जंग और एक मर्डर से हिजाब विवाद और गहराया- इस हफ्ते उर्दू प्रेस की झलकियां

दिप्रिंट अपने राउंड-अप में बता रहा है कि उर्दू मीडिया ने इस हफ्ते की घटनाओं को कैसे कवर किया और उनमें से कुछ पर उनका संपादकीय रुख क्या रहा.

‘बिना-मुद्दे’ का सियासी मुद्दा बन जाना त्रासद- हिजाब विवाद पर इस हफ्ते क्या रही उर्दू प्रेस की राय

दिप्रिंट का राउंड-अप बता रहा है कि उर्दू मीडिया ने इस हफ्ते विभिन्न न्यूज इवेंट को कैसे कवर किया और उन पर कुछ का संपादकीय रुख क्या रहा.

डिस्को संगीत के लिए मशहूर गायक-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी का निधन

बप्पी लाहिड़ी ने 80 और 90 के दशक में डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाया.

समलैंगिकता पर संभल कर बात करती है ‘बधाई दो’

फिल्म का अंत सुखद है लेकिन सवाल छोड़ जाता है कि अपनी समलैंगिकता का खुल कर प्रदर्शन करने वाले ये किरदार क्या फिल्म खत्म होने के बाद उस समाज, शहर में खुल कर जी पाए?

मत-विमत

बिहार—जहां सिर्फ राजनीति ही आगे बढ़ी, बाकी सब कुछ ठहरा रह गया

बिहार के पास ऐसी उपजाऊ ज़मीन है जो पूरे भारत में सबसे ज्यादा क्रांतियों को जन्म देने वाली रही है. इसके बावजूद बिहार इतना पीछे क्यों रह गया? राजनीति का स्थायी जुनून ही उसके विनाश की मूल वजह है.

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राजनीति

देश

ऑनलाइन ट्रेडिंग में आईटी पेशेवर से 35.7 लाख रुपये की ठगी

मुंबई, आठ नवंबर (भाषा) मुंबई में 40 वर्षीय एक आईटी पेशेवर से ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग में 35.7 लाख रुपये की ठगी कर ली गई।...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.