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Thursday, 25 April, 2024
होमदेश'नए राष्ट्रवाद’ पर हामिद अंसारी का भाषण, UP में नेताओं का दलबदल और गणतंत्र दिवस परेड- उर्दू प्रेस की झलकियां

‘नए राष्ट्रवाद’ पर हामिद अंसारी का भाषण, UP में नेताओं का दलबदल और गणतंत्र दिवस परेड- उर्दू प्रेस की झलकियां

दिप्रिंट के राउंड-अप में जानें उर्दू मीडिया ने इस सप्ताह की विभिन्न घटनाओं को कैसे कवर किया और उनमें से कुछ पर उनका संपादकीय रुख क्या रहा.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बढ़ती चुनावी सरगर्मी के बीच कथित सांप्रदायिक घटनाओं संबंधी रिपोर्ट, उत्तराखंड में धर्म संसद के दौरान दिए गए ‘घृणास्पद भाषणों’ पर आगे का घटनाक्रम और देश में ‘धार्मिक भेदभाव गहराने’ को लेकर दिए जाने वाले बयान, इस हफ्ते उर्दू अखबारों में पहले पेज पर कवरेज का केंद्रबिंदु रहे. यहां तक कि महामारी से जुड़ी खबरों को भी अंदर के पन्नों में ही जगह मिली.

दिप्रिंट अपने राउंडअप में बता रहा है कि इस सप्ताह उर्दू मीडिया में पहले पन्ने और संपादकीय में क्या रहा खास.


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‘हेट स्पीच’ को लेकर सांप्रदायिक तनाव

देश के पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद की तरफ से आयोजित एक पैनल डिस्कशन में भारत में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन और एक ‘काल्पनिक’ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के उदय को लेकर चिंता जताई, जिसे इंकलाब और रोजनामा राष्ट्रीय सहारा दोनों ने 28 जनवरी को अपने पहले पन्ने पर जगह दी.

रोजनामा ने अपनी लीड और सेकेंड लीड स्टोरी के तौर पर दो खबरों को प्रमुखता से छापा— इसमें पहली खबर कर्नाटक से जुड़ी थी जहां लड़कियों को हिजाब पहनकर कॉलेज आने की अनुमति देने को लेकर टकराव की स्थिति बन गई और दूसरी खबर केरल की थी, जहां हिजाब और पूरी बांह के कपड़े पहनकर स्टूडेंट पुलिस कैडेट प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने की एक लड़की की अपील को इस आधार पर ठुकरा दिया गया कि इससे राज्य की धर्मनिरपेक्ष छवि प्रभावित होगी.

24 जनवरी को इंकलाब ने त्रिपुरा सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे की खबर को लीड बनाया जो कि राज्य में सांप्रदायिक घटनाओं के लेकर दायर तमाम याचिकाओं पर जवाब के तौर पर दाखिल किया गया था. स्थिति से निपटने में नाकाम रहने को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब देने के बजाये त्रिपुरा भाजपा सरकार ने पूछा था कि पिछले साल विधानसभा चुनाव-बाद हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार से इसी तरह के सवाल क्यों नहीं पूछे गए.

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22 जनवरी को रोजनामा ने रिपोर्ट दी कि अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल की तरफ से कार्यवाही शुरू करने पर सहमति जताए जाने के बाद अब विवादास्पद धार्मिक नेता यति नरसिंहानंद पर कोर्ट की अवमानना के आरोप तय किए जाएंगे.

इंकलाब ने 26 जनवरी को ‘नफरत फैलाने वालों की बढ़ती हिम्मत’ शीर्षक से प्रकाशित एक संपादकीय में लिखा कि यह हेट स्पीच के खिलाफ लगातार चुप्पी साधे जाने का ही नतीजा है. साथ ही आगाह किया कि अगर इस तरह की प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल उपाय नहीं किए गए तो पता नहीं देश किस दिशा में जाएगा.

सियासत ने टीपू सुल्तान के नाम पर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के नामकरण को लेकर महाराष्ट्र में जारी तनाव पर 28 जनवरी को अपने संपादकीय में लिखा कि भाजपा सांप्रदायिक तनाव फैलाने का कोई मौका नहीं छोड़ती है. अखबार ने लिखा है कि पार्टी आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास का पूरा स्वरूप ही बिगाड़ देने के लिए प्रतिबद्ध है.


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उत्तर प्रदेश और पंजाब का चुनाव

उत्तर प्रदेश में विभिन्न नेताओं के एक से दूसरी पार्टी में आते-जाते रहने के बीच पूर्व कांग्रेस नेता आर.पी.एन. सिंह के भाजपा में जाने की खबर को इंकलाब और रोजनामा दोनों ने गणतंत्र दिवस पर पहले पन्ने पर छापा. दोनों उर्दू अखबारों ने अपने संपादकीय में लिखा कि इस राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में लोगों को अच्छी तरह सोचकर ही यह तय करना होगा कि उनके लिए अच्छा क्या है.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने के फैसले, जो कि पहले इससे इनकार कर चुके थे, पर 23 जनवरी के अपने संपादकीय में सियासत ने लिखा है कि केवल चेहरों पर ध्यान देने जाने के बजाये मतदाता अगर पार्टियों के पिछले कामों और उनके वर्तमान वादों को ध्यान में रखें तो वह न केवल अपने हितों की बेहतर ढंग से रक्षा कर पाएंगे बल्कि राज्य की प्रगति में भी योगदान दे सकेंगे. रोजनामा ने उसी दिन अपने संपादकीय में लिखा कि कट्टरपंथी जहां आक्रामक बयानबाजी में लिप्त हैं, वहीं स्वघोषित धर्मनिरपेक्ष दल भी धर्म के आधार पर उत्पीड़न के खिलाफ मुखर ढंग से आवाज उठा रहे हैं.

28 जनवरी को सियासत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पंजाब यात्रा और कांग्रेस के टिकट पर पंजाब चुनाव लड़ने वाले 117 उम्मीदवारों के साथ उनके स्वर्ण मंदिर के लंगर में शामिल होने की खबर को मुखपृष्ठ पर प्रमुखता से कवर किया.

राहुल गांधी का यह आरोप शुक्रवार को इंकलाब के पहले पन्ने पर सुर्खियों में रहा कि भारत सरकार के कहने पर उनके ट्विटर फॉलोअर्स को कम कर दिया गया है. गणतंत्र दिवस पर सियासत ने पहले पन्ने पर ब्राह्मणों को लेकर राज्य मंत्री संजीव बालियान की कथित टिप्पणियों के खिलाफ कांग्रेस के बयान को प्रमुखता से छापा.


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एयर इंडिया हैंडओवर

रोजनामा ने 25 जनवरी को अपने पहले पेज पर एयर इंडिया को एक सार्वजनिक उपक्रम से बदलकर टाटा संस द्वारा संचालित एक निजी कंपनी को सौंपे जाने के बारे में खबर प्रकाशित की, जिसमें 1932 में टाटा एयरलाइंस के रूप में इसकी स्थापना से लेकर फिर टाटा के हाथों में पहुंचने तक का संक्षिप्त इतिहास बताया गया. सरकार ने 1953 में टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण किया था.

28 जनवरी को पहले पेज की एक स्टोरी में सियासत ने बताया कि एयरलाइंस को सौंपने में थोड़ी देरी हुई है. इसने अपने पहले पन्ने पर रतन टाटा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात की एक तस्वीर भी छापी.

गणतंत्र दिवस समारोह

27 जनवरी को इंकलाब का कोई अंक प्रकाशित नहीं हुआ, वहीं अन्य दोनों अखबारों सियासत और रोजनामा ने गणतंत्र दिवस समारोह और पद्म पुरस्कारों की खबर को पहले पन्ने पर प्रमुखता से छापा.

सियासत ने अपने मुखपृष्ठ पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सहायक उपनिरीक्षक को अशोक चक्र से सम्मानित किए जाने की खबर छापी, इसी स्टोरी के साथ एक अन्य खबर मुंबई में पद्म भूषण सुंदर पिचाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने से संबंधित थी. रोजनामा ने ‘गौरवपूर्ण’ प्रदर्शन को लेकर अपनी लीड स्टोरी के साथ गणतंत्र दिवस परेड की तस्वीरों का एक रंगीन कोलाज छापा.

एक दिन पहले दिया गया राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का संबोधन सियासत के पहले पन्ने पर सुर्खियों में था, इसके साथ ही गुलाम नबी आजाद पर हेडलाइन केंद्रित करते हुए पद्म पुरस्कारों की घोषणा संबंधी खबर भी प्रमुखता से छपी.

(उर्दूस्कोप को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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