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Wednesday, 20 November, 2024
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हमेशा बड़ी फिल्में चाहता था जिन्हें मेरे अम्मी और अब्बू जन्नत से देख सकें : शाहरुख खान

अभिनेता ने अगस्त में बातचीत की थी जब वे 77वें लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में पार्डो अला कैरियरा अवार्ड-लोकार्नो टूरिज्म प्राप्त करने के लिए स्विटजरलैंड में थे, ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय अभिनेता हैं. महोत्सव के आधिकारिक यूट्यूब पेज ने कल रात इंटरव्यू को शेयर किया.

राहुल गांधी ने खुद पर कड़ी मेहनत कर अपने बारे में लोगों की धारणा बदल दी : अभिनेता सैफ अली खान

सैफ अली खान ने कहा कि सोशल मीडिया पर नहीं होना ‘अच्छी बात’ है और इससे एक कलाकार के रूप में उनकी ‘ब्रांड वैल्यू’ पर असर नहीं पड़ता.

27 सितंबर से होगा वैली ऑफ वर्ड्स ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन 2024’ का आयोजन

इसी कड़ी में ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन-2024’ 27, 28 और 29 सितंबर को ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के सहयोग से देहरादून में आयोजित होगा. इस शब्दोत्सव में हिंदी साहित्य जगत की कई प्रमुख हस्तियां शिरकत करेंगी.

अशोक वाजपेयी की भारतीय कलाकारों से अपील: एक नए स्वतंत्रता आंदोलन के लिए रहें तैयार

कवि अशोक वाजपेयी ने सांस्कृतिक अध्ययनों की महान विधाता और भारत में कला की एक प्रमुख कलाकार कपिला वात्स्यायन की स्मृति में ‘हमारी कलाएं: हमारा समाज’ व्याख्यान दिया.

कपिल शर्मा और वीर दास से पहले थे — राजू श्रीवास्तव आम लोगों के कॉमेडी के बादशाह

राजू श्रीवास्तव की हास्य-व्यंग्य की शैली दर्शकों को खूब पसंद आई, लेकिन भारतीय स्टैंड-अप के बढ़ने के साथ उनकी लोकप्रियता कम होती गई.

J&K में अनुच्छेद-370 हटाने के BJP को फायदा नहीं मिला, उसे मालूम है यह कोई उपलब्धि नहीं है — उर्दू प्रेस

पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले हफ्ते के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख अपनाया.

आपातकाल के कारणों के ऐतिहासिक संदर्भ मुहैया कराती है ‘आपातकाल आख्यान’

व्यवस्था के प्रति इस असंतोष ने देश के युवाओं को आंदोलित किया और आज़ादी की लड़ाई के सिपाही ‘जेपी’ ने उन्हें नेतृत्व दिया. आखिर वह दौर लंबा नहीं चल सका, लेकिन आपातकाल से हमें जो सीख लेनी चाहिए थी वो हमने नहीं ली.

‘राहुल गांधी ने हिंदुओं के खिलाफ कुछ नहीं कहा’, शंकराचार्य की टिप्पणी बदलाव को दर्शाती है — उर्दू प्रेस

पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले हफ्ते के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख अपनाया.

‘परेशान और बेचैन करने वाली, लेकिन ज़रूरी’, श्याम बेनेगल की ‘निशांत’ 2024 की कहानी हो सकती है

1975 में आई श्याम बेनेगल की यह फिल्म हिंसक और क्रूर है. यह एक ऐसे समाज में होने वाली हर चीज़ पर एक अडिग नज़र है, जहां निरक्षरता व्याप्त है और जमींदारों के पास सारी शक्ति है.

नए-नए स्वतंत्र हुए भारत की ज़मीनी हकीकत को दिखाती कॉमेडी ड्रामा फिल्म है बूट पॉलिश

एक ऐसे युग में जब अधिकांश हिंदी फिल्मों में वयस्क किरदारों को नायक के रूप में दिखाया जाता था, 'बूट पॉलिश' अपने मुख्य बाल किरदारों- भोला और बेलू के साथ अलग नज़र आई.

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झारखंड चुनाव: उम्मीदवार का पक्ष लेने के आरोप के बाद पीठासीन अधिकारी को हटाया गया

देवघर, 20 नवंबर (भाषा) झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को कहा कि उन्होंने मधुपुर विधानसभा क्षेत्र में...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.